Thursday, October 15, 2015

Himalaya Jourey यात्रा वृत्तान्त -17 हिमालय की गोद में

(हिमाचल यात्रा 1 जून 2014 से 11 जून 2014)
हिमाचल प्रदेश की यह दूसरी यात्रा थी। पहली यात्रा मैने मित्रों के साथ निजी वाहन मारुति वैन से की थी,जिसमें हम मनाली के रास्ते लेह (लद्दाख) तक गए थे। इस बार की यात्रा पारिवारिक यात्रा थी,जो कि यूथ होस्टल्स के फेमिली केम्पिंग में की। यह यात्रा ग्यारह दिनों की थी। इस यात्रा में हमने कुल्लू मनाली शिमला के साथ साथ शिमला कालका ट्रेन का सफर भी किया।

Monday, October 12, 2015

आरक्षण-जो सक्षम हैं,वे ही ले रहें हैं लाभ

- तुषार कोठारी

आरक्षण के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत द्वारा समीक्षा का सुझाव दिए जाने के बाद से ही देश भर में यह मुद्दा गरमा गया है। दलित वोटों की राजनीति करने वाले लालू से लेकर मायावती तक इस मुद्दे पर हो हल्ला मचाने लगे है। बिहार के चुनावी मौसम में इन नेताओं के हाथ में खुद को दलितों का मसीहा साबित करने का जैसे मौका हाथ लग गया हो। लेकिन इस शोरगुल में आरक्षण के वास्तविक लाभ और हानि का मुद्दा कहीं खो सा गया है।

Friday, September 25, 2015

Pilgrim of Freedom Celular Jail यात्रा वृत्तान्त-16 स्वतंत्रता का तीर्थ सेल्यूलर जेल (अण्डमान-निकोबार)

(2 फरवरी 2015 से 13 फरवरी 2014)
लम्बे अरसे से अण्डमान निकोबार,जिसे अंग्रेजों के जमाने में कालापानी कहा जाता था,जाने की इच्छा थी। यह इच्छा स्पाइसजेट द्वारा सस्ती हवाई यात्रा की योजना सामने आने पर पूरी हुई। हमने करीब दो महीने पहले टिकट बुक करवाई। आमतौर पर अण्डमान की राजधानी पोर्ट ब्लेयर के लिए चैन्ने से हवाई जहाज चलते है,लेकिन इस स्कीम के तहत हमें हैदराबाद से टिकट लेना पडे। हैदराबाद से लिए हुए टिकट चैन्ने की तुलना में सस्ते थे और खासियत यह थी कि प्लेन हैदराबाद से चैन्ने होकर ही जाने वाला था। इस यात्रा में मेरे साथ दशरथ जी पाटीदार,संतोष जी त्रिपाठी और मन्दसौर से आशुतोष नवाल थे। यह यात्रा 2 फरवरी 2014 से प्रारंभ होकर 13 फरवरी 2014 तक चली।

Thursday, September 24, 2015

Padamnabh Swami यात्रा वृत्तान्त-15 पदमनाभ स्वामी के सामने

रतलाम से तिरुवनन्तपुरम(त्रिवेन्द्रम)
7 अगस्त 2013 से 13 अगस्त 2013
केरल की राजधानी और पदमनाभ स्वामी के मन्दिर के लिए प्रसिध्द त्रिवेन्द्रम की यात्रा का योग मलय की वजह से बना। मलय को इसरो के कालेज में प्रवेश मिल चुका था और उसे प्रवेश दिलाने के लिए प्रतिमा ताई के साथ त्रिवेन्द्रम जाने का कार्यक्रम बनाया। यह यात्रा पूरी तरह ट्रेन की यात्रा थी,जिसमें चार दिन हमने ट्रेन में गुजारे थे।

Mahadev Of Trishuls यात्रा वृत्तान्त-14 त्रिशूलों वाले चौरागढ महादेव के पास

पचमढी यात्रा (3 जून 2013 से 8 जून 2013)
पचमढी की यह यात्रा परिवार के साथ की। विवाह के तत्काल बाद मै और वैदेही पचमढी आए थे,तभी से इच्छा थी कि एक बार यहां फिर आएंगे। इस बार विवाह की वर्षगांठ पचमढी में मनाना तय किया और वैदेही,चिन्तन और मलय को साथ लेकर मै इस यात्रा पर निकल पडे।

अब भी असर बाकी है केदारनाथ त्रासदी का

उत्तरांचल की चार धाम यात्रा का वृत्तान्त

-तुषार कोठारी

वर्ष 2013 में हुई केदारनाथ की त्रासदी अब भी उत्तरांचल के लोगों की आंखों में नजर आ जाती है। उत्तरांचल के चार धाम की यात्रा पर केदारनाथ त्रासदी की छाया दो साल गुजरने के बाद अब भी दिखाई देती है। जिन स्थानों पर कभी पैर धरने की जगह नहीं होती थी,वहां अब यात्रियों की नगण्य संख्या है। होटलें और धर्मशालाओं में रुकने वाले ही नहीं है,इसलिए कई होटल और धर्मशालाएं बन्द है। लेकिन श्रध्दा और आस्था जैसे तत्व भगवान के भक्तों को रुकने नहीं देते। तमाम खतरों के बावजूद धीरे धीरे तीर्थयात्रियों का आना जाना बढने लगा है।

Saturday, August 8, 2015

Jagannath Puri यात्रा वृत्तान्त-13 जगन्नाथ पुरी में

(भुवनेश्वर पुरी यात्रा 23 दिसम्बर 2012 से 31 दिसम्बर 2012)
भारत के चार धाम में से एक जगन्नाथ पुरी की यह यात्रा अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन के चलते संभव हो पाई। अधिवेशन के लिए मेरे अधिवक्ता साथी,दीपक जोशी,प्रकाश राव पंवार,और संतोष त्रिपाठी जाने को तैयार थे। आखरी समय पर वकालात की पढाई कर रहा विजयसिंह पंवार भी हमारे साथ जाने को तैयार हो गया और उसे हम बगैर रिजर्वेशन के हमारे साथ ले गए। यह यात्रा 23 दिसम्बर 2012 को प्रारंभ हुई और हम लोग 31 दिसम्बर 2012 को रतलाम लौटे।

Friday, July 31, 2015

फांसी और फांसी में अन्तर

-तुषार कोठारी

इस मौके पर याद कीजिए करीब तीन साल पहले 21 नवंबर 2013 की घटना। देश में यूपीए की तथाकथित बहादुर सरकार थी। जेल में फांसी की सजा पा चुका पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब बन्द था। अचानक सुबह सवेरे एक चैनल और थोडी ही देर में तमाम चैनलों ने कसाब को फांसी देने की खबर चलाना शुरु कर दी। सरकार ने गुपचुप तरीके से कसाब को फांसी दी और फिर धीरे से यह खबर टीवी चैनलों को लीक कर दी गई। जल्दी ही टीवी चैनलों पर देश के विद्वतजन और विशेषज्ञ आतंकवाद,फांसी जैसे मुद्दों पर बहस मुबाहसे करते नजर आने लगे। तमाम चैनलों पर देश की बहादुरी के कसीदे पढे जाने लगे।

Friday, July 17, 2015

From KanchanJanga to Cherapunji यात्रा वृत्तान्त-12 कंचनजंगा से चेरापूंजी की बरसातों तक

(30 दिसम्बर 2011 से 12 जनवरी 2012)
देश के उत्तरपूर्वी ईलाके को देखने की बरसों पुरानी इच्छा जनवरी 2012 में तब पूरी हुई,जब हम लोगों ने सिक्किम से लेकर भूटान और उत्तरपूर्व तक जाने का कार्यक्रम बनाया। यह कार्यक्रम इसलिए भी बन गया,क्योकि नरेन्द्र शर्मा को तबादला इप्का ने सिक्किम में कर दिया था। इसी मौके का फायदा उठाने के लिए हमने यह कार्यक्रम बनाया। इस यात्रा की एक खासियत यह भी थी इसमें जीवन में पहली बार हवाई यात्रा भी की। इस यात्रा में हमने सिक्किम,भूटान,असम और मेघालय के कई शहरों को छुआ। यह यात्रा 2011 के आखरी दिनों में शुरु हुई। डायरी लिखने का क्रम पांच दिन बाद मेघालय की राजधानी शिलांग पंहुचने के बाद शुरु हुआ।

From the Home of Tigers यात्रा वृत्तान्त- 11 शेरों के घर कान्हा में

कान्हा के राष्ट्रीय उद्यान में जाने का यह दूसरा मौका था। पहली बार की यात्रा मित्रों के साथ थी,लेकिन तब डायरी नहीं लिखी थी। उस यात्रा में नरेन्द्र शर्मा,भारत गुप्ता,राजेश घोटीकर, और नागपुर से विनय कोटिया मेरे साथ थे। इस बार की यात्रा पारिवारिक यात्रा थी। यह पहला मौका था जब हम मित्र सपरिवार यात्रा पर जा रहे थे।  यह यात्रा 2011 में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को प्रारंभ हुई थी। 

Tuesday, June 23, 2015

दैनिक एल एन स्टार मे मेरा लेख


भोपाल से प्रकाशित दैनिक एल एन स्टार मे दिनाक २२ जून 2013 को प्रकाशित मेरा लेख

Saturday, June 20, 2015

यात्रा वृत्तान्त-10 गंगा की गोद में ( यमनोत्री यात्रा)

गोवा यात्रा से लौटने के मात्र एक महीने बाद ही ऐसे योग बने कि उत्तरांचल तक की लम्बी यात्रा का मौका हाथ लग गया। इस यात्रा में हम अपने ही वाहन से यमनौत्री तक गए। चारो धाम पंहुचने का इरादा था,लेकिन गंगौत्री के रास्ते में ही बर्फ थी और रास्ता बन्द था। फिर कार्यक्रम बदला और  ऋ षिकेश में गंगा नदी में रिवर राफ्टिंग का अनुभव लिया। रिवर राफ्टिंग के दौरान लहरों की चपेट में आकर नदी में गिरा और जैसे मौत को सामने देख लिया।

वरिष्ठ नेता के लिए जरुरी है घैर्य

-तुषार कोठारी
क्या सचमुच देश में आपातकाल वाली स्थितियां बन सकती है? भाजपा के वयोवृध्द नेता लालकृष्ण आडवाणी के साक्षात्कार से उठे भूचाल के बाद ये सवाल सिर उठाने लगा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को जरुर आपातकाल महसूस हो रहा था। अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए उन्हे केन्द्र सरकार पर ठीकरा फोडने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है,लेकिन इसी तरह की बात अगर आडवाणी कहते है,तो इसके मायने बदल जाते है।

Sunday, June 14, 2015

यात्रा वृत्तान्त-9 गोवा कुलस्वामिनी के दरबार में

गोवा की यह यात्रा 29 जनवरी 2010 को शुरु हुई थी। यह पारिवारिक मित्रों की यात्रा थी,जिसमें मै,वैदेही,चिन्तन,नरेन्द्र शर्मा,श्रीमती सुनीता शर्मा और उदित अग्रवाल(टोनी) शामिल थे। इस यात्रा में गोवा के साथ साथ हम शिवाजी के प्रसिध्द सिंधु दुर्ग तक पंहुचे थे।

यात्रा वृत्तान्त-8 भारत का आखरी छोर कन्याकुमारी (दक्षिण में)

लम्बे समय से देश के दक्षिणी हिस्से को देखने की इच्छा थी। यह इच्छा 2009 के जून महीने में तब पूरी हुई जब चैन्ने में सुभाष नायडू की बहन के विवाह का कार्यक्रम तय हुआ। विवाह की जानकारी मिलते ही हम लोगों ने विवाह के बाद कन्याकुमारी और रामेश्वरम देखने की योजना भी बना ली। इस यात्रा में हमारी टीम काफी बडी थी। इस यात्रा में मेरे साथ दशरथ पाटीदार,नरेन्द्र शर्मा,भारत गुप्ता,कमलेश पाण्डेय मन्दसौर से आशुतोष नवाल और उसे छोडने आया गंगाराम (अमित सोनगरा) और सुभाष नायडू ऐसे कुल आठ लोग थे।

Monday, May 11, 2015

सम्मान

श्री मार्तंड राव पंवार जी के प्रसाद साहित्य मंडल द्वारा डा डी एन पचौरी के निवास पर जावरा के संघ चालक जुझार सिंह सोलंकी का सम्मान किया गया था. इस कार्यक्रम मे मै भी मौजूद था. मेरे पिता जी गोपाल राव कोठारी भी उपस्थित थे.उस कार्यक्रम का फोटो आज पचौरी सर ने मुझे दिया.


Sunday, April 26, 2015

यात्रा वृत्तान्त-7 शबरी कुंभ (11,12 और 13 फरवरी 2006)

12 फरवरी 06 - सूरत बस डिपो(शाम 4.00)
दुविधा से बचने के लिए कल शबरी कुंभ में जाने का पक्का निर्णय कर लिया था। 10 फरवरी की आधी रात को भोपाल से लौटने के बाद यह तय कर लिया था कि आने वाले 4 दिनों की जबर्दस्त दुविधा से बचने का यह अच्छा उपाय होगा और इसलिए  दो हजार का जूता खाते हुए भी जाने का मन बन गया। 11 फरवरी की सुबह मा.प्रभाकर जी का चेकअप कराकर फ्री होते होते दोपहर दो बज गए। 2 बजे जब स्टेशन पर टिकट लेने पंहुचे तो बडी आसानी से आज सुबह की जनता में 3 रिजर्वेशन मिल गए।

Monday, April 13, 2015

सच को सामने लाने का सही वक्त

-तुषार कोठारी
subhashbossदेश की स्वतंत्रता के बाद सही मायने में  सच को सामने लाने का यही सही वक्त है। पिछले 68 वर्षों में देश की जनता से कई सारे सच छुपाए गए है। सुभाष चन्द्र बोस हो या सावरकर,देश के सच्चे नायकों को दरकिनार कर जनता को भ्रम में रखा गया है। आज जब नेताजी से जुडी गोपनीय फाइलों और दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग उठाई जा रही है,तो यह इसके लिए सबसे सही वक्त है। यही नहीं इस तरह की और भी छुपा कर रखी गई जानकारियों को देश की जनता के सामने लाने का भी यही वक्त है।

Saturday, March 28, 2015

यात्रा वृत्तान्त-6 अमरनाथ बाबा के दरबार में

(अमरनाथ यात्रा  14 जुलाई 2001 से 4 अगस्त 2001)
लद्दाख यात्रा के दस महीनों बाद इस बार हम जम्मू काश्मीर के रास्ते पर चले। अमरनाथ यात्रा के बहाने जम्मू काश्मीर का बचा हुआ हिस्सा देखने के लिए इस बार भी वही टीम निकली,लेकिन इसमें एक सदस्य कम हो गया। अमरनाथ यात्रा में मै,राजेश घोटीकर,कमलेश पाण्डेय और विनय कोटिया शामिल हुए। इस बार भी
गाडी की समस्या आशुतोष ने ही हल की। उसने अपने किसी परिचित की गैस से चलने वाली मारुति वैन किराये पर दिलाने का इंतजाम किया। पिछली बार की तुलना में यह गाडी बेहद आरामदायक थी क्योकि यह पैट्रोल और गैस दोनो से चलती थी। इसके अलावा इस बार हम लोग अनुभवी ड्राइवर और यात्री बन चुके थे। हमारी यह यात्रा 14 जुलाई को रतलाम से शुरु हुई।

Sunday, March 8, 2015

गठबन्धन धर्म बडा या राष्ट्रधर्म….?


-तुषार कोठारी
अब से करीब छब्बीस साल पहले काश्मीर में मेडीकल की एक 23 वर्षीय छात्रा का आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था। उस युवती के पिता ने अपहरण से मात्र पांच दिन पूर्व इस महान भारत देश के अत्यधिक महत्वपूर्ण गृह मंत्रालय का कामकाज सम्हाला था। इस युवती के अपहरण का ड्रामा छ: दिनों तक चला और आखिरकार अपनी जान की कीमत देकर सुरक्षाकर्मियों द्वारा पकडे गए पांच आतंकियों को सरकार ने जेल से रिहा कर दिया। छ: दिनों बाद वह युवती सही सलामत अपने घर लौट आई थी।

Wednesday, February 25, 2015

मदर की सच्चाई बताने का हक सिर्फ विदेशियों को,भारतीयों को नहीं

-तुषार कोठारी
दुनिया की भयानकतम औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक भोपाल गैस काण्ड में अधिकारिक तौर पर चार हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी और इससे कई गुना ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए थे। दुर्घटना के फौरन बाद करुणा की मूर्ति कोलकाता से भोपाल पंहुची थी। लेकिन वह गैस काण्ड से पीडीत प्रभावित लोगों की मदद के लिए वहां नहीं पंहुची था,बल्कि गैस काण्ड के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड के प्रबन्धन की मदद के लिए पंहुची थी। उसने यूनियन कार्बाइड के प्रबन्धन को इस अपराध के लिए क्षमा कर देने का निवेदन किया था।

Saturday, February 21, 2015

क्या सचमुच आ गए अच्छे दिन….?

- तुषार कोठारी
करीब साढे सात साल जेल में गुजार कर जमानत पर रिहा हुए गुजरात के आईपीएस पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा ने कहा कि अब अच्छे दिन आ गए है। लेकिन क्या सचमुच अच्छे दिन आ गए है। डीजी वंजारा के लिए तो जरुर अच्छे दिन आ गए है,लेकिन साध्वी प्रज्ञा और उन जैसे कई लोग है जो वोट बैंक की घृणित राजनीति की सूली पर चढाए गए और आज तक कष्ट झेलने को मजबूर है।

Monday, February 16, 2015

हिमालय का हाई एल्टीट्यूड

रतलाम से लद्दाख (2 सितम्बर से 26 सितम्बर 2000)
रतलाम से लद्दाख की यह यात्रा चार पहिया वाहन से पहली हमारी पहली यात्रा थी। यात्रा के लिए हमने आशुतोष नवाल की मारुति वैन ली थी। यह गाडी आशुतोष ने कुछ ही दिन पहले खरीदी थी और इसमें स्टीमर का इंजिन लगाकर इसके डीजल से चलने वाली गाडी में तब्दील कर लिया था। इस यात्रा में मेरे साथ राजेश घोटीकर,कमलेश पाण्डेय,विनय कोटिया और आशुतोष नवाल (मन्दसौर) थे। यात्रा की एक खासियत यह भी थी कि हममें से कोई भी परफेक्ट ड्राइवर नहीं था,लेकिन फिर भी हम डीजल की मारुति वैन से 2 सितम्बर 2000 को लद्दाख यात्रा के लिए निकल पडे। यह यात्रा 26  सितम्बर को समाप्त हुई।

केन्सर व झुलसी त्वचा के कई मरीज हुए लाभान्वित


कास्मेटिक एवं प्लास्टिक सर्जरी शिविर संपन्न
Dr.SumitSinghalरतलाम,15 फरवरी (इ खबरटुडे)। भारत भक्ति संस्थान रतलाम द्वारा आयोजित निशुल्क कास्मेटिक एवं प्लास्टिक सर्जरी शिविर में मुंह के कैन्सर,झुलसी त्वचा जैसी समस्याओं से ग्रस्त कई मरीज लाभान्वित हुए। उदयपुर के कास्मेटिक एवं प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉ.सुमित सिंघल ने मरीजों को यथायोग्य चिकित्सकीय परामर्श दिया।
शिविर का आयोजन कस्तूरबा नगर स्थित गीतादेवी अस्पताल में किया गया था। शिविर के दौरान करीब तीन दर्जन से अधिक मरीजों ने विशेषज्ञ डॉ.सुमित सिंघल से परामर्श प्राप्त किया। शिविर में मुंह के केन्सर,झुलसने से चिपकी त्वचा,शरीर पर बनाए गए टैटू को हटाने,चेहरे पर बनी झुर्रियों को हटाने,गंजेपन को समाप्त करने,चेहरे और गर्दन पर मस्से जैसी समस्याओं से पीडीत मरीज आए थे।
शिविर आयोजन में गीतादेवी अस्पताल के डॉ.लेखराज पाटीदार,भारत भक्ति संस्थान के राजेश घोटीकर,तुषार कोठारी,राजेश पाण्डेय,दशरथ पाटीदार,उदित अग्रवाल,संजय पाटीदार इत्यादि का सराहनीय सहयोग रहा।

http://epaper.patrika.com/c/4521303

Monday, February 2, 2015

वरिष्ट पत्रकार श्री गर्ग ई खबर टुडे के कार्यालय मे


देश के वरिष्ठ पत्रकार और संपादक श्रवण गर्ग पिछले दिनो
महाराष्ट्र समाज के एक कार्यक्रम मे व्याख्यान देने रतलाम आए थे. इस मौके पर वे ई खबर टुडे के कार्यालय मे भी आये.उन्होने यहा काफ़ी समय गुज़ारा और ई खबर टुडे के समाचारो की सराहना भी की. यह समाचार उज्जैन से प्रकाशित दैनिक अवन्तिका मे भी प्रकाशित हुआ था.




Thursday, January 29, 2015

दुनिया के लिए जरुरी है तिब्बत की स्वतंत्रता

तवांग बौध्द मठ के प्रमुख गुरु रिनपोचे से विशेष बातचीत
(तवांग से लौटकर तुषार कोठारी)
भारत के आखरी छोर पर बसे दुनिया के दूसरे सबसे बडे बौध्द मठ तवांग तक पंहुचना अपने आप में दुष्कर कार्य है। देश के सुदूर उत्तर पूर्व में तिब्बत या वर्तमान में कथित तौर पर चीन की सीमा से सटे तवांग शहर को यहां के विशाल बौध्द मठ की वजह से भी पहचाना जाता है। इस मठ के प्रमुख गुरु तुलकु रिनपोचे का कहना है कि तिब्बत स्वतंत्र होकर रहेगा। तिब्बत की स्वतंत्रता पूरी दुनिया के लिए जरुरी है। तिब्बत की स्वतंत्रता का संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक कि तिब्बत पूर्णत:स्वतंत्र नहीं हो जाता।

Thursday, January 15, 2015

चमत्कारी तनोट माता,जहां बेकार हो गए पाकिस्तान के बम

राजस्थान यात्रा नवंबर 1999
रतलाम-जैसलमेर-रतलाम
इस यात्रा में हम चार मित्र मै,कमलेश पाण्डेय,अनिल मेहता और राजेश घोटीकर मोटर साइकिलों से गए थे। यूथ होस्टल्स आफ इण्डिया की नेशनल डेजर्ट सफारी में हिस्सा लेने के लिए हम लोग रतलाम से निकले थे। यह यात्रा हमने मेरी राजदूत (175 इलेक्ट्रानिक) और कमलेश की यामाहा आरएक्स-100 से की थी। इस यात्रा में पहले विनय कोटिया जाने वाला था,लेकिन एन वक्त पर उसका कार्यक्रम रद्द हुआ और उसके स्थान पर राजेश घोटीकर हमारे साथ हो गया।

Tuesday, January 6, 2015

कलात्मकता और विशालता है खजुराहो की खासियत


सांची-खजुराहो-झांसी-ओरछा-ग्वालियर यात्रा
 दि. 4 जनवरी 1997 शनिवार
पूरे 362 दिन बाद फिर से यात्रा पर।  इस यात्रा में भी हम दो ही लोग थे। मै और अनिल मेहता। एक बहाना भोपाल में एपीपी की परीक्षा का था,जो कल सुबह नौ बजे बैरागढ में होना है। सोचा था,दोपहर तीन की ट्रेन से उज्जैन पंहुचकर इन्दौर भोपाल पैसेंजर से भोपाल पंहुचेंगे। घर से निकलने में कुछ देरी हो गई और आखिरकार शाम 5.30 पर रतलाम-ग्वालियर बस से साढे आठ पौने के बीच उज्जैन पंहुचे। समय का

प्राकृतिक गुफा में रहती है मां काली

(अम्बा जी और माउण्ट आबू यात्रा)
रतलाम से अम्बा जी और माउण्ट आबू की यह यात्रा मैने और अनिल मेहता (सैलाना) ने मेरी राजदूत मोटर साइकिल से की थी। रतलाम से निकलते समय यह तय नहीं था कि वास्तव में जाना कहां है। रतलाम से निकलने के बाद हमने रोड एटलस देखकर यह तय किया कि माउण्ट आबू देखा जाए। इस यात्रा पर हम 7 जनवरी 1996 को निकले थे।

Tuesday, December 30, 2014

फिल्म पीके का विरोध कितना जायज?

-तुषार कोठारी
 विधु विनोद चौपडा,राजू हीरानी और आमिर खान इन दिनों बेहद खुश होंगे। उनकी फिल्म पीके पहले ही हफ्ते में पीके दो सौ करोड के क्लब में शामिल तो हो ही गई थी। अब हर दिन फिल्म को लेकर चल रहे विरोध के कारण नया प्रचार मिल रहा है और हो सकता है कि अब पीके कमाई के नए रेकार्ड बना दे। धार्मिक भावनाओं को आहत करना ,धार्मिक परंपराओं पर आघात करना और देवी देवताओं को अपमानित करना भारत के तथाकथित बुध्दिजीवी और प्रगतिशील लोगों का पुराना शौक रहा है।

Thursday, December 18, 2014

भारतीय सिध्दान्त से ही चल पाएगी दुनिया

- तुषार कोठारी
पेशावर की गलियों से पाकिस्तान के हर शहर तक और भारत समेत दुनिया के तमाम मुल्कों में फैली गम और गुस्से की लहर के बाद कई ऐसे सवाल खडे हो रहे हैं,जिन्हे अब तक जानबूझ कर पीछे धकेला जाता रहा है। लेकिन मानवता की सुरक्षा के लिए इन सवालों के जवाब पूरी ईमानदारी से खोजना बेहद जरुरी है। पूरी दुनिया ने इस जघन्य,क्रूरतम और पैशाचिक हत्याकाण्ड की निन्दा की है। लेकिन इस निन्दा के साथ यह भी जरुरी है कि पूरी दुनिया तेजी से इस जघन्यता और पैशाचिकता की जडों को ढूंढे और इन्हे जल्दी से जल्दी नष्ट करें। ताकि मानवता सुरक्षित रह सके।

Wednesday, December 10, 2014

अयोध्या कारसेवा का आंखोदेखा हाल


बाईस साल पहले 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण के लिए कारसेवा की गई थी। इस कारसेवा में बाबरी ढांचे को ध्वस्त कर रामलला का अस्थाई मन्दिर बनाया गया था। इन बाईस सालों में आज तक यह कहीं भी प्रकाशित नहीं हुआ था कि उन दिनों में वास्तव में कारसेवा किस तरह  से हुई थी। इस कारसेवा में,मैं दुनिया का अकेला शख्स था जो कैमरे के साथ उस परिसर के भीतर मौजूद था। क्योकि मीडीया के लोगों को वहां से हटा दिया गया था और मैं कारसेवक की हैसियत से वहां था। उसी समय मैने कारसेवा का आंखोदेखा हाल अपनी डायरी में नोट किया था। फोटो फिलहाल मेरे पास उपलब्ध नहीं है। कारसेवा के मेरे संस्मरण इन्दौर से प्रकाशित  दैनिक स्वदेश में 6 दिसम्बर 2014 से 10 दिसम्बर तक निरन्तर प्रकाशित हुए है। ये संस्मरण www.ekhabartoday.com पर और मेरे ब्लाग tusharkothari.blogspot.com पर भी उपलब्ध है।

Sunday, December 7, 2014

रामजन्मभूमि कारसेवा का आंखोदेखा हाल

यात्रा-वृत्तान्त अयोध्या (राम जन्मभूमि कारसेवा)
बाइस साल पहले विश्व भर के अरबों हिन्दुओं  द्वारा पूजित प्रभू श्रीराम की अयोध्या स्थित जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए 6 दिसम्बर 1992 को कारसेवा प्रारंभ हुई थी। इस कारसेवा के दौरान कारसेवकों ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए बाबरी ढांचे को ध्वस्त कर दिया और राम जन्म भूमि को विदेशी आक्रमणों के चिन्हों से मुक्त कर दिया।  अयोध्या की इस कारसेवा में रतलाम से भी हजारों कारसेवक गए थे। कारसेवा के दौरान तुषार कोठारी द्वारा लिखी गई यात्रा डायरी कारसेवा का आंखोदेखा विवरण प्रस्तुत करती है।

Wednesday, November 5, 2014

Indore Swadesh me 5.11.14 ko prakashit mera lekh


देश के लिए घातक है यह मौन










- तुषार कोठारी
दिल्ली की जामा मस्जिद के कथित शाही इमाम द्वारा देश के प्रधानमंत्री की
उपेक्षा करने और शत्रु देश के नेता को न्यौता भेजने के निहितार्थ जितने
खतरनाक है,उससे कहीं अधिक खतरनाक इस मुद्दे पर राष्ट्रवादी मुस्लिमों का
मौन है। देश में यदि कोई अल्पसंख्यक समस्या है,तो उसका हल मुख्यधारा में
मौजूद राष्ट्रवादी अल्पसंख्यकों के ही पास है। उनकी मुखरता ही देश में
मौजूद इक्का दुक्का अलगाववादी स्वरों को बन्द कर सकती है।

Saturday, August 30, 2014

इतिहास फिर से क्यों लिखा जाना चाहिए

आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की भारी-भरकम जीत के साथ ही यह तय हो गया था कि अब देश में इतिहास को लेकर विवाद उठेगा. भारतीय जनता पार्टी की सरकार इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश करेगी, जिसका विरोध भी होगा. सरकार के अभी सौ दिन पूरे नहीं हुए हैं, लेकिन यह विवाद भी शुरू हो गया और विरोध का बिगुल भी फूंक दिया गया. जब अटल जी की सरकार बनी थी, तब भी इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश की गई थी. सबसे पहले एनसीईआरटी की किताबें बदली गईं. लेकिन तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने यह काम ऐसे लोगों के हाथों में दे दिया, जो इतिहास की किताबें लिखने में अपरिपक्व साबित हुए.

Friday, August 29, 2014

भ्रम के बादलों में घिरा दुनिया का सबसे बडा संगठन

-तुषार कोठारी
पूरी दुनिया में गैर राजनीतिक और बिना सरकारी मदद के चलाए जा रहे स्वयंसेवी सामाजिक संगठनों की संख्या गिनी चुनी ही है। कुछ स्वयंसेवी अन्तर्राष्ट्रिय संस्थाओं की शाखाएं भारत में भी सक्रीय है। लेकिन इस तरह की संस्थाओं में सामान्य लोगों की भागीदारी न के बराबर है। किसी एक शहर में इस तरह के क्लब या संस्था में दो तीन दर्जन लोगों से अधिक सदस्य नहीं होते। इस लिहाज से इस प्रकार की संस्थाओं का वजूद महज अखबारी खबरों और दस्तावेजों में होता है,लेकिन समाज में परिवर्तन ला सकने जैसे बडे उद्देश्य के लिहाज से इस तरह की संस्थाएं पूरी तरह बेअसर है।

Tuesday, June 17, 2014

हम कब खेलेंगे फुटबाल?


-तुषार कोठारी
इन दिनों पूरी दुनिया पर फुटबाल विश्व कप का खुमार छाया हुआ है। भारत में फुटबाल की लोकप्रियता नहीं के बराबर है और फुटबाल के इस सर्वाधिक लोकप्रिय खेल में भारत की कोई हैसियत नहीं है। लेकिन चूंकि पूरी दुनिया फुटबाल के नशे में झूम रही है,इसलिए भारत के समाचार माध्यम टीवी और अखबारों में भी फुटबाल विश्व कप को लेकर रोजाना खबरें और विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे है।

Friday, May 23, 2014

Andman & Nicobaar Journey कालापानी नहीं स्वतंत्रता का महातीर्थ अण्डमान

(यात्रा वृत्तान्त - तुषार कोठारी)
रतलाम लौटने के बाद कई लोग मिले,जो कि अण्डमान निकोबार से पूर्णत: अपरिचित थे। वे नहीं जानते कि अण्डमान निकोबार भारत का अंग है और सुदूर समुद्र में स्थित द्वीप समूह है। कुछ इतना जरुर जानते थे कि ये भारत का केन्द्रशासित प्रदेश है,लेकिन कहां है,कैसा है,ये नहीं जानते थे। कुख्यात कालापानी जेल और भारत की स्वतंत्रता के लिए अण्डमान में सहे गए कष्टों को जानने वाले तो नगण्य से है।

Tuesday, May 20, 2014

अपने अन्त के निकट आ पंहुची है कांग्रेस

-तुषार कोठारी
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद अब लगने लगा है कि कांग्रेस समाप्त होने के निकट पंहुचती जा रही है। हांलाकि ये स्थिति भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत अच्छी नहीं होगी,लेकिन राजनीतिक परिदृश्य के जो संकेत मिल रहे है,वे साफ दिखा रहे है कि आने वाला समय सचमुच कांग्रेस मुक्त भारत का समय होगा।
कांग्रेस से सम्बन्धित कुछ रोचक तथ्य देखिए। कांग्रेस की स्थापना के समय भी मनमोहन मौजूद थे और समाप्ति के समय भी मनमोहन मौजूद है। हर कोई जानता है कि एक सौ उन्तीस वर्ष पूर्व 1885 में सर ए ओ ह्यूम ने कांग्रेस की स्थापना की थी। लेकिन ये तथ्य बहुत कम लोग जानते होंगे कि संस्थापक सदस्यों में से एक मनमोहन घोष भी थे। दूसरा रोचक संयोग। कांग्रेस की स्थापना विदेशी व्यक्ति ने की थी,उसके अन्त की इबारत भी विदेशी महिला श्रीमती सोनिया गांधी की अध्यक्षता में लिखी जा रही है।

Thursday, May 8, 2014

आरोपों को अपने पक्ष में मोडने की कला

-तुषार कोठारी
नरेन्द्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बने एक दशक से अधिक समय गुजर चुका है,लेकिन इस लोकसभा चुनाव से पहले तक कोई नहीं जानता था कि वे अगडे है या पिछडे। अपने उपर लगने वाले आरोपों को बडी खुबसूरती से अपने ही पक्ष में उपयोग करने की जो कला नरेन्द्र मोदी जानते है,वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में मौजूद कोई भी नेता इस कला में वैसा पारंगत नहीं है। उन पर इस चुनाव में जो भी आरोप लगाया गया,मोदी का ही चमत्कार था कि वह आरोप मोदी के लिए फायदे का सौदा बन गया। चाय बेचने वाले से लगाकर नीच राजनीति तक उनके खिलाफ बोला गया हर शब्द उन्हे फायदा दे गया जबकि आरोप लगाने वाले के लिए बगले झांकने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।

Sunday, February 23, 2014

पाशविकता की पराकाष्ठा और अदम्य साहस का साक्षी कालापानी


(स्वातंत्र्यवीर वि.दा.सावरकर की पुण्यतिथी २६ फरवरी पर विशेष) 

अमानवीय अत्याचारों की इन्तेहा,पाशविकता की पराकाष्ठा और इनके साथ देश की आजादी के लिए मौत से भी ज्यादा खतरनाक कष्टों को हंसते,हंसते झेलने का अदम्य साहस और वीरता। भारत का स्वातंत्र्य समर, अण्डमान के पोर्टब्लेयर स्थित कालापानी के नाम से कुख्यात सेलुलर जेल में जीवन्त हो उठता है। अपने देशप्रेम के लिए एक साथ दो दो आजीवन कारावास की सजा भुगतने वाले वीर सावरकर के अप्रतिम शौर्य और साहस की गाथाएं यहां सजीव हो उठती है। तेरह फीट लम्बी और सवा सात सात फीट चौडी कालकोठरी में रहकर हर दिन बैल की जगह कोल्हू में जुतकर तेल निकालने वाले वीर सावरकर और अन्य असंख्य क्रान्तिकारियों के बलिदान की साक्षी रही सेलुलर जेल आज भारत का राष्ट्रीय स्मारक बन चुका है। लेकिन इसे देखें बिना सिर्फ शब्दों से यहां की गई क्रूरता और अत्याचारों का अनुमान लगा पाना बेहद कठिन है।

Saturday, September 28, 2013

युवराज के लिए सर्वोच्च पद की गरिमा का बलिदान

- तुषार कोठारी
दागी नेताओं के हित में लाए जा रहे अध्यादेश पर कांग्रेस के युवराज द्वारा की गई टिप्पणी के चाहे जो राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हो,इससे ये जरुर निर्विवाद रुप से सिध्द हो गया है कि भारतीय लोकतंत्र के सर्वोच्च पद प्रधानमंत्री पद की गरिमा को पूरी तरह गिराManmohan दिया गया है। मनमोहन सिंह का नाम देश के इतिहास में शायद इसीलिए लिया जाएगा कि उन्होने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को शर्मसार होने के स्तर तक गिरा दिया है। निश्चय ही ऐसे अयोग्य व्यक्ति को देश पर दस साल तक थोपे रहने के लिए कांग्रेस और सोनिया गांधी के अपराध को भी अक्षम्य माना जाएगा।

Sunday, September 15, 2013

अयोध्या-3 /रामलला की अद्भुत श्रृंगार आरती

(प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे )  12 मार्च 2024 मंगलवार (रात्रि 9.45)  साबरमती एक्सप्रेस कोच न. ए-2-43   अयोध्या की यात्रा अब समाप्...