Thursday, January 25, 2018
Tuesday, January 23, 2018
पदमावत प्रकरण-पागलपन की पराकाष्ठा
-तुषार कोठारी
विश्व की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था भारत,विश्वशक्ति बनने की राह पर भारत,अंतरिक्ष विज्ञान में विश्व के
पागलपन का ऐसा दौर इससे पहले कभी देखने को नहीं मिला। सबसे दुखद पहलू यह है कि सरकार में बैठे नेताओं को इस प्रकरण में वोटों के हानि लाभ का गणित नजर आने लगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक बार निर्णय दे दिए जाने के बावजूद मध्यप्रदेश और राजस्थान की राज्य सरकारें दोबारा से सुप्रीम कोर्ट जा पंहुची। गनीमत यह थी कि सर्वोच्च न्यायालय ने दोनो सरकारों को जमकर लताड लगाई और पदमावत को लेकर दायर तमाम याचिकाओं को एक बार में रद्द कर दिया।
विश्व की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था भारत,विश्वशक्ति बनने की राह पर भारत,अंतरिक्ष विज्ञान में विश्व के
पागलपन का ऐसा दौर इससे पहले कभी देखने को नहीं मिला। सबसे दुखद पहलू यह है कि सरकार में बैठे नेताओं को इस प्रकरण में वोटों के हानि लाभ का गणित नजर आने लगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक बार निर्णय दे दिए जाने के बावजूद मध्यप्रदेश और राजस्थान की राज्य सरकारें दोबारा से सुप्रीम कोर्ट जा पंहुची। गनीमत यह थी कि सर्वोच्च न्यायालय ने दोनो सरकारों को जमकर लताड लगाई और पदमावत को लेकर दायर तमाम याचिकाओं को एक बार में रद्द कर दिया।
Thursday, November 23, 2017
Satopant Swargarohini Yatra-13 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-13 (अंतिम)
(फिर से रतलाम) 18 सितम्बर 2017
रोहतक में रात को देर हो गई थी। इसका असर सुबह के कार्यक्रम पर पडना था। सुबह नौ बजे रवाना होना था,लेकिन निकलते निकलते दस बज गए। हमारी मंजिल यानी रतलाम अभी साढे आठ सौ किमी दूर था। एक बार दशरथ जी ने सुझाव दिया कि पुष्कर होते हुए चले।
रोहतक में रात को देर हो गई थी। इसका असर सुबह के कार्यक्रम पर पडना था। सुबह नौ बजे रवाना होना था,लेकिन निकलते निकलते दस बज गए। हमारी मंजिल यानी रतलाम अभी साढे आठ सौ किमी दूर था। एक बार दशरथ जी ने सुझाव दिया कि पुष्कर होते हुए चले।
Satopant Swargarohini Yatra-12 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-12
19 सितम्बर 2017 मंगलवार (दोपहर 3.50)
इ खबरटुडे आफिस रतलाम
यात्रा के अंतिम हिस्से में व्यस्तताएं इतनी अधिक रही कि डायरी से जुडने का मौका ही हाथ नहीं आया। बीती रात डेढ बजे रतलाम पंहुचने के बाद आज दोपहर को यह मौका मिल पाया है। अब स्मृतियों को पीछे वहां तक ले जाता हूं जहां से डायरी छोडी थी।
इ खबरटुडे आफिस रतलाम
यात्रा के अंतिम हिस्से में व्यस्तताएं इतनी अधिक रही कि डायरी से जुडने का मौका ही हाथ नहीं आया। बीती रात डेढ बजे रतलाम पंहुचने के बाद आज दोपहर को यह मौका मिल पाया है। अब स्मृतियों को पीछे वहां तक ले जाता हूं जहां से डायरी छोडी थी।
Satopant Swargarohini Yatra-11 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-11
(ग्यारहवां दिन) 17 सितम्बर 2017 (रविवार) (दोपहर 2.15)
पुलिस रेस्ट हाउस ऋषिकेश
आज की सुबह गंगा स्नान से हुई। पुलिस रेस्ट हाउस गंगा किनारे पर है। यह राम झूले के नजदीक है। सुबह गंगास्नान के बाद कमरे में आए,तभी एसडीआरएफ के एसआई कवीन्द्र सजवान ने आकर बताया कि राफ्टिंग की व्यवस्था हो रही है। एकाध घण्टे बाद आप राफ्टिंग के लिए जा सकेंगे।
पुलिस रेस्ट हाउस ऋषिकेश
आज की सुबह गंगा स्नान से हुई। पुलिस रेस्ट हाउस गंगा किनारे पर है। यह राम झूले के नजदीक है। सुबह गंगास्नान के बाद कमरे में आए,तभी एसडीआरएफ के एसआई कवीन्द्र सजवान ने आकर बताया कि राफ्टिंग की व्यवस्था हो रही है। एकाध घण्टे बाद आप राफ्टिंग के लिए जा सकेंगे।
Satopant Swargarohini Yatra-10 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-10
(दसवां दिन) 16 सितम्बर 2017 शनिवार (रात 11.00)
ऋषिकेश पुलिस रेस्ट हाउस
गंगा मां के किनारे पर पुलिस रेस्ट हाउस में,मै डायरी लिख रहा हूं। आज सुबह से शुरु कर ता हूं। शरीर का पोर पोर दुख रहा था,लेकिन शायद इसी दर्द की वजह से ठीक से नींद नहीं आई थी। कल रात मैने बद्रीविशाल मंदिर जाने से साफ मना कर दिया था। रात को दर्द की अधिकता से एहसास हुआ कि शायद बद्रीनाथ के तप्त कुण्ड में स्नान से दर्द दूर हो जाएगा।
ऋषिकेश पुलिस रेस्ट हाउस
गंगा मां के किनारे पर पुलिस रेस्ट हाउस में,मै डायरी लिख रहा हूं। आज सुबह से शुरु कर ता हूं। शरीर का पोर पोर दुख रहा था,लेकिन शायद इसी दर्द की वजह से ठीक से नींद नहीं आई थी। कल रात मैने बद्रीविशाल मंदिर जाने से साफ मना कर दिया था। रात को दर्द की अधिकता से एहसास हुआ कि शायद बद्रीनाथ के तप्त कुण्ड में स्नान से दर्द दूर हो जाएगा।
Satopant Swargarohini Yatra-9 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-9
(नौंवा दिन) 15 सितम्बर 2015 शुक्रवार (दोपहर 12.00)
लक्ष्मीवन
लक्ष्मीवन की घाटी में एक टीले पर हम पांच लोग हमारे कुक देवेन्द्र के साथ रुके हुए है। आशुतोष पीछे आ रहा है। यह हमारी वापसी की यात्रा है। यह यात्रा हमने आज सुबह साढे आठ बजे चक्रतीर्थ से प्रारंभ की थी।
चक्रतीर्थ से लक्ष्मीवन की वापसी जाने की अपेक्षा कुछ आसान है,क्योकि हम नीचे उतरते जाते है। हांलाकि यह रास्ता पूरी यात्रा का सबसे दुर्गम रास्ता है। रास्ते का वर्णन एक बार फिर से करने की इच्छा है।
Satopant Swargarohini Yatra -8 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-8
(आठवां दिन)15 सितम्बर 2017 शुक्रवार (सुबह 7.05)
चक्रतीर्थ कैम्प
पहाडों के उपर सूरज की रोशनी नजर आने लगी है,लेकिन हमारे कैम्प से अभी यह काफी दूर है। धूप दिखने की हिम्मत से ही सारे साथी नित्यकर्म से निवृत्त हो चुके है। इस कैम्प की खासियत यह है कि पूरे मैदान में पहाडी झरनों से उतरते पानी की प्राकृतिक नहर सी बनी हुई है। पानी की सारी जरुरत इसी नहर से पूरी हो जाती है। हांलाकि ये पानी बर्फीला है और जमा देता है। हाथ धो लो तो हाथ सुन्न पड जाते है।
चक्रतीर्थ कैम्प
पहाडों के उपर सूरज की रोशनी नजर आने लगी है,लेकिन हमारे कैम्प से अभी यह काफी दूर है। धूप दिखने की हिम्मत से ही सारे साथी नित्यकर्म से निवृत्त हो चुके है। इस कैम्प की खासियत यह है कि पूरे मैदान में पहाडी झरनों से उतरते पानी की प्राकृतिक नहर सी बनी हुई है। पानी की सारी जरुरत इसी नहर से पूरी हो जाती है। हांलाकि ये पानी बर्फीला है और जमा देता है। हाथ धो लो तो हाथ सुन्न पड जाते है।
Satopant Swargarohini Yatra -7 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-7
(सातवां दिन)14 सितम्बर 2017 गुरुवार (शाम चार बजे)
चक्रतीर्थ कैम्प
टेण्ट के बाहर बर्फीली तेज हवा चल रही है। हम किचन टेण्ट में बैठे है। टेण्ट में ही दो स्टोव जलाकर सूप बनाकर पी चुके है। सारे लोग सतोपन्त झील और स्वर्गारोहिणी मार्ग पर जाकर भी आ चुके हैं। यात्रा के अंतिम लक्ष्य को हासिल कर चुके है।
चक्रतीर्थ कैम्प
टेण्ट के बाहर बर्फीली तेज हवा चल रही है। हम किचन टेण्ट में बैठे है। टेण्ट में ही दो स्टोव जलाकर सूप बनाकर पी चुके है। सारे लोग सतोपन्त झील और स्वर्गारोहिणी मार्ग पर जाकर भी आ चुके हैं। यात्रा के अंतिम लक्ष्य को हासिल कर चुके है।
Satopant Swargarohini Yatra-6 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-6
(छठा दिन)13 सितम्बर 2017 बुधवार (शाम 4.20)
चक्रतीर्थ कैम्प
सूरज की धूप खिली हुई है। हमारे टेण्ट लग रहे हैं। कुक देवेन्द्र सूप तैयार कर रहा है। चक्रतीर्थ वह स्थान है,जहां से धर्मराज ने अकेले ही यात्रा की थी। शेष सभी पाण्डव व द्रौपदी पहले ही प्राण त्याग चुके थे। यहां से सतोपंत झील मात्र चार किमी दूर है।
चक्रतीर्थ कैम्प
सूरज की धूप खिली हुई है। हमारे टेण्ट लग रहे हैं। कुक देवेन्द्र सूप तैयार कर रहा है। चक्रतीर्थ वह स्थान है,जहां से धर्मराज ने अकेले ही यात्रा की थी। शेष सभी पाण्डव व द्रौपदी पहले ही प्राण त्याग चुके थे। यहां से सतोपंत झील मात्र चार किमी दूर है।
Satopant Swargarohini Yatra-5 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-5
(पांचवा दिन)12 सितम्बर 2017 मंगलवार (शाम 4.40)
कैम्प साईट लक्ष्मीवन
माना गांव से यहां तक का करीब सात किमी का रास्ता,जो कि है ही नहीं,बेहद कठिन,खतरनाक और थका देने वाला है। ये रास्ता पार कर हम साढे चार पर यहां पंहुचे। सबसे बडी परेशानी यह है कि हमारे पोर्टर,टेण्ट और खाद्य सामग्री लेकर अब तक नहीं पंहुचे है। हम उन्ही का इंतजार कर रहे है। इसी इंतजार को मैं डायरी लिख कर पूरा कर रहा हूं।
कैम्प साईट लक्ष्मीवन
माना गांव से यहां तक का करीब सात किमी का रास्ता,जो कि है ही नहीं,बेहद कठिन,खतरनाक और थका देने वाला है। ये रास्ता पार कर हम साढे चार पर यहां पंहुचे। सबसे बडी परेशानी यह है कि हमारे पोर्टर,टेण्ट और खाद्य सामग्री लेकर अब तक नहीं पंहुचे है। हम उन्ही का इंतजार कर रहे है। इसी इंतजार को मैं डायरी लिख कर पूरा कर रहा हूं।
Satopant Swargarohini Yatra -4 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-4
(चौथा दिन) 11 सितम्बर 2017 सोमवार (दोपहर 2.10)
पुलिस रेस्ट हाउस बद्रीनाथ
कल जैसा तय किया था,आज हमें चरण पादुका और उससे उपर जहां तक संभव हो,जाकर आना था। सुबह करीब छ: बजे उठे। मैं,आशुतोष और अनिल यहीं रुके रहे,शेष चार लोग आज फिर तप्त कुण्ड में स्नान कर बद्रीनाथ जी के दर्शन करने चले गए। कुक को सब्जी पराठे का नाश्ता बनाने को कह दिया था। करीब साढे नौ पर सभी लोग नाश्ता करने बैठे।
पुलिस रेस्ट हाउस बद्रीनाथ
कल जैसा तय किया था,आज हमें चरण पादुका और उससे उपर जहां तक संभव हो,जाकर आना था। सुबह करीब छ: बजे उठे। मैं,आशुतोष और अनिल यहीं रुके रहे,शेष चार लोग आज फिर तप्त कुण्ड में स्नान कर बद्रीनाथ जी के दर्शन करने चले गए। कुक को सब्जी पराठे का नाश्ता बनाने को कह दिया था। करीब साढे नौ पर सभी लोग नाश्ता करने बैठे।
Satopant Swargarohini Yatra-3 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-3
(तीसरा दिन) 10 सितम्बर 2017 रविवार /सुबह 7.30
होटल तुलसी,रुद्रप्रयाग
आज हमें बद्रीनाथ पंहुचना है। कल रास्ते में ही तय किया था कि गाडी की छत पर बान्धा हुआ सामान सीधे बद्रीनाथ में ही खोलेंगे। सारा सामान गाडी पर ही बंधा हुआ रहने देंगे। इसका नतीजा यह है कि हमारा सारा जरुरी सामान भी हमारे पास नहीं है। सिर्फ अण्डर वियर पहनकर इस वक्त बैठा हूं और डायरी लिख रहा हूं।
होटल तुलसी,रुद्रप्रयाग
आज हमें बद्रीनाथ पंहुचना है। कल रास्ते में ही तय किया था कि गाडी की छत पर बान्धा हुआ सामान सीधे बद्रीनाथ में ही खोलेंगे। सारा सामान गाडी पर ही बंधा हुआ रहने देंगे। इसका नतीजा यह है कि हमारा सारा जरुरी सामान भी हमारे पास नहीं है। सिर्फ अण्डर वियर पहनकर इस वक्त बैठा हूं और डायरी लिख रहा हूं।
Satopant Swargarohini Yatra -2 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-2
(दूसरा दिन) 9 सितम्बर 2017 शनिवार सुबह 8.35
आफिसर्स मेस,40 पीएसी बटालियन हरिद्वार
कल दिल्ली में रास्ता भटकने के अलावा कल से आज तक कोई दिक्कत नहीं आई। रात को आफिसर्स मेस में बढिया भोजन किया। सुबह नाश्ता भी यहीं करेंगे।
आफिसर्स मेस,40 पीएसी बटालियन हरिद्वार
कल दिल्ली में रास्ता भटकने के अलावा कल से आज तक कोई दिक्कत नहीं आई। रात को आफिसर्स मेस में बढिया भोजन किया। सुबह नाश्ता भी यहीं करेंगे।
satopant Swrgarohini yatra-1 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-1
सतोपंत स्वर्गारोहिणी यात्रा (7 सितम्बर 2017 से 19 सितम्बर 2017)
सतोपंत स्वर्गारोहिणी की खतरनाक यात्रा पर जाने का आइडिया सबसे पहले एडवोकेट मित्र प्रकाश राव पंवार ने दिया था। पिछले साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान उत्तराखण्ड के आईजी संजय गुंजियाल से मित्रता हुई,तब उनसे इस यात्रा का जिक्र किया था और उन्होने कहा था कि तुम जब भी आना चाहो आ जाओ,इस यात्रा की सारी व्यवस्थाएं मैं करवाउंगा। इसके अलावा 2015 में उत्तराखण्ड के चारधाम की यात्रा के दौरान भी यह तय हुआ था कि दो साल बाद संतोष जी त्रिपाठी का जन्मदिन बद्रीनाथ में मनाया जाएगा। इन सारे कारणों से इस बार सतोपंत स्वर्गारोहिणी की कठिन यात्रा की योजना बनी।
सतोपंत स्वर्गारोहिणी की खतरनाक यात्रा पर जाने का आइडिया सबसे पहले एडवोकेट मित्र प्रकाश राव पंवार ने दिया था। पिछले साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान उत्तराखण्ड के आईजी संजय गुंजियाल से मित्रता हुई,तब उनसे इस यात्रा का जिक्र किया था और उन्होने कहा था कि तुम जब भी आना चाहो आ जाओ,इस यात्रा की सारी व्यवस्थाएं मैं करवाउंगा। इसके अलावा 2015 में उत्तराखण्ड के चारधाम की यात्रा के दौरान भी यह तय हुआ था कि दो साल बाद संतोष जी त्रिपाठी का जन्मदिन बद्रीनाथ में मनाया जाएगा। इन सारे कारणों से इस बार सतोपंत स्वर्गारोहिणी की कठिन यात्रा की योजना बनी।
Saturday, November 11, 2017
Monday, August 7, 2017
क्या खत्म हो रहा है शिवराज का जादू...?
-तुषार कोठारी
मध्यप्रदेश में बीते दिनों भडके किसान आन्दोलन के बाद अब यह सवाल हर ओर सिर उठाने लगा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में क्या होगा? क्या शिवराज का जादू अब समाप्त होने लगा है? क्या भाजपा लगातार चौथी बार सत्ता में वापसी का रेकार्ड बना पाएगी? इस तरह के सवाल उठ रहे हैं इसका सीधा सा अर्थ यही है कि अब प्रदेश की परिस्थितियां बदलने लगी है। जनता में किसी न किसी स्तर पर सरकार के प्रति नाराजगी है। यही वजह है कि भाजपा के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे है।
उपराष्ट्रपति चुनाव-गांधी जी और गांधीवाद की बिदाई....?
-तुषार कोठारी
वैंकेया नायडू देश के पन्द्रहवें उपराष्ट्रपति चुन लिए गए। इस चुनाव का नतीजा पहले से ही सभी को पता था।
कांग्रेस को भी,जिसने महात्मा गांधी के पोते पूर्व राजनयिक गोपालकृष्ण गांधी को इस चुनाव में यह कहकर उतारा था कि यह सिध्दान्तों की लडाई है। तो अब नतीजे सामने है और महात्मा गांधी के सगे पोते गोपालकृष्ण गांधी चुनाव हार चुके है। क्या यह मान लिया जाए कि भारत से गांधी जी और गांधीवाद की बिदाई होने लगी है?
Sunday, July 23, 2017
Saturday, July 22, 2017
Thursday, July 20, 2017
पं.नेहरु की नासमझी का कष्ट भुगत रहे हैं भारत,तिब्बत और भूटान
(सन्दर्भ-डोकलाम सीमा विवाद)
- तुषार कोठारी
वर्तमान में डोकलाम के चीनी भारत सीमा विवाद को शायराना अंदाज में कुछ यूं कहा जा सकता है कि लम्हो ने खता की,सदियों ने सजा पाई। यह देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरु की नासमझी थी,जिसका कष्ट आज तक भारत,तिब्बत और भूटान भुगत रहे हैं। पं. नेहरु की नासमझी इतनी अधिक थी कि इसे सरासर मूर्खता भी कहा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को यह बता दिया जाए कि दीवार पर सिर मारने से उसका सिर फूट जाएगा और वह घायल हो जाएगा। यह स्पष्ट तौर पर समझाने के बावजूद यदि कोई व्यक्ति दीवार पर अपना सिर मार कर घायल होता है,तो उसे नासमझ कहेंगे या मूर्ख और पागल....? यदि स्नेह अधिक हो,तो ऐसे व्यक्ति को नासमझ कह लिया जाएगा,वरना तो ऐसा कृत्य मूर्खता या पागलपन की श्रेणी में ही आता है।
- तुषार कोठारी
वर्तमान में डोकलाम के चीनी भारत सीमा विवाद को शायराना अंदाज में कुछ यूं कहा जा सकता है कि लम्हो ने खता की,सदियों ने सजा पाई। यह देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरु की नासमझी थी,जिसका कष्ट आज तक भारत,तिब्बत और भूटान भुगत रहे हैं। पं. नेहरु की नासमझी इतनी अधिक थी कि इसे सरासर मूर्खता भी कहा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को यह बता दिया जाए कि दीवार पर सिर मारने से उसका सिर फूट जाएगा और वह घायल हो जाएगा। यह स्पष्ट तौर पर समझाने के बावजूद यदि कोई व्यक्ति दीवार पर अपना सिर मार कर घायल होता है,तो उसे नासमझ कहेंगे या मूर्ख और पागल....? यदि स्नेह अधिक हो,तो ऐसे व्यक्ति को नासमझ कह लिया जाएगा,वरना तो ऐसा कृत्य मूर्खता या पागलपन की श्रेणी में ही आता है।
Sunday, July 16, 2017
J & K Journey 4 कश्मीर यात्रा-4/ आतंक के असर में घाटी का सफर
11 जून 2017 रविवार
सुबह 9.10
कोच न.बी-4/ 35 जामनगर एक्सप्रेस
कटरा रेलवे स्टेशन
सुबह तो ठीक हुई थी कि लेकिन यात्रा की शुरुआत विवाद से हुई। हमने ट्रेन का समय एक घण्टे पहले का
बताया था कि ताकि भगडद ना हो और आराम से ट्रेन पकड सकें। सुबह साढे सात पर नाश्ता करके आटो लेने के लिए गए। आटो वाले सौ की बजाय दो सौ रु.मांग रहे थे। मुझे गुस्सा आया,मैने पुलिस हेल्पलाइन नम्बर पर फोन लगाया। यह नम्बर पुलिस थाने का था।
J & K Journey 3 कश्मीर यात्रा-3/ आतंक के असर में घाटी का सफर
9 जून 2017 शुक्रवार
दोपहर ढाई बजे
पीडब्ल्यूडी डाक बंगला,उधमपुर।
कल दोपहर श्रीनगर घूमने के दौरान सबसे पहले हमारे ड्राइवर सोहनसिंह ने मुझे बताया कि कश्मीर में गडबडी हो रही है। हमें रात में ही निकल लेना चाहिए। बाद में कुछ और लोगों से पता चला कि शुक्रवार को कश्मीर में बन्द का आव्हान है। ऐसे में हमने तय किया कि सुबह जल्दी साढे पांच बजे कश्मीर से निकल पडेंगे। हम साढे पांच बजे वहां से निकले और दोपहर डेढ बजे यहां पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस के आरामदायक कमरों में आ गए। यहां आकर ही डायरी से जुडने का मौका मिल पाया है।
J & K Journey 2 कश्मीर यात्रा-2/ आतंक के असर में घाटी का सफर
6 जून 2017 मंगलवार (सुबह 6.30)
व्हायएचएआई कैम्प/हरवन,श्रीनगर
कल का पूरा दिन गाडी के सफर में ही बीता। सुबह उठने में देरी हो गई थी। सुबह 7.50 पर नींद खुली। स्नानादि से निवृत्त होते होते साढे नौ हो गए थे। सर्किट हाउस के कुक औंकारचंद ने नाश्ते में कलाडी और ब्रेड बटर बनाने का प्रस्ताव रखा था। उसका कहना था कि कलाडी उनके क्षेत्र की विशेष चीज है,जो दूध से बनाई जाती है।
J & K Journey -1 यात्रा वृत्तान्त -24 कश्मीर यात्रा-1 / आतंक के असर में घाटी का सफर
कैलाश मानसरोवर की यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न करने के करीब आठ महीनों बाद अब मौका था सपरिवार
कश्मीर यात्रा का। 4 जून को विवाह की वर्षगांठ होती है और कोशिश ये होती है कि विवाह की वर्षगांठ किसी दर्शनीय स्थल पर मनाई जाए। इस बार कश्मीर भ्रमण की योजना बनाई। श्रीनगर में यूथ होस्टल्स के फेमिली कैंपिंग प्रोग्राम की तारीखें देखी और मित्रों से इस यात्रा पर जाने के लिए पूछा।
कश्मीर यात्रा का। 4 जून को विवाह की वर्षगांठ होती है और कोशिश ये होती है कि विवाह की वर्षगांठ किसी दर्शनीय स्थल पर मनाई जाए। इस बार कश्मीर भ्रमण की योजना बनाई। श्रीनगर में यूथ होस्टल्स के फेमिली कैंपिंग प्रोग्राम की तारीखें देखी और मित्रों से इस यात्रा पर जाने के लिए पूछा।
Sunday, April 30, 2017
Kailash Mansarovar Yatra -9 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 9 (9 सितम्बर 2016 समापन )
9 सितम्बर 2016 गुरुवार/रात 11.30
जम्मूतवी एक्सप्रेस/ बी-4/5
कल का सारा दिन डायरी लिखने का समय ही नहीं मिला। आज का भी पूरा दिन दिल्ली में मिलने जुलने में निकल गया। कल दिल्ली पंहुचने में रात के सवा आठ बज गए थे। बहुत जल्दी में उतरे। यात्रा का सर्टिफिकेट लिया। तेजी से सामान को कमरे में टिकाया। 4 लोगों को एक रुम दिया गया था। आगरा के एसके पाण्डे जी और नासिक के रतन भावसार जी हमारे साथ थे। सामान टिकाया। उन्हे बताया कि हामारा मित्र इंतजार कर रहा है। फौरन निकले,कश्मीरी गेट मैट्रो स्टेशन पर पंहुचे। यहां से हुडा सिटी सेन्टर की की ट्रेन नेट एक घण्टा लेती है। Kailash Mansarovar Yatra -8 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 8 (6 सितम्बर-8 सितम्बर 2016)
6 सितम्बर 2016 मंगलवार
काली नदी के किनारे / दोपहर 12.30इस वक्त हम घनघोर आवाज और तेज बहाव के साथ बहती काली नदी के किनारे बैठे हैं। यहां से महज एक-डेढ किमी की दूरी पर हमारे लिए वाहन खडे हैं जो हमें धारचूला तक पंहुचाएंगे। हमें यहां रोक दिया गया है क्योंकि आगे ब्लास्टिंग हो रही है। करीब पैंतालिस मिनट हमें यहीं इंतजार करना है। काली नदी के तेज बहाव का शोर लगातार सुनाई दे रहा है। नदी के इस तरफ हम हैं और सामने की तरफ की पहाडियां नेपाल में हैं। काली नदी भारत और नेपाल की सीमाओं के बीच बहती है।
Kailash Mansarovar Yatra -7 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 7 (4 सितम्बर-5 सितम्बर 2016)
4 सितम्बर 2016 रविवार
केएमवीएन कैम्प गुंजी/ शाम 4.4010370 फीट
अब हम तिब्बत छोडकर भारत में आ चुके हैं। बीती रात सोते सोते ग्यारह बज गए थे और सुबह 5 बजे तकलाकोट से निकलना था। सुबह 4 बजे उठा। शेविंग करने के बाद दूध और कार्नफ्लेक्स का नाश्ता किया और बस में सवार हो गए। बस हमे सबसे पहले कस्टम आफिस ले गई,जहां बैग इत्यादि स्कैन किए गए। फिर बस में सवार हो कर लिपूलेख पास के लिए रवाना हो गए। तकलाकोट 12930 फीट पर है,जबकि लिपूलेख पास 16780 फीट है। तकलाकोट से निकलते ही बस पहाडों पर चलने लगी। इस बस ने हमें लिपूलेख पास से
करीब पांच किमी पहले उंचे पहाड पर उतारा।
Tuesday, April 18, 2017
Monday, April 17, 2017
जरुरी हे धर्मस्थलों से लाउड स्पीकर हटाना
- तुषार कोठारी
सोनू निगम ने जो कहा है,बिलकुल सही है। उन्होने वही कहा है,जो बारह वर्ष पहले उच्चतम न्यायालय कह चुका है। देश के नागरिक हर सुबह उन ध्वनियों को सुनने के लिए बाध्य है,जो वे सुनना नहीं चाहते। देश के किसी भी कोने में,किसी भी शहर के किसी भी हिस्से में सुबह आपकी नींद किसी मस्जिद की अजान की आवाज से ही खुलेगी। क्या यह अजान सुनने के लिए हर व्यक्ति बाध्य है?
Sunday, April 16, 2017
बूचडखानों पर रोक,मांसाहार,बीफ और शराब बन्दी का कम्फ्यूजन
तुषार कोठारी
जब से देश की केन्द्रीय सत्ता में और अनेक प्रदेशों में भाजपा बहुमत में आई है,भारतीय परंपरा और संस्कृति से अनजान अंग्रेजीदां बुध्दिजीवियों और मीडीया वालों के लिए कई सारे नए कन्फ्यूजन खडे हो गए है। कभी ये भ्रम परंपरा और संस्कृति को नहीं समझ पाने की वजह से होते है तो कभी भाषा की पर्याप्त समझ नहीं होने की वजह से। मजेदार बात यह है कि इस तरह भ्रमित हुए बुध्दिजीवी और मीडीया वाले अपने भ्रम को ही सत्य की तरह प्रस्तुत करते है,तो उनके ग्लैमर के असर में कई सारे लोग इसी को सच भी मानने लगते है।
Monday, March 27, 2017
Kailash Mansarovar Yatra -6 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 6 (2 सितम्बर-3 सितम्बर 2016)
2 सितम्बर 2016 शुक्रवार
कुगु कैम्प मानसरोवरमानसरोवर तट पर दूसरा दिन यज्ञ के साथ बीता। सुबह की शुरुआत आलू पराठे के नाश्ते से हुई। मौसम बहुत बढिया था। शानदार धूप खिली हुई थी। मानसरोवर का रंग बार बार बदल रहा था। मैं कैमरा लेकर मानसरोवर पर पंहुचा। ढेर सारे फोटो लिए। फिर आशुतोष झील पर स्नान करने आ गया। उसका विडीयो बनाया। तभी एलओ श्री गुंजियाल सा.,जगजीत और तनु मित्तल वहां आ गए। फिर उनके साथ आया। हमने कई फोटो खींचे।
Saturday, March 25, 2017
प्रशासनिक कार्यप्रणाली में मौलिक परिवर्तन से ही बदलेगी देश की तस्वीर
-तुषार कोठारी
देश की स्वतंत्रता के बाद बनी लोकतांत्रिक सरकारों में से प्रत्येक सरकार ने देश के गरीब और पिछडे वर्गों की बेहतरी के लिए तमाम योजनाएं बनाई और लागू की। सात दशकों के इस लम्बे कालखण्ड में बनाई गई तमाम योजनाएं इतनी आकर्षक प्रतीत होती थी,कि लगता था कि इनके लागू होने के बाद समस्या जड से समाप्त हो जाएगी। लेकिन ये योजनाएं जब क्रियान्वयन के स्तर पर पंहुची तो पता चला कि योजनाओं का असर दस प्रतिशत भी नहीं हुआ। परिणाम यह है कि सत्तर साल पहले देश में जो समस्याएं थी,कमोबेश वही समस्याएं आज भी मुंह बाए खडी है।
देश की स्वतंत्रता के बाद बनी लोकतांत्रिक सरकारों में से प्रत्येक सरकार ने देश के गरीब और पिछडे वर्गों की बेहतरी के लिए तमाम योजनाएं बनाई और लागू की। सात दशकों के इस लम्बे कालखण्ड में बनाई गई तमाम योजनाएं इतनी आकर्षक प्रतीत होती थी,कि लगता था कि इनके लागू होने के बाद समस्या जड से समाप्त हो जाएगी। लेकिन ये योजनाएं जब क्रियान्वयन के स्तर पर पंहुची तो पता चला कि योजनाओं का असर दस प्रतिशत भी नहीं हुआ। परिणाम यह है कि सत्तर साल पहले देश में जो समस्याएं थी,कमोबेश वही समस्याएं आज भी मुंह बाए खडी है।
Thursday, March 16, 2017
Tuesday, March 14, 2017
Sunday, March 12, 2017
भाजपा की प्रचण्ड जीत-हिन्दुत्व की ओर बढती देश की राजनीति
-तुषार कोठारी
उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल में भाजपा को मिली प्रचण्ड जीत का विश्लेषण
हर कोई अपने अपने ढंग से कर रहा है। कई लोग मोदी लहर को राम लहर से बडी भी
बता रहे हैं। इसे विकास के नारे की जीत भी माना जा रहा है। इन विश्लेषणों
से भी आगे अगर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के नतीजों को साथ रख कर देखा जाए
तो पता चलता है कि देश की राजनीति की दिशा बदल रही है। देश की राजनीति अब
अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण से हिन्दुत्व की दिशा में बढने लगी है।Friday, February 10, 2017
राजस्थान से सबक सीखना चाहिए मध्यप्रदेश को
-तुषार कोठारी
हिन्दुओं के गौरव महाराणा प्रताप द्वारा हल्दीघाटी में लडे गए विश्वविख्यात युध्द के बारे में फैलाए गए महाराणा की पराजय के भ्रम को अब राजस्थान सरकार दूर करने वाली है। राजस्थान के पाठ्यक्रम में अब विद्यार्थियों को यह पढाया जाएगा कि हल्दीघाटी के युध्द में महाराणा की पराजय नहीं हुई थी,बल्कि अकबर की सेनाओं को भारी क्षति हुई थी और उन्हे पीछे हटना पडा था। राजस्थान सरकार द्वारा किए जा रहे इस स्तुत्य प्रयास से राजस्थान के पडोसी मध्यप्रदेश को भी सबक सीखने की जरुरत है।
Monday, January 30, 2017
Kailash Mansarovar Yatra -5 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 5 (31 अगस्त-1 सितम्बर 2016)
31 अगस्त 2016 बुधवार
जुनझुई पू कैम्प / दोपहर 3.00 (आईएसटी)
कैलाश यात्रा का सबसे कठिन दुर्गम कहा जाने वाला हिस्सा आज हमने सफलतापूर्वक पार कर लिया। डेराफुक से यहां जुनझुई पू आने में के लिए डोलमा पास पार करना पडता है और कुल मिलाकर करीब पच्चीस किमी की पदयात्रा करना पडती है। डोलमा दर्रा 18600 फीट की उंचाई पर है,जहां आक्सिजन अत्यन्त विरल है। यहां चार कदम चलने भर से दम फूल जाता है।डेराफुक के हमारे कैम्प से डोलमा दर्रे तक का रास्ता 9 किमी का खडी चढाई का रास्ता है। इसे सूर्योदय से पहले पार कर लेना ही उचित होता है,क्योंकि सूर्योदय के बाद जैसे जैसे दिन चढता है,यहां मौसम बिगडने लगता है।
जुनझुई पू कैम्प / दोपहर 3.00 (आईएसटी)
कैलाश यात्रा का सबसे कठिन दुर्गम कहा जाने वाला हिस्सा आज हमने सफलतापूर्वक पार कर लिया। डेराफुक से यहां जुनझुई पू आने में के लिए डोलमा पास पार करना पडता है और कुल मिलाकर करीब पच्चीस किमी की पदयात्रा करना पडती है। डोलमा दर्रा 18600 फीट की उंचाई पर है,जहां आक्सिजन अत्यन्त विरल है। यहां चार कदम चलने भर से दम फूल जाता है।डेराफुक के हमारे कैम्प से डोलमा दर्रे तक का रास्ता 9 किमी का खडी चढाई का रास्ता है। इसे सूर्योदय से पहले पार कर लेना ही उचित होता है,क्योंकि सूर्योदय के बाद जैसे जैसे दिन चढता है,यहां मौसम बिगडने लगता है।
Friday, January 27, 2017
Sunday, January 22, 2017
दलितों और वंचितों का ही हक छीन रहा है आरक्षण
-तुषार कोठारी
आरक्षण को लेकर मची बवाल पहली बार नहीं है। बिहार चुनाव के पहले भी लालू से लेकर मायावती तक तमाम नेता आरक्षण को खत्म करने की कथित कोशिशों को लेकर रौर्द्र रुप दिखा चुके है। वे अपने बयानों से पूरी तरह ये साबित करना चाहते है कि दलित,शोषित और पिछडे वर्गों के सच्चे रहनुमा सिर्फ वे ही है।
लेकिन बात इतनी सीधी नहीं है। आरक्षण को बनाए रखने के लिए चीख पुकार मचाने वाले इन नेताओं की हैसियत देखिए। कोई दो बार मुख्यमंत्री रह चुका है। कोई मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री जैसे उच्च पदों को सुशोभित कर चुका है। ये सभी वे लोग है जो समाज के सर्वाधिक शक्तिशाली और रसूखदार तबके में शामिल है।
आरक्षण को लेकर मची बवाल पहली बार नहीं है। बिहार चुनाव के पहले भी लालू से लेकर मायावती तक तमाम नेता आरक्षण को खत्म करने की कथित कोशिशों को लेकर रौर्द्र रुप दिखा चुके है। वे अपने बयानों से पूरी तरह ये साबित करना चाहते है कि दलित,शोषित और पिछडे वर्गों के सच्चे रहनुमा सिर्फ वे ही है।
लेकिन बात इतनी सीधी नहीं है। आरक्षण को बनाए रखने के लिए चीख पुकार मचाने वाले इन नेताओं की हैसियत देखिए। कोई दो बार मुख्यमंत्री रह चुका है। कोई मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री जैसे उच्च पदों को सुशोभित कर चुका है। ये सभी वे लोग है जो समाज के सर्वाधिक शक्तिशाली और रसूखदार तबके में शामिल है।
Tuesday, January 17, 2017
Kailash Mansarovar Yatra -4 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 4 (26 अगस्त-30 अगस्त )
27 अगस्त 2016 शनिवार
होटल पुलान तकलाकोट (तिब्बत)रात 8.10 (आईएसटी) / रात 10.40 (चाईना टाइम)
कल रात से लेकर आज रात,अभी तक का समय बेहद सनसनीखेज गुजरा। बीती रात आठ बजे सौ गए थे,क्यङ्क्षकि रात दो बजे लिपूलेख पास के लिए निकलना था। इससे पहले तक मौसम ने कहीं दगाबाजी नहीं की थी,लेकिन रात पौने आठ बजे से हलकी बूंदाबांदी शुरु हो गई थी,जिसने दस बजते बजते बूंदाबांदी का स्वरुप ले लिया था। रात पौने एक पर जब मैं उठा तो बारिश हो रही थी। कडाके की ठण्ड में बरसते पानी में बाहर निकलना कठिन था,लेकिन नित्यकर्म के लिए बाहर निकला। वैसे दो बार की आदत है,मौसम की प्रतिकूलता के कारण मैने एक बार में ही मामला खत्म कर दिया और यहीं गलती की।
Monday, January 16, 2017
कौन हो सकता है इस राष्ट्र का पिता...?
- तुषार कोठारी
इस देश में युगों युगों से पूजित मर्यादा पुरुषोत्तम राम की लंका विजय के बाद लक्ष्मण जी ने उनसे कहा कि अयोध्या जाने की बजाय सोने की लंका में ही रहने में क्या बुराई है? तब भगवान राम ने वह जवाब दिया था,जो आज तक देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक है। भगवान श्री राम ने लक्ष्मण से कहा था कि लक्ष्मण ये लंका चाहे सोने की हो,लेकिन जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान होती है। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
Wednesday, January 11, 2017
Kailash Mansarovar Yatra -3 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 3 (23 अगस्त-26 अगस्त 2016)
23 अगस्त 2016 मंगलवार
केएमवीएम बुधी / रात 9.15
आज के दिन का समापन बेहद शानदार रहा। हमारे ग्रुप के एलओ संजय गुंजियाल जी ने आज हमें बडा सम्मान दिया। उन्होने अगले वर्ष बद्रीनाथ के उपर स्वर्ग आरोहिणी की ट्रैकिंग के लिए आमंत्रित भी किया। यह बडा आनन्ददायी समापन था।
सुबह की शुरुआत 3.20 पर जागरण से हुई थी। बताया गया था कि हमें 21 किमी पैदल चलना है। लेकिन यह ट्रैक वास्तव में 18 किमी का था। यह भी बताया गया था कि 4444 सीढियां उतरना है।
Tuesday, December 27, 2016
Kailash Mansarovar Yatra-2 कैलाश मानसरोवर यात्रा-2 (19 अगस्त-22 अगस्त)
19 अगस्त 2016 शुक्रवार
आज का पूरा दिन बसों में हिचकोले खाते हुए और स्वागत कराते हुए गुजरा है। हमारे दल के सभी यात्री ठीक समय पर बस में सवार होने के लिए अपनी डोरमैट्री से नीचे आ चुके थे। गुजराती समाज के मुख्यद्वार पर तीर्थयात्रा विकास समिति दिल्ली सरकार और कैलाश मानसरोवर यात्रा समिति के सदस्यों द्वारा यात्रियों के स्वागत का कार्यक्रम रखा गया था। पहले एक पण्डित ने पूजा अर्चना की और तब वहां मौजूद सदस्यों ने एक एक यात्री को तिलक लगाकर केसरिया दुपट्टे औढाए। इस मौके पर यात्रियों को कुछ धार्मिक पुस्तकें व अन्य उपहार भी दिए गए। यहां पर तीर्थयात्रा विकास समिति के चेयरमेन कमल बंसल व उनके साथ दिखाई देने वाली दो महिलाएं भी थी। आज ये सभी हंसते मुस्कुराते हुए यात्रियों को बिदा कर रहे थे।
केएमवीएन टीआरएच अलमोडा/ रात 8.25
आज का पूरा दिन बसों में हिचकोले खाते हुए और स्वागत कराते हुए गुजरा है। हमारे दल के सभी यात्री ठीक समय पर बस में सवार होने के लिए अपनी डोरमैट्री से नीचे आ चुके थे। गुजराती समाज के मुख्यद्वार पर तीर्थयात्रा विकास समिति दिल्ली सरकार और कैलाश मानसरोवर यात्रा समिति के सदस्यों द्वारा यात्रियों के स्वागत का कार्यक्रम रखा गया था। पहले एक पण्डित ने पूजा अर्चना की और तब वहां मौजूद सदस्यों ने एक एक यात्री को तिलक लगाकर केसरिया दुपट्टे औढाए। इस मौके पर यात्रियों को कुछ धार्मिक पुस्तकें व अन्य उपहार भी दिए गए। यहां पर तीर्थयात्रा विकास समिति के चेयरमेन कमल बंसल व उनके साथ दिखाई देने वाली दो महिलाएं भी थी। आज ये सभी हंसते मुस्कुराते हुए यात्रियों को बिदा कर रहे थे।
Friday, December 23, 2016
Kailash Mansarovar Yatra -1 कैलाश मानसरोवर यात्रा-1
यात्रा वृत्तान्त - 23
बचपन से लगे यात्राओं के शौक और पिछले करीब डेढ दशक में देश के लगभग सभी कोनो में भ्रमण के दौरान हर बार यह इच्छा सताती थी कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा करना है। लेकिन जब भी इस यात्रा का मन होता,यात्रा का खर्चीला होना इस इच्छाओं को वहीं रोक देता था। पिछले कुछ समय से पैरों में हलकी दिक्कतें भी शुरु हो गई। तब और लगने लगा कि अब कैलाश मानसरोवर जाने के लिए अधिक समय नहीं बचा है। लेकिन जैसा कि मेरे साथ होता आया है,मैने जो भी इच्छा की,प्रभु ने उसे पूरा किया।
कैलाश मानसरोवर यात्रा
सनातन से सीधे संवाद का स्थान
बचपन से लगे यात्राओं के शौक और पिछले करीब डेढ दशक में देश के लगभग सभी कोनो में भ्रमण के दौरान हर बार यह इच्छा सताती थी कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा करना है। लेकिन जब भी इस यात्रा का मन होता,यात्रा का खर्चीला होना इस इच्छाओं को वहीं रोक देता था। पिछले कुछ समय से पैरों में हलकी दिक्कतें भी शुरु हो गई। तब और लगने लगा कि अब कैलाश मानसरोवर जाने के लिए अधिक समय नहीं बचा है। लेकिन जैसा कि मेरे साथ होता आया है,मैने जो भी इच्छा की,प्रभु ने उसे पूरा किया।
Saturday, December 17, 2016
Friday, December 16, 2016
Monday, December 12, 2016
दुनियाभर में भारतीय संस्कृति का डंका बजा रहे भारत के अंग्रेजी लेखक
तुषार कोठारी
देसी लोगों की मान्यता अब तक यही हुआ करती थी कि अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखक पाश्चात्य संस्कृति को बढावा देते है। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। भारत के अंग्रेजी लेखकों की लिखी पुस्तकें दुनिया भर में भारतीय संस्कृति,धर्म और इतिहास का डंका बजा रही है। भारत के पौराणिक और धार्मिक चरित्रों की जानकारी अब पूरी दुनिया के लोगों को,अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखकों की वजह से मिल रही है। यही नहीं भारतीय लेखकों द्वारा पौराणिक और धार्मिक कथाओं को नए सन्दर्भों में प्रस्तुत किए जाने की यह विशीष्ट शैली दुनियाभर में इतनी पसन्द की जा रही है कि ये भारतीय लेखक आज दुनिया के बेस्टसेलर बने हुए है। इन अंग्रेजी उपन्यासों की बदौलत भारत का गौरवमयी अतीत पूरी दुनिया की जानकारी में भी आ रहा है।
देसी लोगों की मान्यता अब तक यही हुआ करती थी कि अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखक पाश्चात्य संस्कृति को बढावा देते है। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। भारत के अंग्रेजी लेखकों की लिखी पुस्तकें दुनिया भर में भारतीय संस्कृति,धर्म और इतिहास का डंका बजा रही है। भारत के पौराणिक और धार्मिक चरित्रों की जानकारी अब पूरी दुनिया के लोगों को,अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखकों की वजह से मिल रही है। यही नहीं भारतीय लेखकों द्वारा पौराणिक और धार्मिक कथाओं को नए सन्दर्भों में प्रस्तुत किए जाने की यह विशीष्ट शैली दुनियाभर में इतनी पसन्द की जा रही है कि ये भारतीय लेखक आज दुनिया के बेस्टसेलर बने हुए है। इन अंग्रेजी उपन्यासों की बदौलत भारत का गौरवमयी अतीत पूरी दुनिया की जानकारी में भी आ रहा है।
Sunday, November 27, 2016
Sunday, November 20, 2016
कालेधन के खिलाफ मुहिम को रोकने के लिए खोखले तर्क,झूठे तथ्य और थोथी भाषणबाजी का सहारा
- तुषार कोठारी
देश की जनता यह बात बहुत अच्छे से समझती है कि कालेधन का कैंसर देश के शरीर के प्रत्येक अंग तक फैल चुका है। कालेधन का यह कैंसर एडवान्स स्टेज पर पंहुच चुका था और इसे दूर करने के लिए बडी सर्जरी जरुरी थी। कैंसर जैसी बडी बीमारी का जब भी आपरेशन किया जाता है,शरीर को कुछ कष्ट तो झेलना हीकालेधन को समाप्त करने के लिए मोदी जी द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक से तिलमिलाएं नेता,राजनीतिक दल और काला धन के धनकुबेर इस मुहिम को रोकने के लिए तरह तरह के हथकण्डे अपनाने में जुट गए हैं।
Wednesday, November 16, 2016
Sunday, October 9, 2016
Saturday, October 1, 2016
Tuesday, September 27, 2016
Monday, September 26, 2016
सनातन से सीधे संवाद का स्थान है कैलाश मानसरोवर
(कैलाश मानसरोवर यात्रा से लौटकर तुषार कोठारी)
देश भर में फैले द्वादश ज्योतिर्लिंगों को देवाधिदेव महादेव का साक्षात स्वरुप माना जाता है,लेकिन महादेव का वास्तविक निवास तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत है। आसपास फैले हजारों पर्वतों में से कैलाश,तारों से भरे आसमान में पूर्णमासी के चन्द्रमा की तरह अलग ही चमकता हुआ नजर आता है। इस अनूठे पर्वत का रहस्यमयी आकर्षण जहां प्रत्येक देखने वाले को शिव की साक्षात उपस्थिति का आभास कराता है,वहीं मानसरोवर के तट पर पंहुचने के बाद व्यक्ति को सनातन से सीधे संवाद की अनुभूति होती है। कैलाश और मानसरोवर पर पंहुचने के बाद वहां होने वाली अलौकिक अनुभूतियों का सटीक वर्णन शब्दों से कर पाना सामान्य मानव के लिए असंभव है। इन अनुभूतियों को वहां पंहुचकर ही जाना जा सकता है।
Saturday, September 17, 2016
Friday, August 5, 2016
Originally India is a Big supporter of terrorism भारत ही है आतंकवाद का असली पोषक
(आतंकवाद से निपटने में भारत का दोहरा रवैया है समस्या की जड)
– तुषार कोठारी
शीर्षक पढ कर चौंकिए मत। तथ्यों का निरपेक्ष भाव से आकलन करेंगे तो स्पष्ट हो जाएगा कि आतंकवाद को समाप्त करने के मामले में भारत की आतंकवाद की निन्दा करने के मामले में भारत निश्चित तौर पर विश्व में नम्बर एक है,लेकिन आतंकवाद को कुचलने के मामले में भारत सबसे पीछे है। इसके बावजूद भारत की सरकारें,राजनैतिक दल और यहां तक कि भारतीय मीडीया भी थोथी बयानबाजी पर खुशियां जाहिर कर आत्ममुग्धता में रहता आया है। वर्तमान घटनाक्रम भी यही दर्शाता है।
Friday, July 29, 2016
Thursday, July 28, 2016
महत्वहीन घटना को राष्ट्रीय समस्या का दर्जा देने की कोशिश
(सन्दर्भ- मन्दसौर में महिलाओं की कथित पिटाई)
-तुषार कोठारी
मध्यप्रदेश के मन्दसौर रेलवे स्टेशन पर हुआ महिलाओं का आपसी विवाद,देश की प्रमुख समस्या का रुप ले चुका है। दो महिलाओं की,महिलाओं द्वारा कथित पिटाई के विडीयो पूरे दिन भर कुछ टीवी चैनलों पर गौरक्षकों की गुण्डागिर्दी के नाम से चलाए जाते रहे। हद तो तब हो गई,जब राज्यसभा में इस मुद्दे को लेकर हंगामा भी कर दिया गया। देश के कई सारे सैक्यूलर पत्रकार,ट्विटर पर भी इस मुद्दे को लेकर भडास निकालते रहे। देश के तमाम सैक्यूलरवादियों को बैठे बिठाए महिलाओं का पिटाई का मुद्दा मिल गया। उन्होने भी बिना तथ्यों पर ध्यान दिए इस पूर्णत: महत्वहीन मामले को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।Friday, July 15, 2016
पानी बरसती गुफा में विराजित है द्वादश ज्योतिर्लिंग
प्रकृति ने स्वयं बनाया है महादेव का यह मन्दिर
(कमलेश्वर महादेव की गुफाओं से लौटकर तुषार कोठारी)
रतलाम,15 जुलाई (इ खबरटुडे)। भारत चमत्कारों का देश है। ये चमत्कार अक्सर दिखाई देते है। कहीं मन्दिर में हजारों चूहे है,तो कहीं सीमा पर माता के चमत्कार के कारण पाकिस्तान के बम ही नहीं फूट पाए। चमत्कारों की कडी में नया नाम है कमलेश्वर महादेव का,जहां पहाडों के नीचे छुपी अंधेरी पानी बरसती गुफाओं में द्वादश ज्योतिर्लिंग विराजित है। प्रकृति द्वारा बनाए गए इस मन्दिर में शिवलिंग के निरन्तर अभिषेक की व्यवस्था भी स्वयं प्रकृति ने ही की है।Wednesday, July 13, 2016
Sunday, July 10, 2016
despite Modi Government kashmir returns in 90's decade मोदी सरकार के बावजूद नब्बे के दशक में लौटता कश्मीर
-तुषार कोठारी
हुई है। एक आतंकी के जनाजे में हजारों की भीड उमड रही है और अमरनाथ यात्रियों के साथ मारपीट कर पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगवाए जा रहे हैं। यह सब कुछ तब,जबकि जम्मू काश्मीर की सत्ता में स्वयंभू तौर पर सर्वाधिक राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा साझेदार है। डर का सबसे बडा कारण भी यही है कि केन्द्र में पूर्ण बहुमत के साथ आसीन भाजपा के जम्मू काश्मीर की सत्ता में साझेदार होने के बाद अगर कश्मीर में अमरनाथ यात्री असुरक्षित है तो क्या स्थिति 1990 जैसी ही नहीं हो गई है।
Thursday, June 9, 2016
Monday, May 30, 2016
Thursday, May 26, 2016
Jawaharlal Nehru- Hero of Country or ............? जवाहरलाल नेहरु-देश के नायक या......?
-तुषार कोठारी
देश आज जिन समस्याओं से जूझ रहा है,उनमें से अधिकांश भारत की आजादी के समय की है। कश्मीर पर भारत अरबों खरबों रुपए फूंक चुका है,फिर भी आतंकवादी हमलों का खतरा बरकरार है। पडोसी देश चीन का खतरा बरकरार है। चीन के मुकाबले हम बेहद कमजोर है। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में हमारा कोई जोर नहीं है। भारत की 62 हजार वर्गमील जमीन पर चीन का अवैध कब्जा है। हमारा पडोसी नन्हा देश तिब्बत चीन के अत्याचार झेलने को बाध्य है। हर साल कई तिब्बती अपनी स्वाधीनता के लिए बलिदान दे रहे हैं। इन सारी समस्याओं की शुरुआत भारत की आजादी के तुरंत बाद हुई थी। उस समय देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु थे।
Wednesday, May 25, 2016
यात्रा वृत्तान्त - 22 सांप,मेंढक और कुत्तों के मांस का बाजार,महिलाएं करती हैं व्यापार
(नागालैण्ड और मणिपुर यात्रा 6 जनवरी से 20 जनवरी 2016)
उत्तर पूर्वी राज्यों की यात्रा का यह तीसरा मौका था। इस बार की यात्रा में हमने अरुणाचल के दूरस्थ क्षेत्रों,अनीनी की दिशा में जाने की योजना बनाई थी। साथ ही रहस्यमय माने जाने वाले नागालैण्ड व मणिपुर को भी इस यात्रा में जोडा था। पिछली अरुणाचल तवांग यात्रा के अनुभवों से सबक लेते हुए इस बार हम पर्याप्त समय लेकर चले थे,ताकि गडबड ना हो। हम २१ जनवरी की सुबह लौटे। इस यात्रा में हम केवल तीन व्यक्ति शामिल थे। मेरे साथ दशरथ पाटीदार व हिमांशु जोशी इस यात्रा में शामिल थे।Saturday, April 16, 2016
Friday, April 15, 2016
Thursday, March 10, 2016
Char Dham Tour यात्रा वृत्तान्त - 21 चार धाम की तीर्थयात्रा
उत्तराखण्ड के चार धाम यानी बद्रीनाथ,केदार नाथ,गंगौत्री और यमुनोत्री। इन्हे छोटे धाम भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख चार धामों में बद्रीनाथ धाम भी एक है। माना यह जाता है कि बद्रीनाथ का धाम पूरा करने के लिए इन चारों स्थानों पर जाना जरुरी है। वैसे चार धामों में उत्तर में बद्रीनाथ,दक्षिण में रामेश्वरम,पूर्व में उडीसा में जगन्नाथ पुरी और पश्चिम में गुजरात में सोमनाथ शामिल है। उत्तराखण्ड के चार धामों की पारिवारिक तीर्थ यात्रा सितम्बर 2015 में पूरी की। इस तीर्थयात्रा में हम पांच मित्र मै,दशरथ जी पाटीदार,आशुतोष नवाल जी,संतोष त्रिपाठी जी और नरेन्द्र शर्मा जी सपत्नीक शामिल थे।
Monday, March 7, 2016
कहीं इतिहास की वस्तु बनकर न रह जाएं कांग्रेस और कम्यूनिस्ट
(सन्दर्भ-जेएनयू प्रकरण)
-तुषार कोठारी
आत्महत्या जैसा कायरताभरा कृत्य करके अपना जीवन समाप्त करने वाले किसी व्यक्ति को अपना आदर्श मानने वाले लोग कैसे हो सकते है? यह देखने के लिए आपको देश की राजधानी नई दिल्ली में बसे जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी के केम्पस में जाना होगा। कहते हैं कि गीदडों का नेता शेर नहीं हो सकता,कोई गीदड ही गीदडों को नेतृत्व दे सकता है। दुनियाभर में अपना अस्तित्व गंवा चुके वामपंथ के बचे खुचे परजीवियों ने जब जेएनयू को अपना गढ बनाया,तो यहां के छात्रसंघ चुनावों का नेतृत्व भी उसी प्रकार का बना,जो साहसिक कृत्य करने में सक्षम ही नहीं है। देश की जनता साहसी नेतृत्व चाहती है,कायर नेतृत्व नहीं।Saturday, February 27, 2016
Country of rising sun Arunachal यात्रा वृत्तान्त -20 उगते सूर्य के प्रदेश में
(अरुणाचल यात्रा 17 जनवरी से 26 जनवरी 2015)
17 नवंबर को तिरुपति से लौटे थे। इसके मात्र दो माह बाद फिर से यात्रा पर। ये यात्रा एयरलाइन्स के सस्ते टिकटों की वजह से हुई। करीब तीन महीने पहले ही हमने दिल्ली से गुवाहाटी की फ्लाइट आने जाने की बुक करवा ली थी। बुकींग छ: लोगों की थी।मैं,दशरथ पाटीदार जी,संतोष त्रिपाठी जी,हिमांशु जोशी,उदित अग्रवाल और सुदीप जैन(बंटी),इस यात्रा में जाने वाले थे। लेकिन अंत में बंटी की यात्रा रद्द हो गई और 17 जनवरी 2015 को हम अरुणाचल के लिए निकल पडे। हमने रतलाम से दिल्ली का रिजर्वेशन कराया,ज्लिी से गुवाहाटी हमारी फ्लाइट थी और गुवाहाटी से हमारा आरक्षण तीनसुकिया तक है।
Tirupati Balaji यात्रा वृत्तान्त-19 तिरुपति बालाजी के दर्शन
अण्डमान निकोबार की यात्रा के अंतिम चरण में तिरुपति बालाजी पंहुचे थे। इससे पहले दक्षिण की यात्रा के दौरान भी आशुतोष की जिद्द के कारण तिरुपति आए थे,लेकिन उस समय मैने दर्शन नहीं किए थे। अण्डमान की यात्रा के दौरान जब तिरुपति पंहुचे थे,तो मैने सोचा था कि यदि आसानी से दर्शन हो सकेंगे तो जरुर करुंगा और दर्शन आसानी से हो गए थे। तिरुपति पंहुचे ही थे,कि एक बडे काम के होने के संकेत मिले और उसी समय तिरुपति से यह प्रार्थना की थी कि यदि काम हो गया तो फौरन तिरुपति आएंगे। जब लौटे तो आखिरकार काम हो ही गया।
Thursday, February 25, 2016
Sunday, February 21, 2016
जेएनयू प्रकरण-न्यायालय बनने की कोशिश में मीडीया और पार्टियां
-तुषार कोठारी
पिछले करीब दो हफ्तों से देश का आम आदमी हैरान है,कि वह जिसे मां मानता रहा है,उस भारत माता को निरन्तर अपमानित किया जा रहा है। आतंकवादियों के हमलों से हैरान देशवासियों के लिए पिछले करीब सात दशकों में यह पहला मौका है,जब मुख्य धारा के कंाग्रेस और कम्यूनिस्ट पार्टियों जैसे राजनीतिक दलों के नेता देशद्रोहियों की पैरवी इतने खुले रुप से करते नजर आ रहे है। इस बात का भी शायद पहला मौका है,जब मीडीया का एक वर्ग देशद्रोही बातों को नजरअंदाज कर देने की सलाहें दे रहा है। यह बात भी हैरान करने वाली है कि न्यायालय के निर्णय का होने से पहले ही कुछ नेता और मीडीया के लोग देशद्रोहिता के मामले में बंद छात्रनेता को दोषमुक्त कर चुके है।
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