Sunday, August 4, 2019

बद्रीनाथ वसुधारा यात्रा -4

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खाली जेब और चरण पादुका के दर्शन

9 जून 2019 रविवार (रात 10.00)
जीएमवीएन रेस्ट हाउस बद्रीनाथ

बद्रीनाथ के जीएमवीएन रेस्ट हाउस में रात के इस वक्त सब लोग सौ चुके है। चिंतन जगा हुआ है। अभी उसने मलय से बात की है। मैं तो सोने ही वाला था कि तभी मुझे डायरी की याद आ गई। इसी के साथ पूरे दिन भर का घटनाक्रम भी याद आ गया।
जोशीमठ से सुबह छ:बजे निकलना था। हम केवल पन्द्रह मिनट लेट हुए।  सवा छ: बजे हम जोशीमठ से रवाना हो गए थे। बीती रात जो जमावट की थी,वह सुबह काम आई। गाडी ठीक पौने छ: बजे रेस्टहाउस पर आ गई थी।

बद्रीनाथ वसुधारा यात्रा -3

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पहाड़ो के ऊपर उड़न खटोले का सफर

8 जून 2019 शनिवार (शाम 6.45)
जोशीमठ पुलिस रेस्ट हाउस

आज का पूरा दिन जोशीमठ में गुजार कर हम फिर से पुलिस रेस्ट हाउस में आ चुके हैं। कल हमें बद्रीनाथ जाना है।
बहरहाल,बात कल रात की हो रही थी। पुलिस रेस्ट हाउस परिसर के मेनगेट से मैं भतर घुसा। पूरा परिसर अंधेरे में डूबा हुआ। एक पतली सी सडक़,गेट से भीतर घुसते ही तीखे ढलान वाली थी। ढलान की बाई ओर उपर एक कमरा सा बना हुआ था,जहां रोशनी नजर आ रही थी। दहीनी ओर करीब पन्द्रह फीट नीचे एक बिल्डिंग सी बनी हुई थी। मुझे लगा यही रेस्ट हाउस है। इस बिल्डिंग के कुछ कमरों में लाइट जल रही थी। मैं सीढियां उतरकर वहां पंहुचा। आवाजें लगाई,लेकिन कोई जवाब नहीं।

बद्रीनाथ वसुधारा यात्रा -2

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सड़क पर गुजारी वो रात......

8 जून 2019 शनिवार(प्रात: 3.55)
पुलिस रेस्ट हाउस जोशीमठ

लगातार अठारह घंटे,गाडी में गुजारने के बाद इस वक्त हम यहां जोशीमठ के पुलिस रेस्ट हाउस में पंहुचे हैं। आज का पूरा दिन और पूरी रात पूरी तरह पहाडी रास्तों के बार बार लगने वाले जाम और मूर्ख ड्राइवर की हरकतों के नाम हो गई। यात्रा तो अठारह घंटों की थी,लेकिन सुबह जागने के बाद से अब तक पूरे चौबीस घंटे बीत चुके है। हम सुबह चार बजे जाग गए थे। इच्छा थी ऋषिकेश से जल्दी निकलकर जल्दी से जल्दी गोविन्द घाट पंहुच जाए,ताकि अगले दिन आसानी से हेमकुंड साहिब की यात्रा  की जा सके। लेकिन इच्छा पूरी होना तो उपर वाले के हाथों में होता है।

बद्रीनाथ वसुधारा यात्रा -1

यात्रा वृत्तान्त-31 / बद्रीनाथ चरण पादुका और वसुधारा का ट्रैक

(5 जून 2019 से 13 जून 2019)
यह यात्रा चिंतन की छुट्टियों के कारण तय की गई थी। आमतौर पर जून की छुट्टियों में उत्तराखंड जाना ठीक नहीं होता,लेकिन गर्मियों में जाने लायक और कोई जगह भी नहीं मिल रही थी। अभिभाषक मित्र प्रकाश राव पंवार का भी जबर्दस्त आग्रह था कि एक यात्रा  परिवार के साथ करना ही है। तय हुआ कि इस बार उत्तराखंड में बद्रीनाथ के रास्ते पर जाकर हेमकुंड साहिब की यात्रा  की जाए। यही तय करके निकले थे,लेकिन उत्तराखंड में यात्रियों की भारी भीड के कारण यह संभव नहीं हो पाया और आखिरकार हम बद्रीनाथ धाम पर इस बार चरण  पादुका और वसुधारा की यात्रा  करके वापस लौट आये।

Thursday, June 20, 2019

नेपाल के मामले में चूक गए मोदी जी…

-तुषार कोठारी

प्रचंड बहुमत से जीत कर सत्ता में वापस लौटी मोटी सरकार का हर ओर गुणगान किया जा रहा है,लेकिन पिछले कार्यकाल का यदि बारीकी से विश्लेषण किया जाए तो कूटनीतिक मोर्चे पर मोदी जी की कुछ गलतियां भी साफ नजर आती है। वैसे तो हर ओर मोदी जी की विदेश नीति की सराहना ही सुनी जा रही है,लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे है,जहां मोदी जी चूक गए।

Wednesday, May 29, 2019

Bhutan Sikkim Journey-9

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यात्रा वृतान्त-31/ शांति का देश भूटान-
काली कलकत्ते वाली के दरबार से घर वापसी

(4 जनवरी 2019 से 14 जनवरी 2019 तक)
14 जनवरी 2019 सोमवार (सुबह 8.25)
होटल प्रियांशु,बागडोगरा


यात्रा का आज अंतिम दिन है। बागडोगरा एयरपोर्ट से हमारी उडान दोपहर बारह बजे है। हम शाम सात बजे इन्दौर पंहुचने वाले थे,लेकिन उडान रिशेड्यूल्ड हो गई है इसलिए हम रात दस बजे तक इन्दौर पंहुचेंगे। वहां से रतलाम जाने की व्यवस्था अभी करना है।

Bhutan Sikkim Journey-8

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यात्रा वृतान्त-31/ शांति का देश भूटान-
उड़न खटोले से गंगटोक के नज़ारे और 13000 फ़ीट पर सेना का भंडारा

(4 जनवरी 2019 से 14 जनवरी 2019 तक)
12 जनवरी 2019 शनिवार/ सुबह साढे नौ
स्टेट गेस्ट हाउस,गंगटोक सिक्किम

हम नाश्ता करके तैयार हो चुके हैं। सर्किट हाउस बहुत दूर,शहर के सबसे उंचे स्थान पर है। यहां गाडियां मिलना मुश्किल है। लेकिन यहां के कर्मचारी हमारी मदद कर रहे हैं। अभी दो  छोटी गाडियां बुलवाई है।

12 जनवरी 2019 शनिवार/रात 9.00
स्टेट सर्किट हाउस गंगटोक

सुबह दस बजे हम तैयार हो चुके थे। पहले एक बडी गाडी आई,जो तीन हजार रु.में हमें घुमाने को राजी थी। पता नहीं किसने उसको मना कर दिया। इसके बाद आखिरकार दो छोटी गाडियां हमने तय की जो अठारह सौ रु.प्रति गाडी यानी कुल छत्तीस सौ रु. में तय हुई।

Bhutan Sikkim Journey-7

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यात्रा वृतान्त-31/ शांति का देश भूटान-
सुबह भूटान रात में सिक्किम 

(4 जनवरी 2019 से 14 जनवरी 2019 तक)
11 जनवरी 2019 शुक्रवार रात 11.45
स्टेट सर्किट हाउस गंगटोक,सिक्किम

आज सुबह तो हम पारो में थे। सुबह साढे नौ भूटान समय यानी नौ बजे हम तैयार हो चुके थे।  मारकुश थापा को फोन लगाया। वह गाडी लेकर आ गया।  हम तैयार थे। पौने दस बजे हम पारो से चल पडे। भूटान के पहाडी रास्तो पर फुनशिलिंग अभी एक सौ चालीस किमी दूर था। पहाडी रास्ते और एक सौ अस्सी डिग्री वाले मोड,लेकिन सडक़ बेहद अच्छी थी। भूटान के सीन कुछ अलग होते है। कहीं सडक़ पर हीरो हीरोईन के बोर्ड नहीं। जहां भी होर्डिंग दिखेगा,राजा रानी और राजकुमार का। पहाडी रास्तों पर इतना घूम चुके है कि उसका कोई असर नहीं रहा।

Bhutan Sikkim Journey-6

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यात्रा वृतान्त-31/ शांति का देश भूटान-
पुनाखा में है भूटान का सबसे बड़ा किला

(4 जनवरी 2019 से 14 जनवरी 2019 तक)
11 जनवरी 2019 शुक्रवार (सुबह 9.00)
होटल सामडेन चौइंग पारो (भूटान)

 भूटान से वापसी का वक्त। पारो में हम कल दोपहर ढाई बजे पंहुचे थे। आज पूरी कोशिश है कि रात तक गंगटोक पंहुच जाए।
अब बात पुनाखा की। 1955 के पहले तक भूटान की राजघानी पुनाखा ही थी। थिम्फू  से पुनाखा करीब 68 किमी दूर है। यहां जाने के रास्ते में डोचूला पास पडता। डोचूला पास की उंचाई (एल्टीट्यूड) 3100 मीटर या 10200 फीट है। हम जैसे ही डोचूला पास पर पंहुचे,यहां पहाडों पर भारी बर्फ जमी हुई थी। वैसे तो रास्ते में भी कई जगहों पर बर्फ जमी हुई थी लेकिन यहां बर्फ बहुत अधिक थी। डोचूला पास पर 108 बौध्द मानेस्ट्री बनी हुई है।

Bhutan Sikkim Journey-5

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यात्रा वृतान्त-31/ शांति का देश भूटान-
फिर से डोचु ला पास पर

(4 जनवरी 2019 से 14 जनवरी 2019 तक)
10 जनवरी 2019 गुरुवार (रात 9.20 आईएसटी)
पारो

इस वक्त हम पारो के होटल में भोजन करके सोने की तैयारी कर रहे है। डायरी जहां छोडी  थी,वो सुबह साढे सात का वक्त था.....।
हमारे ड्राइवर ने आवाज लगाई और हम सब गाडी से बाहर निकल पडे। सडक़ पर खतरनाक फिसलन थी। इस फिसलन के बावजूद हम धक्का लगाने को तैयार थे। बीती रात ड्राइवर मारकुश,दशरथ जी के नालेज से प्रभावित हो चुका था। सुबह वो दशरथ जी के मार्गदर्शन में गाडी चलाने को राजी हो गया। दशरथ जी ने समझाया कि जहां बर्फ ज्यादा नजर आ रही है,गाडी वहीं से निकाले। इसी फार्मूले पर वो चला। जिस मोड पर हम रात भर रुके रहे उसी मोड से बडी आसानी से पार हो गए। हम उतरे तो थे धक्का देने के लिए,लेकिन ज्यादा धक्का नहीं देना पडा।

Bhutan Sikkim Journey-4

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यात्रा वृतान्त-31/ शांति का देश भूटान-
बर्फ़बारी के फंस कर गाड़ी में गुजारे वो 15 घंटे

(4 जनवरी 2019 से 14 जनवरी 2019 तक)

10 जनवरी 2019 गुरुवार(सुबह साढे नौ/10.00 भूटान)
दोचूला पास रेस्टोरेन्ट

कल रात हमें पुनाखा किला(झोंग) देखकर पारो पंहुच जाना था। लेकिन हम बीती पूरी रात बर्फ में फंसे रहे। हम पुनाखा किला देखकर शाम करीब पांच बजे पारो के लिए निकले थे। तभी बूंदाबांदी होने लगी थी,लेकिन देखते ही देखते बर्फबारी शुरु हो गई,जो जल्दी ही तेज हो गई।
 शुरुआत में तो बर्फबारी देखर मजा आ रहा था। लेकिन थोडी ही देर में सडक़ पर जाम लग गया। हम करीब साढे पांच बजे जाम में फंसे। उममीद थी कि जाम खुलेगा और हम पारो पंहुच जाएगें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जाम खुलने को राजी ही नहीं था। छ: से सात,सात से आठ और आठ से नौै बज गए।

Bhutan Sikkim Journey-3

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यात्रा वृतान्त-31 / शांति का देश भूटान-
यहाँ है दुनिया की सबसे ऊँची बुद्ध प्रतिमा

(4 जनवरी 2019 से 14 जनवरी 2019 तक)
8 जनवरी 2019 मंगलवार(शाम 5.10/5.40)
होटल शांतिदेवा थिम्फू


इस वक्त हम पूरा थिम्फू घूम घाम कर होटल के गर्म कमरों में आ चुके हैं। अब कोई काम नहीं बचा है। शाम का भोजन करना है।
आज के दिन की शुरुआत करीब एक घंटे की देरी,यानी सुबह दस बज हुई। वैसे हम सुबह सात बजे उठ गए थे। गीजर में गर्म पानी नहीं आ रहा था। दशरथ जी और हिमांशु एक कमरे में थे। उनके कमरे का गीजर ठीक से चल रहा था। उन दोनो का स्नान हो गया,लेकिन हमारे कमरे में गर्म पानी नहीं आ रहा था। अनिल,आशुतोष और मैने लगभग ठंडे पानी से स्नान किया। स्नान के बाद होटल के डाइनिंग हाल में आलू पराठे का नाश्ता किया।  आलू पराठों में आलू का अता पता नहीं था।

Bhutan Sikkim Journey-2

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यात्रा वृतान्त-31 / शांति का देश भूटान-  प्रवेश का परमिट मिलेगा या.....  ?

 (4 जनवरी 2019 से 14 जनवरी 2019 तक)


7 जनवरी 2019  सोमवार (सुबह 7. 00 )
होटल कस्तूरी जैगांव

आज हमें भूटान का परमिट बनवाकर थिम्फू  के लिए रवाना होना है।  लगता है थिम्फू के रास्ते में कई चुनौतियां है,लेकिन इस बार हम सारी चुनौतियां पार कर ही लेंगे। चुनौतियों की शुरुआत तो रतलाम से ही हो गई थी,जब एक जनवरी को यह ध्यान में आया था कि दशरथ जी के पास वोटर आईडी कार्ड नहीं है। कहां खो गया है। पासपोर्ट इन्होने बनवाया नहीं है और भूटान में बिना वोटर आईडी या पासपोर्ट के प्रवेश नहीं किया जा सकता। आनन फानन में वोटर आईडी बनवाने की प्रक्रिया शुरु की।

Friday, May 17, 2019

कौन था नाथूराम गोडसे, हिन्दू आतंकवादी,देशभक्त या....?

-तुषार कोठारी

चुनावी माहौल के आखरी चरण  में नाथूराम गोडसे हर ओर चर्चा में है। कोई उसे आजादी के बाद भारत का पहला हिन्दू आतंकवादी बता रहा है,तो किसी ने उसे देशभक्त बताया। जैसे ही उसे देशभक्त कहा गया पूरे देश
में कांग्रेस ने बवाल मचाना शुरु कर दिया। जब गोडसे को हिन्दू आतंकवादी कहा जा रहा था,तब कांग्रेस के नेता चुप्पी साधे बैठे थे,लेकिन जैसे ही गोडसे को देशभक्त कहा गया,वे बिफर पडे। इसी बहाने उन्हे चुनाव में भुनाने को एक बडा मुद्दा मिल गया था। भाजपा के लिए भी यह बडा धक्का साबित हुआ। भाजपा के प्रवक्ता ने फौरन प्रेस कान्फ्रेन्स करके इस बयान की निन्दा की और साध्वी प्रज्ञा को माफी मांगने की नसीहत भी दे दी गई।
 लेकिन सवाल अपनी जगह कायम है कि नाथूराम गोडसे आखिर क्या था? क्या वह पहला हिन्दू आतंकवादी था या देशभक्त था या एक हत्यारा  था...? इस सवाल का उत्तर ढूंढने से पहले आतंकवाद को समझना होगा।

Tuesday, May 7, 2019

Bhutan Sikkim Journey-1

  यात्रा वृतान्त-31 / शांति का देश भूटान-
जैगाव से भूटान के द्वार पर

(4 जनवरी 2019 से 14 जनवरी 2019 तक)

5 जनवरी 2019 (शनिवार) सुबह 9.45
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल टी-2
 

नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इन्टरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल टी-टू पर इस वक्त हम अपनी गो एयर की उडान के इंतजार में बैठे है। हमे अभी लंबा इंतजार करना है,क्योंकि हमारी उडान दोपहर डेढ बजे हैं,लेकिन हम बडी जल्दी अभी पौने दस पर ही यहां पंहुच चुके हैं।
 पिछली यात्रा  के दो महीने और सत्ताईस दिन बाद,और अगर एक छोटी सी यात्रा  रतलाम गान्धीसागर-चित्तौडगढ से जोडा जाए तो महज पांच दिन बाद मैं अपने दोस्तों के साथ भूटान की इस यात्रा में दशरथ पाटीदार,अनिल मेहता,हिमांशु जोशी और मन्दसौर से आशुतोष नवाल,मेरे साथ है।

Thursday, March 28, 2019

Memories of Nathu La visit on 15 jan 2019 नाथूला यात्रा

कुछ समय पूर्व भूटान यात्रा के दौरान सिक्किम से लगी चीन की सीमा पर स्थित नाथूला दर्रे पर जाना हुआ था। नाथूला ऐतिहासिक सिल्क रूट को भारत से जोड़ता है। किसी ज़माने में यही नाथूला भारत को शेष विश्व से जोड़ता था। नाथूला पर कब्जे के लिए चीन ने 1965 में हमला किया था जिसे भारत के वीर सैनिको ने असफल कर दिया था। आज भी लगभग साढ़े पंद्रह हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित इस नाथूला दर्रे की सुरक्षा भारतीय सेना के हवाले है।  नाथूला भ्रमण के मौके पर भारतीय सेना द्वारा मुझे यात्रा का प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।

Wednesday, February 20, 2019

पाकिस्तान के बिखराव में छुपा है आतंकवाद जैसी समस्याओं का हल

- तुषार कोठारी

आप चाहे जितनी मोमबत्तियां जलाईए,कडे से कडे शब्दों में निन्दा कीजिए,टीवी चैनलों पर पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ जहर उगलिए,पाकिस्तान को सबक सिखाने के दावे कीजिए,लेकिन इन सबसे न तो आतंकवाद की समस्या समाप्त होगी,ना ही कश्मीर में शांति स्थापित होगी। भारत के लिए वास्तविक समस्या ना तो कश्मीर में है और ना ही आतंकवाद वास्तविक समस्या है। भारत के लिए वास्तविक समस्या एक ही है और वह है पाकिस्तान। यही वह समस्या है,जिसके समाधान से सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो सकती है।

Saturday, January 26, 2019

Mahabaleshwar Journey-3

वेण्णा लेक में बोटिंग और खालिस महाराष्ट्रीयन डिशेज का मजा

26 मई 2018 शनिवार खारघर (शाम 6.15)
आकाश का निवास,खारघर सेक्टर 15

हम सुबह महाबलेश्वर की वेण्णा लेक में बोटिंग कर रहे थे। इस वक्त खारघर लौट चुके है। आज सुबह थोडे आराम से उठे,तो नौ बजे कमरों से बाहर हुए। महाबलेश्वर की यात्रा पूरी हो चुकी थी। आज के दिन का उपयोग करना था। पहले सोचा कि माथेरान चलते है। लेकिन दूरी को देखते हुए तय किया कि रास्ते में खण्डाला रुक जाएंगे। सुबह कमरे छोड दिए। सामान गाडी में रख दिया। कमरों से निकले तो मुख्य बाजार के एक ठेले पर वडा पाव  चाय का डोज लिया। साढे नौ पर गाडी में सवार होकर वेण्णा लेक पंहुच गए। सुबह का वक्त कोई भीडभाड नहीं। बडे आराम से आधे घण्टे बोटिंग की और फिर चल पडे।

Mahabaleshwar Journey-2/

शिवाजी महाराज ने यहां किया था जीजा माता का तुलादान


25 मई 18 शुक्रवार (रात 11.15)
होटल मधुमति महाबलेश्वर

कल रात तय किया था कि सुबह 7 बजे निकल जाएंगे। मैं ठीक पांच बजे उठ गया। फ्रैश होकर सबको उठाया,लेकिन आखिरकार सुबह आठ बजे निकल पाए। होटल मालिक ढेबे ने समझाया था कि जल्दी जाओगे तो ही ठीक रहेगा,लेकिन हम एक घण्टा लेट हो चुके थे। तय किया कि पहले तो महाबलेश्वर महादेव के दर्शन करेंगे फिर नाश्ता करेंगे। निकल गए और महाबलेश्वर मन्दिर पंहुच गए।

Mahabaleshwar Journey-1

यात्रा वृत्तान्त-27/पंचगंगा का उद्गम-महाबलेश्वर


मुंबई-पूणे के सर्वाधिक लोकप्रिय पर्यटन स्थल महाबलेश्वर की यात्रा पारिवारिक यात्रा थी,जो महाबलेश्वर के खास सीजन मई के महीने में की। यह यात्रा 22 मई से 28 मई तक की संक्षिप्त यात्रा थी,जिसमें मै,वैदेही और चिंतन के अलावा अभिभाषक मित्र प्रकाशराव पंवार,उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कीर्ति और बालिकाएं संस्कृति और प्रकृति शामिल थी। यह यात्रा रतलाम से मुंबई तक ट्रेन से और फिर मुंबई से महाबलेश्वर तक मारुति अर्टिगा से पूरी की थी।

Thursday, January 24, 2019

Sri Sailam Mallikarjun Journey-5/ फिल्म तकनीक को आसानी से समझने का स्थान रामोजी फिल्म सिटी




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हैदराबाद की रामोजी फिल्म सिटी ने हैदराबाद को एक नई पहचान दी है। दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार रहे रामोजी राव ने 1996 में अपनी इस अनूठी कल्पना को साकार करना शुरु किया था। यह लगभग चालीस वर्ग किमी में फैला दुनिया का सबसे बडा फिल्म स्टुडियो माना जाता है। इसमें करीब पाच सौ शूटिंग लोकेशंस और पचास से ज्यादा तैयार फिल्मी सेट्स है। रामोजी फिल्म सिटी दुनियाभर के फिल्मकारों के लिए आदर्श स्थान है।

Sri Sailam Mallikarjun Journey-4

मल्लिकार्जुन स्वामी के बाद रामोजी फिल्म सिटी में एक दिन


06 अक्टूबर 2018/ शनिवार सुबह 7.15
होटल मेघा सिटी/हैदराबाद


रात को काफी देर हो गई थी,इसलिए डायरी जल्दी से बन्द कर दी थी। इस चक्कर में कई सारी बातें छूट गई थी।
 कल जब श्री शैलम से चले तो बस में हमें पीछे की सीटें मिली थी। इस बार बस लगभग भरी हुई थी। यह दो एक वाली छोटी एसी  बस थी। इस बार बस में विडीयो पर हैदराबादी दक्षिणी फिल्मे चल रही थी। हम केवल दृश्य देखकर फिल्म को समझने की कोशिश कर सकते थे। भाषा हमारी समझ में आना नहीं थी।

Sri Sailam Mallikarjun Journey-3

वृध्द मल्लिकार्जुन स्वामी का अभिषेक,साथ में गौसेवा भी


5 अक्टूबर 2018 शुक्रवार/सुबह 7.00 बज
चांदीश्वरा सदन श्री शैलम


आज हमें फिर से मल्लिकार्जुन स्वामी और भ्रमराम्बा देवी के दर्शन करना है। दोपहर तो पौने तीन बजे हमारी
बस है,जिसमें हम वापस हैदराबाद लौटेंगे। इस वक्त सभी लोग जाग चुके है और स्नानादि की तैयारियां जारी है। मुझे आठ बजे तक सीआरओ आफिस जाकर कल जमा कराया हुआ एडवान्स वापस लेना है। देवस्थान संस्थान की व्यवस्थाएं बहुत अच्छी है। यहां अनेक इमारतों में हजारों कमरे है,जहां श्रध्दालुओं के ठहरने की व्यवस्था है।

Sri Sailam Mallikarjun Journey-2

गणेश जी की साक्षी में मल्लिकार्जुन के प्रथम दर्शन


4 अक्टूबर 2018 गुरुवार/रात 10.30
चंदेश्वरा सदन श्री शैलम देवस्थान


श्री शैलम मल्लिकार्जुन देवस्थान के चंदेश्वरा सदन में इस वक्त हम सोने की तैयारी कर रहे हैं।
आज सुबह सबकुछ समय से हुआ। नौ बजे जेबीएस(जुबली बस स्टाप) से बस पकडना थी। जेबीएस पंकज के
घर के नजदीक ही है। लेकिन निकलते निकलते 8.40 हो गए थे। सडक़ पर ट्रैफिक जबर्दस्त था। पंकज दो चक्कर में हमें छोडने वाला था। पहले राउण्ड में मैं,वैदेही और दादा सारा सामान लेकर निकले। रास्ते में ट्रैफिक की स्थिति और समय की कमी को देखते हुए मैने प्रतिमा ताई को फोन किया कि वे आटो से निकल आएं।  हम लोग बस स्टाप पर पंहुचे,तब 8.55 हो चुके थे। बस का प्लेटफार्म ढूंढा। वहां पंहुचे तो पता चला कि बस अभी आई नहीं है। मैने राहत की सांस ली।

Sri Sailam Mallikarjun Journey-1




यात्रा वृत्तान्त-29/ घनघोर वन में स्थित श्री शैलम मल्लिकार्जुन के दर्शन


द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक श्री शैलम मल्लिकार्जुन के दर्शनों का योग गंगौत्री गौमुख यात्रा के मात्र अठारह
दिनों के बाद ही बन गया। 15 सितम्बर की मध्यरात्रि को मैं गंगौत्री गौमुख यात्रा से लौटा था। केवल अठारह दिनों के बाद 3 अक्टूबर को रतलाम से हैदराबाद होते हुए श्री शैलम की यात्रा प्रारंभ हो गई। इस यात्रा की योजना गंगौत्री यात्रा करने से पहले ही बन चुकी थी और टिकट आदि भी पहले ही बुक करवाए जा चुके थे। यह एक पारिवारिक यात्रा थी,जो वायुमार्ग से की गई। इस यात्रा में मेरे साथ आई दादा वैदेही और प्रतिमा भी थे।

Monday, December 10, 2018

Gangotri Goumukh Yatra-7/ पुष्कर सरोवर और सांवरिया सेठ के दर्शनों के साथ घर वापसी

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दसवां दिन

14 सितम्बर 2018 शुक्रवार (सुबह 7.30)
अतिथी होटल (हरिद्वार-दिल्ली हाईवे)

सभी उठ चुके है। विचार है कि यहां से साढे आठ तक निकल चलें। आज दिल्ली से होते हुए शाम तक अजमेर पंहुच जाएं,ताकि पुष्कर के दर्शन करके फिर रतलाम की ओर बढ सकें। इस समय सभी लोग निकलने की तैयारी में है।

Gangotri Goumukh Yatra 6-गंगा आरती का आनन्द,वशिष्ठ गुफा और नीलकण्ठ महादेव के दर्शन

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12/13सितम्बर 2018 गुरुवार (रात 12.30)

होटल शिवान्त ऋषिकेश

वैसे तो तारीख बदल चुकी है,इसीलिए मैने 13 सितम्बर लिखा है,वरना दिन तो आज का ही है। सुबह हम
भागीरथीपुरम में सब्जी पराठे का शानदार नाश्ता करके निकले। निकले तो सीआईएसएफ के विजय भान सिंह को फोन किया। वीबी सिंह हमसे मिलने भी आ गए। उनसे फिर मुलाकात हुई। नम्बरों का आदान प्रदान कल ही हो गया था। यहां से ऋषिकेश के लिए रवाना हुए। रास्ते में जगह जगह चार धाम परियोजना का काम चल रहा है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने चारों धामों के रास्ते फोरलेन बनाने की घोषणा की है। जगह जगह पहाड को काटने के लिए मशीनें लगी हुई है। इस वजह से कई जगह रुकना पडता है।

Gangotri Goumukh Yatra 5/ इंजीनियरिंग का करिश्मा-पहाड के आठ सौ मीटर नीचे टिहरी डैम

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11 सितम्बर 2018 मंगलवार/रात 11.10

टीएचडीसी रेस्ट हाउस,भागीरथीपुरम न्यू टिहरी

सुबह दस बजे जब ग्रेट गंगा होटल से चले थे,तो यह इच्छा लेकर चले थे कि टिहरी डैम देख लें। ग्रेट गंगा होटल
के मैनेजर से बिल का पूछा तो बाईस सौ का बिल लाया। फिर बोला आप दो हजार दे दो। आखिरकार पन्द्रह सौ पर मामला सैट हुआ। वहां से निकले। नाश्ता करना था। धारासू बैण्ड से कुछ पहले डूण्डा नामक स्थान पर साढे गायरह बजे आलू पराठे मिल पाए। वहां नाश्ता या भोजन जो भी कहिए,किया। अब आगे चले। हमारी मंजिल थी न्यू टिहरी। आईजी गुंजियाल सा.का नेटवर्क,मोबाइल के नेटवर्क से ज्यादा तेज चल रहा था। सुबह जब निकले तो सीधे उत्तरकाशी में काशी विश्वनाथ के दर्शन करने पंहुचे।

Gangotri-Goumukh Yatra-4 जानलेवा खतरों से भरा वापसी का सफर

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छठां दिन

10 सितम्बर 2018 (सोमवार) दोपहर 2.35
होटल शिव गंगा पैलेस गंगौत्री धाम


गौमुख का ट्रैक पूरा करके हम करीब डेढ बजे होटल में पंहुचे। इस समय,दशरथ जी,अनिल जी और प्रकाश जी गंगौत्री में डुबकी लगाने के लिए गए हुए हैं। मैं अकेला होटल में हूं। मैने गंगौत्री के ठण्डे पानी में स्नान करने से साफ इंकार कर दिया। पिछले तीन दिनों से मुंह तक नहीं धोया है। इसलिए यहां आते ही गर्म पानी मंगवाया। शेविंग की और स्नान किया। अब डायरी के साथ हूं। इस समय शरीर का पोर पोर दुख रहा है। पैरों की हालत बेहद खराब है। घुटने जांघे,पिण्डलिया,सब कुछ दर्द कर रहे हैं। इसके साथ ही बायें पैर का पंजा बुरी तरह दुख रहा है। पैर उठने को राजी ही नहीं है। लेकिन हमने तय किया था कि आज गंगौत्री से निकल कर जितना भी आगे जा सकेंगे,वहां जाएंगे और रात्रि विश्राम करेंगे।

Sunday, December 9, 2018

Gangotri-Goumukh Yatra-3 /ग्लैशियर के रास्ते पर मौत से सामना

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पांचवां दिन

9 सितम्बर 2018 रविवार/सुबह 10.05

गौमुख ग्लैशियर झण्डा
हम गौमुख ग्लैशियर के नजदीक तक गए। मेरी बाई ओर की पहाडी पर चलते हुए गौमुख ग्लैशियर के सामने पंहुचा जाता है।  झण्डों से आगे का रास्ता बडे बडे पत्थरों पर से होकर है।  इन पत्थरों पर काफी देर चलने के बाद बाई पहाडी में लैण्ड स्लाइडिंग की जगह से बेहद खतरनाक रास्ते से उपर चढना पडता है। इस रास्ते पर एक
स्थान पर केवल एक पैर ही टिकाया जा सकता है। दाहिनी ओर नीचे,भागीरथी प्रचण्ड वेग से शोर मचाती हुई बह रही है। यह रास्ता कच्चे भुरभुरे पहाड पर है,जिसका सहारा भी नहीं लिया जा सकता। केवल एक ही पैर टिकाने की जगह है। यह रास्ता देखकर ही मैं घबरा गया।

Gangotri-Goumukh Yatra-2/ कनखू,चीडबासा से भोजवासा तक कठिनाईयों का सफर

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8 सितम्बर 2018 शनिवार/ शाम पांच बजे
जीएमवीएन गेस्ट हाउस,भोजवासा (गौमुख मार्ग)

चौदह किमी का बेहद कठिनाईभरा ट्रैक पूरा करके हम शाम करीब साढे चार बजे भोजवासा पंहुचे। सभी की सभी की हालत बेहद खराब हो चुकी है। इस वक्त सभी लोग जीएमवीएन(गढवाल मण्डल विकास निगम) के रेस्ट हाउस में बिस्तरों के हवाले है। अभी अभी गर्मागर्म चाय पी है। सभी की हालत ऐसी है कि कोई भी बिस्तर से हिलना तक नहीं चाहता है।

Gangotri Goumukh Yatra 1/भागीरथ का तपस्या स्थल और भागीरथी का उद्गम स्थल गंगौत्री

(यात्रा वृत्तान्त-28/ गंगौत्री गौमुख यात्रा 05 सितम्बर 2018 से)

सडक़ का सफर,दिल्ली से बचकर

पहला दिन
05 सितम्बर 2018 (बुधवार) रात 8.45
होटल राम पैलेस पावटा (जयपुर से 80 किमी आगे)


3 महीने और आठ दिन बाद,फिर से नई यात्रा पर। इस बार हमारा लक्ष्य है,गंगौत्री से उपर गौमुख ग्लैशियर और तपोवन तक ट्रैकिंग करने का। हमारी यह यात्रा आज सुबह साढे नौ बजे रतलाम से शुरु हुई। रतलाम से मेरे साथ दशरथ जी पाटीदार और प्रकाश राव पंवार,दशरथ जी की नई मारुति ब्रिजा से निकले और सैलाना से हमने अनिल मेहता को साथ लिया। रतलाम से छ: सौ किमी चल कर जयपुर से करीब अस्सी किमी आगे दिल्ली हाई वे के इस होटल राम पैलेस में हम रुके हैं। यह स्थान पावटा कहलाता है।

Wednesday, August 8, 2018

भाजपा को भारी पड सकते है मूल मुद्दों से जुडे सवाल

-तुषार कोठारी

2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चाओं का दौर शुरु हो चुका है और देश के अधिकांश राजनैतिक विश्लेषक यह मानकर चल रहे है कि नरेन्द्र मोदी का दोबारा प्रधानमंत्री बनना तय है। मतभिन्नता है तो सीटों की संख्या और एनडीए के घटक दलों को लेकर है। लेकिन अधिकांश लोगों का मानना है कि नरेन्द्र मोदी ही अगले प्रधानमंत्री होंगे। भाजपा के रणनीतिकारों का भी यही मानना है।

Wednesday, May 2, 2018

Tripura Mizoram Journey-11(Last)


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स्वामी विवेकानन्द के वेलूड मठ में

10 मार्च 2018 शनिवार (सुबह 7.40)

नई दिल्ली रेलवे रिटायरिंग रुम,अजमेरी गेट

बीती रात बहुत देर हो गई थी। नींद आने लगी थी। अभी उठने में भी देरी हो गई है। हमें हजरत निजामुद्दीन से गाडी पकडना है। यहां से आठ बजे निकलने का टार्गेट है। देखते है क्या होता है?
बहरहाल,हम वेलूड मठ में थे। वेलूड मठ,स्वामी विवेकानन्द यहीं से बने और यहीं उन्होने अंतिम सांस ली। अब यह बहुत बडा परिसर है। रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय भी यहीं है। वेलूड मठ पंहुचे। भीतर प्रवेश करते ही बाई ओर श्री रामकृष्ण और रामकृष्ण मिशन को दर्शाने वाली प्रदर्शनी है। यहां पांच रु.टिकट है। टिकट लेकर भीतर गए। रामकृष्ण परमहंस,सारदा मां,स्वामी विवेकानन्द  और आरके मिशन के अन्यान्य संतों के जीवन से जुडी तमाम वस्तुओं का यहां प्रदर्शन किया गया है।

Tripura Mizoram Journey-10

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जय काली कलकत्ते वाली के दरबार में

9 मार्च 2018 शुक्रवार (रात 2.00 बजे)

नई दिल्ली वेटिंग रुम अजमेरी गेट

जब रतलाम में यात्रा का कार्यक्रम बनाया था तभी,अजमेरी गेट की तरफ के रेलवे रिटायरिंग रुम में दो एसी कमरे आनलाईन बुक करवा लिए थे। हांलाकि हमारे कमरे में एसी काम नहीं कर रहा है,गीजर भी बडी मुश्किल सेचालू हुआष खैर सुबह आठ बजे यहां से निकल जाना है।
कहानी को वहां ले जाता हूं जहां छोडी थी।

Tuesday, April 24, 2018

Tripura Mizoram Journey-9

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अलविदा आईजॉल..........

8 मार्च 2018  गुरुवार(सुबह6.27)

स्टेट गेस्ट हाउस आईजोल

यात्रा का आज अंतिम दिन है। रात तक हम फिर से दिल्ली में होंगे और कल शाम तक रतलाम में। पूर्वोत्तर को पूरा देख लेने की इच्छा अब पूरी हो चुकी है। सेवन सिस्टर के नाम से प्रसिध्द पूर्वोत्तर या उत्तर पूर्व (नार्थ-ईस्ट) के सातों राज्यों को देखने के लिए यह चौथा पेरा है।

Sunday, April 22, 2018

Tripura Mizoram Journey-8


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आईजॉल की उंचाई,रैएक टॉप पर

7 मार्च 2018 बुधवार (सुबह 9.00)

स्टेट गेस्ट हाउस आईजोल

नाश्ते की टेबल पर आलू पराठों के इंतजार में डायरी लिख रहा हूं। अब कुछ बातें मिजोरम के बारे में। मिजोरम पिछले करीब डेढ सौ सालों से मिशनरीज के प्रभाव में आते आते पूरी तरह ईसाई राज्य बन गया है। मिजो भाषा के लिए रोमन लिपि को ही अपना लिया गया है। बीती रात से पिछली रात हम सिलचर में भी मिजोरम के गेस्ट हाउस में ही थे। बडी बात यह थी कि सिलचर के सर्किट हाउस के प्रत्येक कमरे में बाईबिल रखी हुई थी।

Thursday, April 19, 2018

Tripura Mizoram Journey-7

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अगरतला से आईजोल-मुसीबतों का सफर


6 मार्च 2018 मंगलवार (सुबह 9.00)

रोड किंग सूमो सर्विस सिलचर

फिलहाल हम रोडकिंग सूमो सर्विस के आफिस में बैठे है। सामने वह सूमो गाडी खडी है,जिसमें हमें आईजोल जाना है। हमारा सामान सूमो पर लादा जा चुका है।
कल सुबह से शुरु हुई विचित्रताएं आधी रात तक जारी रही। रेलवे वालों की मदद से हम राजधानी ट्रेन में सवार होकर रात पौने ग्यारह बजे बदरपुर पंहुच गए। राजधानी का सफर था इसलिए पता ही नहीं चला कि कब
बदरपुर पंहुच गए। हमारे साथ बीएसएफ के दो कर्मचारी भी थे,जिन्हे सिलचर ही जाना था। अब हम कुल छ: लोग थे।

Monday, April 16, 2018

Tripura Mizoram Journey-6

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पहले प्लेन छूटा,अब ट्रेन.......

5 मार्च 2018 सोमवार (दोपहर 1.50)

अगरतला रेलवे स्टेशन,अगरतला

यह यात्रा विचित्रिताओं से भरी हुई है। इस समय हमें अगरतला सिलचर पैसेंजर में होना था,लेकिन हम अगरतला रेलवे स्टेशन के वीआईपी लाउंज में बैठे हुए है।
इस यात्रा क िवचित्रिताओं रतलाम से ही शुरु हो गई थी। रतलाम में ट्रेन छूटते छूटते बची थी। दौडते हुए ट्रेन
पकडी थी। अगली सुबह यानी 28 फरवरी को पहले तो एयरपोर्ट मैट्रो में बैग छूट गया था। वह बैग मिला तो हमारी अगरतला की फ्लाईट छूट गई थी। इसी दिन शाम को संतोष जी का मोबाइल चोरी हो गया था। 1 मार्च को फ्लाईट पकड ली,लेकिन फिर कोलकाता में अगली फ्लाईट छूटते छूटते बची।

Thursday, April 12, 2018

Tripura Mizoram Journey-5

देवाधिदेव के विश्रामस्थल उनाकोटि में

4 मार्च 2018 रविवार (रात 10.00)

अगरतला सर्किट हाउस

आज का पूरा दिन करीब साढे तीन सौ किमी की यात्रा करके उनाकोटि की अद्भूत,आश्चर्यजनक मूर्तियां देखकर हम वापस लौट चुके हैं। आज त्रिपुरा की आखरी रात है। कल सुबह ग्यारह बजे हम ट्रेन से सिलचर के लिए रवाना हो जाएंगे। वहां से आईजॉल जाएंगे। इसवक्त हम भोजन कर चुके है।

अब आज की कहानी। कल शाम यह तय हुआ था कि सुबह साढे छ: बजे निकलेंगे। सुबह साढे छ: तो नहीं लेकिन सात बजे हम सभी लोग तैयार होकर डे दादा की गाडी में सवार हो गए।

Tuesday, April 10, 2018

Tripura Mizoram journey-4

नीरमहल का सौन्दर्य और बांग्ला बार्डर की फ्लैग सैरेमनी


3 मार्च 2018 शनिवार (दोपहर 3.10)

सर्किट हाउस अगरतला

आज की सुबह हम लोग साढे सात बजे तैयार होकर गाडी में बैठ गए थे। कल तक हमसें कहा जा रहा था कि मतगणना का दिन होने से आज के दिन हमें बाहर नहीं निकलना चाहिए। कल शाम आईबी एसपी दीक्षित जी ने भी कहा था कि हिंसा की आशंका हो सकती है। हमारा ड्राइवर भी यही कह रहा था,लेकिन हमने दबाव डाला तो वह आने को तैयार हो गया।

Monday, April 9, 2018

Tripura Mizoram Journey-3

 देवलोक के द्वार तक का सफर

02 मार्च 2018 शुक्रवार (रात 9.30)

रुम न. 1 सर्किट हाउस अगरतला (त्रिपुरा)

हम भोजन कर चुके हैं। अब हमें अपने कक्ष क्र.7 में जाकर सोना है। हमारा कक्ष उपरी मंजिल पर है। अनिल बाहर अपने घर पर बात कर रहा है। दशरथ जी और संतोष जी ताश खेल रहे हैं। इसी बाच अनिल भी कमरे में आ चुका है।
आज की सुबह साढे पर हम तैयार हो चुके थे।  सवा सात पर ड्राइवर बीएल डे का फोन आ चुका था। हम लोग साढे सात,सात चलीस तक तैयार हो चुके थे। बाहर निकले,गाडी आल्टो नहीं थी,बल्कि मारुति की ही इको थी।
हम गाडी में सवार हुए और चल पडे।

Sunday, April 8, 2018

Tripura Mizoram Journey-2

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अगरतला की धरती पर,उज्जयंता पैलेस में


1मार्च 2018 गुरुवार (रात 10.00)

सर्किट हाउस अगरतला (त्रिपुरा)

त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में,यहां सर्किट हाउस के कमरा न.7 में इस वक्त डायरी से जुडने का मौका मिला है। सर्किट हाउस में हमारे पास दो रुम है। रुम न.1 में,इससे ठीक नीचे संतोष जी और दशरथ जी हैं।
हम यानी मै और अनिल यहां पहली मंजिल पर कमरा न.7 में रुके है। अभी कुछ देर पहले भोजन किया है। भोजन के बाद मैं और अनिल बाहर सडक़ पर करीब 1 किमी टहल कर आए हैं। कल सुबह सात बजे निकलना है। टैक्सी तय कर ली है। फिलहाल सोने की तैयारी है। सोने से पहले,कल से लेकर अभी तक का हाल लिख रहा हूं। कहानी वहीं से शुरु करता हूं जहां छोडी थी।

Saturday, April 7, 2018

Tripura Mizoram Journey -1


यात्रा वृत्तान्त-26  त्रिपुरा सुन्दरी के दरबार से देवाधिदेव के विश्रामस्थल उनाकोटि तक

(त्रिपुरा मिजोरम यात्रा 27 फरवरी से 9 मार्च 2018)


देश के उत्तर पूर्वी राज्यों को देखने की इच्छा के चलते पूर्वोत्तर क्षेत्रों की अनेक यात्राएं की। सेवन सिस्टर कहलाने वाले सात राज्यों में से पांच राज्यों के भ्रमण मैं कर चुका था। अब केवल त्रिपुरा और मिजोरम शेष रह गए थे। इस बार इन दोनो राज्यों में भी घूम लिए और इसी के साथ पूर्वोत्तर का भ्रमण पूरा हुआ। इस यात्रा की योजना भी दो-तीन माह पूर्व ही बन गई थी। हवाई टिकट भी बुक करवा लिए गए थे। टिकट बुकींग के समय यह ध्यान ही नहीं रहा कि होली औस रंगपंचमी भी इन्ही दिनों में पहडने वाली है। यह जानकारी टिकट बुक करने के बाद ही मिल पाई थी। परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2018 की होली हमने त्रिपुरा में मनाई,जबकि रंगपंचमी का दिन त्रिपुरा से मिजोरम जाने की यात्रा में गुजरा। इस यात्रा की डायरी,तो यात्रा के दौरान ही लिखता रहा था,लेकिन इसे कम्प्यूटर पर लाने की शुरुआत आज 16 मार्च 2018 से की।

Tuesday, January 23, 2018

पदमावत प्रकरण-पागलपन की पराकाष्ठा

-तुषार कोठारी
विश्व की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था भारत,विश्वशक्ति बनने की राह पर भारत,अंतरिक्ष विज्ञान में विश्व के
 पागलपन का ऐसा दौर इससे पहले कभी देखने को नहीं मिला। सबसे दुखद पहलू यह है कि सरकार में बैठे नेताओं को इस प्रकरण में वोटों के हानि लाभ का गणित नजर आने लगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक बार निर्णय दे दिए जाने के बावजूद मध्यप्रदेश और राजस्थान की राज्य सरकारें दोबारा से सुप्रीम कोर्ट जा पंहुची। गनीमत यह थी कि सर्वोच्च न्यायालय ने दोनो सरकारों को जमकर लताड लगाई और पदमावत को लेकर दायर तमाम याचिकाओं को एक बार में रद्द कर दिया।

Thursday, November 23, 2017

Satopant Swargarohini Yatra-13 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-13 (अंतिम)

(फिर से रतलाम) 18 सितम्बर 2017
रोहतक में रात को देर हो गई थी। इसका असर सुबह के कार्यक्रम पर पडना था। सुबह नौ बजे रवाना होना था,लेकिन निकलते निकलते दस बज गए। हमारी मंजिल यानी रतलाम अभी साढे आठ सौ किमी दूर था। एक बार दशरथ जी ने सुझाव दिया कि पुष्कर होते हुए चले।

Satopant Swargarohini Yatra-12 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-12

19 सितम्बर 2017 मंगलवार (दोपहर 3.50)
इ खबरटुडे आफिस रतलाम

यात्रा के अंतिम हिस्से में व्यस्तताएं इतनी अधिक रही कि डायरी से जुडने का मौका ही हाथ नहीं आया। बीती रात डेढ बजे रतलाम पंहुचने के बाद आज दोपहर को यह मौका मिल पाया है। अब स्मृतियों को पीछे वहां तक ले जाता हूं जहां से डायरी छोडी थी।

Satopant Swargarohini Yatra-11 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-11

(ग्यारहवां दिन) 17 सितम्बर 2017 (रविवार) (दोपहर 2.15)
पुलिस रेस्ट हाउस ऋषिकेश

आज की सुबह गंगा स्नान से हुई। पुलिस रेस्ट हाउस गंगा किनारे पर है। यह राम झूले के नजदीक है। सुबह गंगास्नान के बाद कमरे में आए,तभी एसडीआरएफ के एसआई कवीन्द्र सजवान ने आकर बताया कि राफ्टिंग की व्यवस्था हो रही है। एकाध घण्टे बाद आप राफ्टिंग के लिए जा सकेंगे।

Satopant Swargarohini Yatra-10 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-10

(दसवां दिन) 16 सितम्बर 2017 शनिवार (रात 11.00)
ऋषिकेश पुलिस रेस्ट हाउस

गंगा मां के किनारे पर पुलिस रेस्ट हाउस में,मै डायरी लिख रहा हूं। आज सुबह से शुरु कर ता हूं। शरीर का पोर पोर दुख रहा था,लेकिन शायद इसी दर्द की वजह से ठीक से नींद नहीं आई थी। कल रात मैने बद्रीविशाल मंदिर जाने से साफ मना कर दिया था। रात को दर्द की अधिकता से एहसास हुआ कि शायद बद्रीनाथ के तप्त कुण्ड में स्नान से दर्द दूर हो जाएगा।

Satopant Swargarohini Yatra-9 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-9


(नौंवा दिन) 15 सितम्बर 2015 शुक्रवार (दोपहर 12.00)
लक्ष्मीवन

लक्ष्मीवन की घाटी में एक टीले पर हम पांच लोग हमारे कुक देवेन्द्र के साथ रुके हुए है। आशुतोष पीछे आ रहा है। यह हमारी वापसी की यात्रा है। यह यात्रा हमने आज सुबह साढे आठ बजे चक्रतीर्थ से प्रारंभ की थी।
 चक्रतीर्थ से लक्ष्मीवन की वापसी जाने की अपेक्षा कुछ आसान है,क्योकि हम नीचे उतरते जाते है। हांलाकि यह रास्ता पूरी यात्रा का सबसे दुर्गम रास्ता है। रास्ते का वर्णन एक बार फिर से करने की इच्छा है।

Satopant Swargarohini Yatra -8 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-8

(आठवां दिन)15 सितम्बर 2017 शुक्रवार (सुबह 7.05)
चक्रतीर्थ कैम्प

पहाडों के उपर सूरज की रोशनी नजर आने लगी है,लेकिन हमारे कैम्प से अभी यह काफी दूर है। धूप दिखने की हिम्मत से ही सारे साथी  नित्यकर्म से निवृत्त हो चुके है। इस कैम्प की खासियत यह है कि पूरे मैदान में पहाडी झरनों से उतरते पानी की प्राकृतिक नहर सी बनी हुई है। पानी की सारी जरुरत इसी नहर से पूरी हो जाती है। हांलाकि ये पानी बर्फीला है और जमा देता है। हाथ धो लो तो हाथ सुन्न पड जाते है।

Satopant Swargarohini Yatra -7 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-7

 (सातवां दिन)14 सितम्बर 2017 गुरुवार (शाम चार बजे)
चक्रतीर्थ कैम्प

टेण्ट के बाहर बर्फीली तेज हवा चल रही है। हम किचन टेण्ट में बैठे है। टेण्ट में ही दो स्टोव जलाकर सूप बनाकर पी चुके है। सारे लोग सतोपन्त झील और स्वर्गारोहिणी मार्ग पर जाकर भी आ चुके हैं। यात्रा के अंतिम लक्ष्य को हासिल कर चुके है।

Satopant Swargarohini Yatra-6 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-6

(छठा दिन)13 सितम्बर 2017 बुधवार (शाम 4.20)
चक्रतीर्थ कैम्प

सूरज की धूप खिली हुई है। हमारे टेण्ट लग रहे हैं। कुक देवेन्द्र सूप तैयार कर रहा है। चक्रतीर्थ वह स्थान है,जहां से धर्मराज ने अकेले ही यात्रा की थी। शेष सभी पाण्डव व द्रौपदी पहले ही प्राण त्याग चुके थे। यहां से सतोपंत झील मात्र चार किमी दूर है।

Satopant Swargarohini Yatra-5 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-5

(पांचवा दिन)12 सितम्बर 2017 मंगलवार (शाम 4.40)
कैम्प साईट लक्ष्मीवन

माना गांव से यहां तक का करीब सात किमी का रास्ता,जो कि है ही नहीं,बेहद कठिन,खतरनाक और थका देने वाला है। ये रास्ता पार कर हम साढे चार पर यहां पंहुचे। सबसे बडी परेशानी यह है कि हमारे पोर्टर,टेण्ट और खाद्य सामग्री लेकर अब तक नहीं पंहुचे है। हम उन्ही का इंतजार कर रहे है। इसी इंतजार को मैं डायरी लिख कर पूरा कर रहा हूं।

Satopant Swargarohini Yatra -4 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-4

(चौथा दिन) 11 सितम्बर 2017 सोमवार (दोपहर 2.10)
पुलिस रेस्ट हाउस बद्रीनाथ

कल जैसा तय किया था,आज हमें चरण पादुका और उससे उपर जहां तक संभव हो,जाकर आना था। सुबह करीब छ: बजे उठे। मैं,आशुतोष और अनिल यहीं रुके रहे,शेष चार लोग आज फिर तप्त कुण्ड में स्नान कर बद्रीनाथ जी के दर्शन करने चले गए। कुक को सब्जी पराठे का नाश्ता बनाने को कह दिया था। करीब साढे नौ पर सभी लोग नाश्ता करने बैठे।

Satopant Swargarohini Yatra-3 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-3

(तीसरा दिन) 10 सितम्बर 2017  रविवार /सुबह 7.30
होटल तुलसी,रुद्रप्रयाग

आज हमें बद्रीनाथ पंहुचना है। कल रास्ते में ही तय किया था कि गाडी की छत पर बान्धा हुआ सामान सीधे बद्रीनाथ में ही खोलेंगे। सारा सामान गाडी पर ही बंधा हुआ रहने देंगे। इसका नतीजा यह है कि हमारा सारा जरुरी सामान भी हमारे पास नहीं है। सिर्फ अण्डर वियर पहनकर इस वक्त बैठा हूं और डायरी लिख रहा हूं।

Satopant Swargarohini Yatra -2 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-2

(दूसरा दिन) 9 सितम्बर 2017 शनिवार सुबह 8.35
आफिसर्स मेस,40 पीएसी बटालियन हरिद्वार

कल दिल्ली में रास्ता भटकने के अलावा कल से आज तक कोई दिक्कत नहीं आई। रात को आफिसर्स मेस में बढिया भोजन किया। सुबह नाश्ता भी यहीं करेंगे।

satopant Swrgarohini yatra-1 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-1

सतोपंत स्वर्गारोहिणी यात्रा (7 सितम्बर 2017 से 19 सितम्बर 2017)

सतोपंत स्वर्गारोहिणी की खतरनाक यात्रा पर जाने का आइडिया सबसे पहले एडवोकेट मित्र प्रकाश राव पंवार ने दिया था। पिछले साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान उत्तराखण्ड के आईजी संजय गुंजियाल से मित्रता हुई,तब उनसे इस यात्रा का जिक्र किया था और उन्होने कहा था कि तुम जब भी आना चाहो आ जाओ,इस यात्रा की सारी व्यवस्थाएं मैं करवाउंगा। इसके अलावा 2015 में उत्तराखण्ड के चारधाम की यात्रा के दौरान भी यह तय हुआ था कि दो साल बाद संतोष  जी त्रिपाठी का जन्मदिन बद्रीनाथ में मनाया जाएगा। इन सारे कारणों से इस बार सतोपंत स्वर्गारोहिणी की कठिन यात्रा की योजना बनी।

Monday, August 7, 2017

क्या खत्म हो रहा है शिवराज का जादू...?

-तुषार कोठारी


मध्यप्रदेश में बीते दिनों भडके किसान आन्दोलन के बाद अब यह सवाल हर ओर सिर उठाने लगा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में क्या होगा? क्या शिवराज का जादू अब समाप्त होने लगा है? क्या भाजपा लगातार चौथी बार सत्ता में वापसी का रेकार्ड बना पाएगी? इस तरह के सवाल उठ रहे हैं इसका सीधा सा अर्थ यही है कि अब प्रदेश की परिस्थितियां बदलने लगी है। जनता में किसी न किसी स्तर पर सरकार के प्रति नाराजगी है। यही वजह है कि भाजपा के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे है।

उपराष्ट्रपति चुनाव-गांधी जी और गांधीवाद की बिदाई....?

-तुषार कोठारी


वैंकेया नायडू देश के पन्द्रहवें उपराष्ट्रपति चुन लिए गए। इस चुनाव का नतीजा पहले से ही सभी को पता था।
कांग्रेस को भी,जिसने महात्मा गांधी के पोते पूर्व राजनयिक गोपालकृष्ण गांधी को इस चुनाव में यह कहकर उतारा था कि यह सिध्दान्तों की लडाई है। तो अब नतीजे सामने है और महात्मा गांधी के सगे पोते गोपालकृष्ण गांधी चुनाव हार चुके है।  क्या यह मान लिया जाए कि भारत से गांधी जी और गांधीवाद की बिदाई होने लगी है?

Thursday, July 20, 2017

पं.नेहरु की नासमझी का कष्ट भुगत रहे हैं भारत,तिब्बत और भूटान

(सन्दर्भ-डोकलाम सीमा विवाद)

- तुषार कोठारी

वर्तमान में डोकलाम के चीनी भारत सीमा विवाद को शायराना अंदाज में कुछ यूं कहा जा सकता है कि लम्हो ने खता की,सदियों ने सजा पाई। यह देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरु की नासमझी थी,जिसका कष्ट आज तक भारत,तिब्बत और भूटान भुगत रहे हैं। पं. नेहरु की नासमझी इतनी अधिक थी कि इसे सरासर मूर्खता भी कहा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को यह बता दिया जाए कि दीवार पर सिर मारने से उसका सिर फूट जाएगा और वह घायल हो जाएगा। यह स्पष्ट तौर पर समझाने के बावजूद यदि कोई व्यक्ति दीवार पर अपना सिर मार कर घायल होता है,तो उसे नासमझ कहेंगे या मूर्ख और पागल....? यदि स्नेह अधिक हो,तो ऐसे व्यक्ति को नासमझ कह लिया जाएगा,वरना तो ऐसा कृत्य मूर्खता या पागलपन की श्रेणी में ही आता है।

Sunday, July 16, 2017

J & K Journey 4 कश्मीर यात्रा-4/ आतंक के असर में घाटी का सफर

11 जून 2017 रविवार

सुबह 9.10

कोच न.बी-4/ 35 जामनगर एक्सप्रेस

कटरा रेलवे स्टेशन


    सुबह तो ठीक हुई थी कि लेकिन यात्रा की शुरुआत विवाद से हुई। हमने ट्रेन का समय एक घण्टे पहले का
बताया था कि ताकि भगडद ना हो और आराम से ट्रेन पकड सकें। सुबह साढे सात पर नाश्ता करके आटो लेने के लिए गए। आटो वाले सौ की बजाय दो सौ रु.मांग रहे थे। मुझे गुस्सा आया,मैने पुलिस हेल्पलाइन नम्बर पर फोन लगाया। यह नम्बर पुलिस थाने का था।

J & K Journey 3 कश्मीर यात्रा-3/ आतंक के असर में घाटी का सफर

9 जून 2017 शुक्रवार

दोपहर ढाई बजे
पीडब्ल्यूडी डाक बंगला,उधमपुर।

    कल दोपहर श्रीनगर घूमने के दौरान सबसे पहले हमारे ड्राइवर सोहनसिंह ने मुझे बताया कि कश्मीर में गडबडी हो रही है। हमें रात में ही निकल लेना चाहिए। बाद में कुछ और लोगों से पता चला कि शुक्रवार को कश्मीर में बन्द का आव्हान है। ऐसे में हमने तय किया कि सुबह जल्दी साढे पांच बजे कश्मीर से निकल पडेंगे। हम साढे पांच बजे वहां से निकले और दोपहर डेढ बजे यहां पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस के आरामदायक कमरों में आ गए। यहां आकर ही डायरी से जुडने का मौका मिल पाया है।

J & K Journey 2 कश्मीर यात्रा-2/ आतंक के असर में घाटी का सफर

6 जून 2017 मंगलवार (सुबह 6.30)

व्हायएचएआई कैम्प/हरवन,श्रीनगर

कल का पूरा दिन गाडी के सफर में ही बीता। सुबह उठने में देरी हो गई थी। सुबह 7.50 पर नींद खुली। स्नानादि से निवृत्त होते होते साढे नौ हो गए थे। सर्किट हाउस के कुक औंकारचंद ने नाश्ते में कलाडी और ब्रेड बटर बनाने का प्रस्ताव रखा था। उसका कहना था कि कलाडी उनके क्षेत्र की विशेष चीज है,जो दूध से बनाई जाती है।

J & K Journey -1 यात्रा वृत्तान्त -24 कश्मीर यात्रा-1 / आतंक के असर में घाटी का सफर

कैलाश मानसरोवर की यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न करने के करीब आठ महीनों बाद अब मौका था सपरिवार
कश्मीर यात्रा का। 4 जून को विवाह की वर्षगांठ होती है और कोशिश ये होती है कि विवाह की वर्षगांठ किसी दर्शनीय स्थल पर मनाई जाए। इस बार कश्मीर भ्रमण की योजना बनाई। श्रीनगर में यूथ होस्टल्स के फेमिली कैंपिंग प्रोग्राम की तारीखें देखी और मित्रों से इस यात्रा पर जाने के लिए पूछा।

Sunday, April 30, 2017

Kailash Mansarovar Yatra -9 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 9 (9 सितम्बर 2016 समापन )

9 सितम्बर 2016 गुरुवार/रात 11.30

जम्मूतवी एक्सप्रेस/ बी-4/5
कल का सारा दिन डायरी लिखने का समय ही नहीं मिला। आज का भी पूरा दिन दिल्ली में मिलने जुलने में निकल गया। कल दिल्ली पंहुचने में रात के सवा आठ बज गए थे। बहुत जल्दी में उतरे। यात्रा का सर्टिफिकेट लिया। तेजी से सामान को कमरे में टिकाया। 4 लोगों को एक रुम दिया गया था। आगरा के एसके पाण्डे जी और नासिक के रतन भावसार जी हमारे साथ थे। सामान टिकाया। उन्हे बताया कि हामारा मित्र इंतजार कर रहा है। फौरन निकले,कश्मीरी गेट मैट्रो स्टेशन पर पंहुचे। यहां से हुडा सिटी सेन्टर की की ट्रेन नेट एक घण्टा लेती है।

Kailash Mansarovar Yatra -8 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 8 (6 सितम्बर-8 सितम्बर 2016)

6 सितम्बर 2016 मंगलवार

काली नदी के किनारे / दोपहर 12.30

इस वक्त हम घनघोर आवाज और तेज बहाव के साथ बहती काली नदी के किनारे बैठे हैं। यहां से महज एक-डेढ किमी की दूरी पर हमारे लिए वाहन खडे हैं जो हमें धारचूला तक पंहुचाएंगे। हमें यहां रोक दिया गया है क्योंकि आगे ब्लास्टिंग हो रही है। करीब पैंतालिस मिनट हमें यहीं इंतजार करना है। काली नदी के तेज बहाव का शोर लगातार सुनाई दे रहा है। नदी के इस तरफ हम हैं और सामने की तरफ की पहाडियां नेपाल में हैं। काली नदी भारत और नेपाल की सीमाओं के बीच बहती है।

Kailash Mansarovar Yatra -7 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 7 (4 सितम्बर-5 सितम्बर 2016)

4 सितम्बर 2016 रविवार

केएमवीएन कैम्प गुंजी/ शाम 4.40
10370 फीट

अब हम तिब्बत छोडकर भारत में आ चुके हैं। बीती रात सोते सोते ग्यारह बज गए थे और सुबह 5 बजे तकलाकोट से निकलना था।  सुबह 4 बजे उठा। शेविंग करने के बाद दूध और कार्नफ्लेक्स का नाश्ता किया और बस में सवार हो गए।  बस हमे सबसे पहले कस्टम आफिस ले गई,जहां बैग इत्यादि स्कैन किए गए।  फिर बस में सवार हो कर लिपूलेख पास के लिए रवाना हो गए। तकलाकोट 12930 फीट पर है,जबकि लिपूलेख पास 16780 फीट है। तकलाकोट से निकलते ही बस पहाडों पर चलने लगी। इस बस ने हमें लिपूलेख पास से
करीब पांच किमी पहले उंचे पहाड पर उतारा।

Monday, April 17, 2017

जरुरी हे धर्मस्थलों से लाउड स्पीकर हटाना

- तुषार कोठारी


सोनू निगम ने जो कहा है,बिलकुल सही है। उन्होने वही कहा है,जो बारह वर्ष पहले उच्चतम न्यायालय कह चुका है। देश के नागरिक हर सुबह उन ध्वनियों को सुनने के लिए बाध्य है,जो वे सुनना नहीं चाहते। देश के किसी भी कोने में,किसी भी शहर के किसी भी हिस्से में सुबह आपकी नींद किसी मस्जिद की अजान की आवाज से ही खुलेगी। क्या यह अजान सुनने के लिए हर व्यक्ति बाध्य है?

Sunday, April 16, 2017

बूचडखानों पर रोक,मांसाहार,बीफ और शराब बन्दी का कम्फ्यूजन

तुषार कोठारी 

जब से देश की केन्द्रीय सत्ता में और अनेक प्रदेशों में भाजपा बहुमत में आई है,भारतीय परंपरा और संस्कृति से अनजान अंग्रेजीदां बुध्दिजीवियों और मीडीया वालों के लिए कई सारे नए कन्फ्यूजन खडे हो गए है। कभी ये भ्रम परंपरा और संस्कृति को नहीं समझ पाने की वजह से होते है तो कभी भाषा की पर्याप्त समझ नहीं होने की वजह से। मजेदार बात यह है कि इस तरह भ्रमित हुए बुध्दिजीवी और मीडीया वाले अपने भ्रम को ही सत्य की तरह प्रस्तुत करते है,तो उनके ग्लैमर के असर में कई सारे लोग इसी को सच भी मानने लगते है।

Monday, March 27, 2017

Kailash Mansarovar Yatra -6 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 6 (2 सितम्बर-3 सितम्बर 2016)

2 सितम्बर 2016 शुक्रवार

कुगु कैम्प मानसरोवर

मानसरोवर तट पर दूसरा दिन यज्ञ के साथ बीता। सुबह की शुरुआत आलू पराठे के नाश्ते से हुई। मौसम बहुत बढिया था। शानदार धूप खिली हुई थी। मानसरोवर का रंग बार बार बदल रहा था। मैं कैमरा लेकर मानसरोवर पर पंहुचा। ढेर सारे फोटो लिए। फिर आशुतोष झील पर स्नान करने आ गया। उसका विडीयो बनाया। तभी एलओ श्री गुंजियाल सा.,जगजीत और तनु मित्तल वहां आ गए। फिर उनके साथ आया। हमने कई फोटो खींचे।

Saturday, March 25, 2017

प्रशासनिक कार्यप्रणाली में मौलिक परिवर्तन से ही बदलेगी देश की तस्वीर

-तुषार कोठारी

देश की स्वतंत्रता के बाद बनी लोकतांत्रिक सरकारों में से प्रत्येक सरकार ने देश के गरीब और पिछडे वर्गों की बेहतरी के लिए तमाम योजनाएं बनाई और लागू की। सात दशकों के इस लम्बे कालखण्ड में बनाई गई तमाम योजनाएं इतनी आकर्षक प्रतीत होती थी,कि लगता था कि इनके लागू होने के बाद समस्या जड से समाप्त हो जाएगी। लेकिन ये योजनाएं जब क्रियान्वयन के स्तर पर पंहुची तो पता चला कि योजनाओं का असर दस प्रतिशत भी नहीं हुआ। परिणाम यह है कि सत्तर साल पहले देश में जो समस्याएं थी,कमोबेश वही समस्याएं आज भी मुंह बाए खडी है।

Sunday, March 12, 2017

भाजपा की प्रचण्ड जीत-हिन्दुत्व की ओर बढती देश की राजनीति

-तुषार कोठारी
उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल में भाजपा को मिली प्रचण्ड जीत का विश्लेषण हर कोई अपने अपने ढंग से कर रहा है। कई लोग मोदी लहर को राम लहर से बडी भी बता रहे हैं। इसे विकास के नारे की जीत भी माना जा रहा है। इन विश्लेषणों से भी आगे अगर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के नतीजों को साथ रख कर देखा जाए तो पता चलता है कि देश की राजनीति की दिशा बदल रही है। देश की राजनीति अब अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण से हिन्दुत्व की दिशा में बढने लगी है।

Friday, February 10, 2017

राजस्थान से सबक सीखना चाहिए मध्यप्रदेश को

-तुषार कोठारी

हिन्दुओं के गौरव महाराणा प्रताप द्वारा हल्दीघाटी में लडे गए विश्वविख्यात युध्द के बारे में फैलाए गए महाराणा की पराजय के भ्रम को अब राजस्थान सरकार दूर करने वाली है। राजस्थान के पाठ्यक्रम में अब विद्यार्थियों को यह पढाया जाएगा कि हल्दीघाटी के युध्द में महाराणा की पराजय नहीं हुई थी,बल्कि अकबर की सेनाओं को भारी क्षति हुई थी और उन्हे पीछे हटना पडा था। राजस्थान सरकार द्वारा किए जा रहे इस स्तुत्य प्रयास से राजस्थान के पडोसी मध्यप्रदेश को भी सबक सीखने की जरुरत है।

Monday, January 30, 2017

Kailash Mansarovar Yatra -5 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 5 (31 अगस्त-1 सितम्बर 2016)

31 अगस्त 2016 बुधवार
जुनझुई पू कैम्प / दोपहर 3.00 (आईएसटी)


कैलाश यात्रा का सबसे कठिन दुर्गम कहा जाने वाला हिस्सा आज हमने सफलतापूर्वक पार कर लिया। डेराफुक से यहां जुनझुई पू आने में के लिए डोलमा पास पार करना पडता है और कुल मिलाकर करीब पच्चीस किमी की पदयात्रा करना पडती है। डोलमा दर्रा 18600 फीट की उंचाई पर है,जहां आक्सिजन अत्यन्त विरल है। यहां चार कदम चलने भर से दम फूल जाता है।डेराफुक के हमारे कैम्प से डोलमा दर्रे तक का रास्ता 9 किमी का खडी चढाई का रास्ता है। इसे सूर्योदय से पहले पार कर लेना ही उचित होता है,क्योंकि सूर्योदय के बाद जैसे जैसे दिन चढता है,यहां मौसम बिगडने लगता है।

Sunday, January 22, 2017

दलितों और वंचितों का ही हक छीन रहा है आरक्षण

-तुषार कोठारी

आरक्षण को लेकर मची बवाल पहली बार नहीं है। बिहार चुनाव के पहले भी लालू से लेकर मायावती तक तमाम नेता आरक्षण को खत्म करने की कथित कोशिशों को लेकर रौर्द्र रुप दिखा चुके है। वे अपने बयानों से पूरी तरह ये साबित करना चाहते है कि दलित,शोषित और पिछडे वर्गों के सच्चे रहनुमा सिर्फ वे ही है।
 लेकिन बात इतनी सीधी नहीं है। आरक्षण को बनाए रखने के लिए चीख पुकार मचाने वाले इन नेताओं की हैसियत देखिए। कोई दो बार मुख्यमंत्री रह चुका है। कोई मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री जैसे उच्च पदों को सुशोभित कर चुका है। ये सभी वे लोग है जो समाज के सर्वाधिक शक्तिशाली और रसूखदार तबके में शामिल है।

Tuesday, January 17, 2017

Kailash Mansarovar Yatra -4 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 4 (26 अगस्त-30 अगस्त )

27 अगस्त 2016 शनिवार

होटल पुलान तकलाकोट (तिब्बत)
रात 8.10 (आईएसटी) / रात 10.40 (चाईना टाइम)


कल रात से लेकर आज रात,अभी तक का समय बेहद सनसनीखेज गुजरा। बीती रात आठ बजे सौ गए थे,क्यङ्क्षकि रात दो बजे लिपूलेख पास के लिए निकलना था। इससे पहले तक मौसम ने कहीं दगाबाजी नहीं की थी,लेकिन रात पौने आठ बजे से हलकी बूंदाबांदी शुरु हो गई थी,जिसने दस बजते बजते बूंदाबांदी का स्वरुप ले लिया था। रात पौने एक पर जब मैं उठा तो बारिश हो रही थी। कडाके की ठण्ड में बरसते पानी में बाहर निकलना कठिन था,लेकिन नित्यकर्म के लिए बाहर निकला। वैसे दो बार की आदत है,मौसम की प्रतिकूलता के कारण मैने एक बार में ही मामला खत्म कर दिया और यहीं गलती की।

Monday, January 16, 2017

कौन हो सकता है इस राष्ट्र का पिता...?

  • तुषार कोठारी

इस देश में युगों युगों से पूजित मर्यादा पुरुषोत्तम राम की लंका विजय के बाद लक्ष्मण जी ने उनसे कहा कि अयोध्या जाने की बजाय सोने की लंका में ही रहने में क्या बुराई है? तब भगवान राम ने वह जवाब दिया था,जो आज तक देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक है। भगवान श्री राम ने लक्ष्मण से कहा था कि लक्ष्मण ये लंका चाहे सोने की हो,लेकिन जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान होती है। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।

Wednesday, January 11, 2017

Kailash Mansarovar Yatra -3 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 3 (23 अगस्त-26 अगस्त 2016)

23 अगस्त 2016 मंगलवार

केएमवीएम बुधी / रात 9.15


आज के दिन का समापन बेहद शानदार रहा। हमारे ग्रुप के एलओ संजय गुंजियाल जी ने आज हमें बडा सम्मान दिया। उन्होने अगले वर्ष बद्रीनाथ के उपर स्वर्ग आरोहिणी की ट्रैकिंग के लिए आमंत्रित भी किया। यह बडा आनन्ददायी समापन था।
सुबह की शुरुआत 3.20 पर जागरण से हुई थी। बताया गया था कि हमें 21 किमी पैदल चलना है। लेकिन यह ट्रैक वास्तव में 18 किमी का था। यह भी बताया गया था कि 4444 सीढियां उतरना है।

Tuesday, December 27, 2016

Kailash Mansarovar Yatra-2 कैलाश मानसरोवर यात्रा-2 (19 अगस्त-22 अगस्त)

19 अगस्त 2016 शुक्रवार

केएमवीएन टीआरएच अलमोडा/ रात 8.25


आज का पूरा दिन बसों में हिचकोले खाते हुए और स्वागत कराते हुए गुजरा है। हमारे दल के सभी यात्री ठीक समय पर बस में सवार होने के लिए अपनी डोरमैट्री से नीचे आ चुके थे। गुजराती समाज के मुख्यद्वार पर तीर्थयात्रा विकास समिति दिल्ली सरकार और कैलाश मानसरोवर यात्रा समिति के सदस्यों द्वारा यात्रियों के स्वागत का कार्यक्रम रखा गया था। पहले एक पण्डित ने पूजा अर्चना की और तब वहां मौजूद सदस्यों ने एक एक यात्री को तिलक लगाकर केसरिया दुपट्टे औढाए। इस मौके पर यात्रियों को कुछ धार्मिक पुस्तकें व अन्य उपहार भी दिए गए। यहां पर तीर्थयात्रा विकास समिति के चेयरमेन कमल बंसल व उनके साथ दिखाई देने वाली दो महिलाएं भी थी। आज ये सभी हंसते मुस्कुराते हुए यात्रियों को बिदा कर रहे थे।

Friday, December 23, 2016

Kailash Mansarovar Yatra -1 कैलाश मानसरोवर यात्रा-1

यात्रा वृत्तान्त - 23

कैलाश मानसरोवर यात्रा

सनातन से सीधे संवाद का स्थान


बचपन से लगे यात्राओं के शौक और पिछले करीब डेढ दशक में देश के लगभग सभी कोनो में भ्रमण के दौरान हर बार यह इच्छा सताती थी कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा करना है। लेकिन जब भी इस यात्रा का मन होता,यात्रा का खर्चीला होना इस इच्छाओं को वहीं रोक देता था। पिछले कुछ समय से पैरों में हलकी दिक्कतें भी शुरु हो गई। तब और लगने लगा कि अब कैलाश मानसरोवर जाने के लिए अधिक समय नहीं बचा है। लेकिन जैसा कि मेरे साथ होता आया है,मैने जो भी इच्छा की,प्रभु ने उसे पूरा किया।

Monday, December 12, 2016

दुनियाभर में भारतीय संस्कृति का डंका बजा रहे भारत के अंग्रेजी लेखक

तुषार कोठारी

देसी लोगों की मान्यता अब तक यही हुआ करती थी कि  अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखक पाश्चात्य संस्कृति को बढावा देते है। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। भारत के अंग्रेजी लेखकों की लिखी पुस्तकें दुनिया भर में भारतीय संस्कृति,धर्म और इतिहास का डंका बजा रही है। भारत के पौराणिक और धार्मिक चरित्रों की जानकारी अब पूरी दुनिया के लोगों को,अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखकों की वजह से मिल रही है। यही नहीं  भारतीय लेखकों द्वारा पौराणिक और धार्मिक कथाओं को नए सन्दर्भों में प्रस्तुत किए जाने की यह विशीष्ट शैली दुनियाभर में इतनी पसन्द की जा रही है कि ये भारतीय लेखक आज दुनिया के बेस्टसेलर बने हुए है। इन अंग्रेजी उपन्यासों की बदौलत भारत का गौरवमयी अतीत पूरी दुनिया की जानकारी में भी आ रहा है।

अयोध्या-3 /रामलला की अद्भुत श्रृंगार आरती

(प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे )  12 मार्च 2024 मंगलवार (रात्रि 9.45)  साबरमती एक्सप्रेस कोच न. ए-2-43   अयोध्या की यात्रा अब समाप्...