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छठा दिन
15 जुलाई 2024 सोमवार (अपरान्ह 3.00)
भीम तलाई (अपर)
इस वक्त हम अपर भीमतलाई में एक टेण्ट लेकर रुक गए है। हमने आज सुबह 7.50 पर थाटीविल से चलना प्रारंभ किया था।
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छठा दिन
15 जुलाई 2024 सोमवार (अपरान्ह 3.00)
भीम तलाई (अपर)
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पांचवा दिन
14 जुलाई 2024 रविवार (शाम 6.50)
थाटीविल (श्रीखण्ड कैलास यात्रा मार्ग)
इस वक्त हम थाटी विल की एक दुकान में रात्रि विश्राम के लिए रुके हुए हैं। आज हम सुबह साढे छ: बजे से 12 घण्टे लगातार चल कर कुल 12 किमी की दूरी तय करके यहां पंहुचे है।
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12 जुलाई 2024 शुक्रवार (रात 10.45)
बुशहर सदन रामपुर बुशहर (हिप्र)
इस वक्त हम रामपुर बुशहर के इस सरकारी होटल या यूं कहे कि रेस्ट हाउस में है। हम यहां 7.45 पर पंहुच गए थे। बिना मशक्कत के बुशहर सदन मिल गया और यहां तीसरी मंजिल के दो कमरों में हम टिक गए। हम रतलाम से अब तक 1250 किमी दूर आ चुके है।
(10 जुलाई 24 से 22 जुलाई 24 तक)
10 जुलाई 2021 बुधवार (रात 11.30)
प्रिन्स गेस्ट हाउस (सवाई माधोपुर राज.)
हमारी ये यात्रा प्रारंभ हो चुकी है। इस बार लक्ष्य है श्रीखण्ड महादेव का दर्शन करना। इस वक्त हम सवाई माधोपुर से कुछ ही दूर यहां प्रिन्स गेस्ट हाउस में रुके है। एटलेन एक्सप्रेस वे ठीक सामने है,कल सुबह इसी एटलेन से दिल्ली और आगे का सफर करेंगे।
12 मार्च 2024 मंगलवार (रात्रि 9.45)
साबरमती एक्सप्रेस कोच न. ए-2-43
अयोध्या की यात्रा अब समाप्ति पर है। हम रतलाम लौट रहे हैं और इस वक्त साबरमती एक्सप्रेस रतलाम की ओर दौड रही है।
आज की शुरुआत बेहद खास रही।ये दिन बडा खास रहा और इसकी जानकारी कल रात ही मिल गई थी। कारसेवक पुरम में कल सुबह गए थे। वहां कई लोगों से परिचय हुआ था। रात को कारसेवक पुरम से अभिनव नामक युवक का फोन रोचन के पास आया कि क्या आप लोग सुबह आरती में शामिल होना चाहते है? अन्धा क्या चाहे? दो आंखे। कौन इंकार कर सकता था। उन्होने सभी के आधार साफ्ट कापी में मंगवाए और रोचन से कहा कि आपलोग सुबह पांच बजे मन्दिर के मुख्य द्वार पर पंहुच जाएं।
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11 मार्च 2024 सोमवार,रात 9.15
जानकी महल अयोध्या धाम
आज के व्यस्ततम दिन का समापन होने को है। मैं डायरी के साथ हूं और बाकी लोग भोजन कर रहे हैं।
कल हमें बताया गया था कि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपतराय जी सुबह 8 और 8.30 के बीच मिल सकते है। उन्हे राम शिला भेंट करना थी,इसलिए सुबह 8 बजे यहां से निकलने का इरादा था। लेकिन प्रतिमा ताई,रोचन,वैदेही और नलू आत्या सुबह 6 बजे मन्दिर के पट खुलते ही रामलला का फिर से दर्शन करना चाहते थे। इसलिए ये चारो सुबह पौने छ: बजे दर्शन करने के लिए रवाना हो गईं। उम्मीद थी कि ये लोग आठ बजे के पहले लौट आएंगी। लेकिन मन्दिर के पट 6 बजे नहीं बल्कि सात बजे खुलते है,इसलिए ये सभी साढे आठ बजे दर्शन करके वापस लौटी।
9 मार्च 24 शनिवार (रात 10.45)
जानकी महल नया घाट अयोध्या धाम
अयोध्या की पिछली यात्रा 21 दिसम्बर 23 को रतलाम से शुरु हुई थी और 24 दिसम्बर को हम अयोध्या पंहुच गए थे। 26 दिसम्बर को सुबह करीब नौ बजे अयोध्या से वापसी के लिए निकल गए थे। इस हिसाब से अयोध्या की पिछली यात्रा के ठीक 73 दिन बाद मैं फिर से अयोध्या आ चुका हूं। अयोध्या की ये यात्रा पूरी तरह पारिवारिक है। सौ.आई और दादा को श्री राम लला के दर्शन करवाने के लिए ये यात्रा की जा रही है। इस यात्रा में मेरे अलावा,वैदेही,चिन्तन,प्रतिमा ताई,रोचन,नलू आत्या,नारायण और आरती वहिनी इस तरह हम कुल दस लोग अयोध्या पंहुचे है।
22 दिसम्बर 2023 शुक्रवार (रात 1.00)
पप्पू एण्ड पप्पू रिजार्ट,सोनकच्छ
पिछली यात्रा आदि कैलास वाली 12 सितम्बर 23 को समाप्त हुई थी। फिर विधानसभा चुनाव आ गए। इस यात्रा की कोई योजना नहीं थी। 13 दिसम्बर को मलय,मिजोरम से आने वाला था,उसे लेने इ्नदौर गए। समय था,इसलिए एयरपोर्ट के नजदीक बाबा मौर्य के घर चले गए। बैठे,बातें हुई। तो बाबा ने कहा कि राम मन्दिर के प्राण प्रतिष्ठा से पहले एक बार अयोध्या चलना चाहिए। मैने फौरन हां कह दिया। रात दो बजे रतलाम लौटे थे। लेकिन अगले ही दिन बाबा का फोन आ गया कि अयोध्या चलना ही है। मैने भी हां कह दिया। फिर राजेश घोटीकर को भी चलने के लिए तैयार किया।
-तुषार कोठारी
-तुषार कोठारी
देश में इन दिनों लोकसभा चुनाव का शोर है और भाजपा समेत सारे राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में जुटे है। इन चुनावों में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का मुद्दा भी सुनाई दे रहा है। कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के मुद्दे पर भाजपा को छोडकर तमाम राजनीतिक दल चुप्पी साधे हुए है। विपक्षी दलों की हालत सांपु छछून्दर वाली हो रही है। यहां तक कि भाजपा के नेता विपक्षी दलों को खुली चुनौती भी दे रहे है कि अगर उनमें दम हैं तो वे कहें कि वे अनुच्छेद 370 फिर से ले आएंगे। भाजपा के रणनीतिकार जानते है कि किसी विपक्षी नेता की अब ये ताकत नहीं है कि वे अनुच्छेद 370 को फिर से लाने की बात कह सके। यहां तक कि कश्मीर दोनो प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी भी अब इस मुद्दे पर मौन साध कर बैठ गए हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?
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इस वक्त हम निकलने की तैयारी कर रहे हैं। प्रकाश राव अभी अभी उठे है। उनका स्वास्थ्य अब वे ठीक बता रहे हैं। आशुतोष और मेरा स्नान अभी बाकी है। दूसरे कमरे में टोनी काफी देर से जागा हुआ है,दशरथ जी को मैं उठा कर आया हूं। कल दोपहर से हल्की बारिश शुरु हो गई थी। कभी धीमी,कभी तेज। इस वक्त भी बारिश हो रही है। होटल के कमरे के बाहर पूरे पहाड का शानदार नजारा दिखाई देता है। लेकिन बारिश हो रही है,तो बादलों ने पूरे इलाके को ढंक लिया है। बादलों की वजह से कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। होटल का व्यू मौसम साफ होता तो बेहद शानदार होता।
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इस वक्त हम सैराघाट से कुछ- किमी दूर इस हिमालय दर्शन होटल में ठहरे है और भोजन करके सोने की तैयारी में है। आज की सुबह धारचूला में हुई थी। हमारी गाडी नेपाल सीमा के पुल के पास की पेड पार्किंग में खडी थी। करीब पौने नौ बजे टोनी और दशरथ जी तैयार होकर गाडी लेने निकल गए। इधर हम लोग जल्दी जल्दी तैयार हुए ताकि गाडी आते ही तुरंत अपना लगेज गाडी में जमाकर रवाना हो सके। प्रतीक को फोन किया था,वह भी आ गया। कुछ ही देर में दशरथ जी और टोनी गाडी लेकर आ गए। गाडी मेें सारा सामान जमाया। पहले ही तय कर लिया था कि नाश्ता धारचूला से बाहर निकल कर करेंगे।
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इस वक्त हम धारचूला से वापसी की यात्रा के लिए तैयार हो रहे है। लगभग सभी लोग तैयार हो चुके है। टोनी और दशरथ जी गाडी लेने के लिए जा रहे है।,ताकि हम हमारा लगेज गाडी में जमा कर निकल सके। कल का सारा दिन डायरी ही नहीं लिख पाया,इसलिए आज लिख रहा हूं-
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इस वक्त हम आदि कैलास,पार्वती सरोवर,गौरी कुण्ड और शिव मंदिर के दर्शन करके लौट चुके हैं।
आज सुबह 6.00 बजे नींद खुल गई थी। सभी लोग जल्दी उठ गए थे। ये शायद हाई अल्टी का असर है। कल शाम को जब हम बुधी पंहुचे थे,वहीं से हाई अल्टी शुरु हो गई थी। वहीं हम लोगों ने गर्म कपडे निकाल लिए थे। यहां नाबी में तो जबर्दस्त ठण्ड है। तो सुबह सभी लोग जल्दी उठ गए थे,इसलिए जल्दी निकलने का तय किया। करीब साढे सात तक सभी तैयार हो गए। प्रतीक की माताजी ने गर्मागर्म पुडी और लौकी की सब्जी,हरी मिर्ची की चटनी के साथ नाश्ते में खिलाई। फिर चाय पी और करीब 8.10 पर आदि कैलास के निकल पडे।
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इस वक्त मैं पूरी तरह तैयार हो चुका हूं। दशरथ जी भी तैयार है। नवाल सा.स्नान कर रहे हैं। पंवार सा.अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। आज का दिन हमें परमिट का इंतजार करना था,इसलिए सुबह से ही बोरियत हो रही थी। सुबह 6.30 पर नींद खुल गई थी। उठने की इच्छा नहीं थी,सोने का मन नहीं था। इसी अन्तदर््वन्द में मैं जैसे तैसे उठा। बहुत धीरे धीरे नित्यकर्म निपटा रहे थे कि अचानक दशरथ जी ने प्रस्ताव रखा कि जब करने को कुछ है ही नहीं तो नारायण आश्रम हो आते हैं।
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इस वक्त मै धारचूला के इस होटल कैलाश में सोने की तैयारी में हूं।
आज सुबह आईटीबीपी के रेस्ट हाउस से करीब साढे दस बजे निकले। रास्ता सिर्फ 90 किमी यानी चार घण्टे का है। हमारे पास पूरा दिन था। रास्ते में एक जगह रुक कर आराम से फोटोग्राफी भी की। बेहद धीमे चलने के बाद भी दोपहर ढाई बजे धारचूला पंहुच गए। प्रतीक को फोन किया। वह रोड पर इंतजार करता हुआ मिला। प्रतीक से 2016 के बाद 7 साल बाद मुलाकात हुई। वह हमारे साथ हो गया। इस वक्त सभी को भूख लग आई थी। जहां गाडी खडी की थी, वहां नजदीक ही एक होटल था। प्रतीक ने कहा पलहे आप होटल देख लो। पहला होटल देखा,फिर बगल वाला दूसरा देखा। दूसरा पसन्द आ गया। वहां रुकने का तय कर रहे थे। इसी बीच आशुतोष के पास एक बन्दे का फोन आया कि आपको गाडी चाहिए। आईजी सा. के मेहमान हो,तो गाडी के लिए मुझे बोला गया है। वो बन्दा राहूल था। जिसे प्रतीक भी जानता था।
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मेरी नींद सुबह 6.30 पर खुल गई थी। थोडी देर बाद आशुतोष भी उठ गया। बाकी के तीनो मित्र दूसरे कमरे में है और देरी से उठे है। हमने रात को तय किया था कि सुबह नौ बजे तैयार होकर निकलेंगे। आज दोपहर तक नैनीताल घूम घाम कर निकल जाएंगे और पिथौरागढ जाकर रुकेंगे। गुंजियाल सा ने पिथौरागढ रुकने का सुझाव दिया है। कल यानी सोमवार को धारचूला पंहुच जाएंगे। अब स्नान की तैयारी है। आज विडीयो बनाने की भी योजना है। अब तक कुछ विडीयोज बनाए है,लेकिन चैनल पर अपलोड करने जैसे विडीयो नहीं है।आज नैनीताल का एक विडीयो बनाकर चैनल पर अपलोड करने की इच्छा है।
(01 सितम्बर 23 से 12 सितम्बर 23 तक)
1 सितम्बर 2023 शुक्रवार (रात 11.55) फिरोजपुर झिरका (हरियाणा)
पिछली यात्रा यानी लेह लद्दाख कश्मीर और हिमाचल की यात्रा 3 जुलाई को सुबह रतलाम पंहुच कर समाप्त हुई थी। सारे मित्रों का दबाव था कि 15 अगस्त को अगली यात्रा प्रारंभ करना है,लेकिन एडीजी गुंजियाल सा.ने लेह में कहा था कि यात्रा सितम्बर में प्रारंभ करना। दशरथ जी और प्रकाश जी पंवार को बडी मशक्कत से समझाया कि 1 से 15 सितम्बर तक डायरी में नो डेट लिख लें। मेहनत मशक्कत के बाद यह तय हो गया कि 31 अगस्त को रतलाम से निकलेंगे। तो इस हिसाब से पिछली यात्रा के मात्र 58 दिन बाद अगली यात्रा तय थी। स्थान भी तय कर लिया था कि आदि कैलास जाएंगे। यात्री पांच थे। मैं दशरथ जी प्रकाश राव संतोष जी और आशुतोष नवाल जी।
30 जून 2023 शु्क्रवार (रात 11.55)
होटल वरमन लाज (जम्मू)
इस वक्त मैं जम्मू की वरमन लाज में अब सोने की तैयारी में हूं और सोने से पहले आज का घटनाक्रम लिख रहा हूं। मेरा अंदाजा था कि सुबह 8 बजे गाडियां श्रीनगर से निकल जाएगी। 8.20 पर गाडियां रवाना हो गए। गाडियां चली और थोडी ही देर बाद मुझे नींद आ गई। एकाध घण्टे बाद जब नींद खुली,तो पता चला कि सिन्धु दर्शन यात्रियों का बाकायदा कानवाय चल रहा है। बाकी का सारा ट्रैफिक रोका हुआ था। सिन्धु दर्शन की बसें और कारें निकाली जा रही थी। श्रीनगर से निकलने पर अनन्तनाग तक आतंकवाद का डर बताया जाता है,हांलाकि अब ये सब नदारद हो चुका है,लेकिन चूंकि एक जुलाई से अमरनाथ यात्रा प्रारंभ हो रही है। सुरक्षा बल सिन्धु यात्रा के बहाने सुरक्षा व्यवस्था की रिहर्सल कर रहे थे।
29 जून- यानी आज की सुबह हम करीब साढे छ: बजे उठे। देर रात को यह तय हुआ था कि श्रीनगर की लोकल साइट सीइंग यात्रा समिति द्वारा कराई जाएगी। सुबह साढे सात पर नाश्ता करके सुबह आठ बजे बस से निकलना था। हम जल्दी तैयार हुए और पोहे व ब्रेड पडा का नाश्ता करके साढे आठ पर बस में सवार हो गए।
28 जून 23 बुधवार
सुबह मुझे लगा था कि इतनी जल्दी कैसे निकल पाएंगे,इसलिए मैं कुछ आराम से उठा था। धीरे धीरे तैयार हो रहा था। पता चला कि सारे सहयात्री सुबह 6.30 पर तैयार होकर नाश्ता करने पंहुच गए। मुझे तैयार होते होते 7.20 हो चुके थे। इस समय तक सारे सहयात्री बस में पंहुच गए थे। मैने झटपट जैसे तैसे दो पुडी खाई और बैग लेकर बस में पंहुच गया। ठीक 8.10 पर बस कारगिल से चल पडी। करीब डेढ घण्टे बाद द्रास में स्थित कारगिल वार म्यूजियम पंहुच गए।
25 जून 2023 रविवार
रविवार का दिन सिन्धु दर्शन यात्रा समिति ने सिन्धु पूजन उत्सव के लिए निर्धारित किया था। सिन्धु घाट होटल से करीब 15 मिकी दूर है। यहां ओपन आडिटोरियम बनाया गया है। सिन्धु स्नान भी किया जा सकता था,लेकिन हमारे जाने के वाहन साढे नौ बजे आए,तब तक हमारा स्नान हो चुका था। आज का भोजन भी कार्यक्रम स्थल पर ही था। हम सभी होटल से नाश्ता करके निकले।
25 जून 2023 रविवार (रात 00.41)
होटल अशुर रेसीडेन्सी लेह(लद्दाख)
कैलेण्डर की तारीख बदलकर 25 जून हो चुकी है। हमारे इस होटल में हर कोई सौ चुका है। मैं डायरी लिख रहा हूं। पिछली बार मैने डायरी 22 जून को सुबह 3.45 पर लिखी थी। तब से लेकर अभी तक डायरी मेरे पास नहीं थी। पिछले तीन दिनों की घटनाएं बडी ही रोमांचक और विचित्र थी। मजेदार यहां तक कि मेरे पास डायरी भी नहीं थी। आज डायरी मेरे पास आई और मैने लिखना शुरु किया।
20 जून 2023 मंगलवार (रात 10.15)
जेसिका होटल मनाली (हिप्र)
इस वक्त हम भोजन करके जेसिका होटल के कमरे में लौट चुके है और सोने की तैयारी में है। कल सुबह 9 बजे हमे निकलना है। कल हम यहां से केलांग जाएंगे और परसो केलांग से लेह जाएंगे। अब बात कल की।
कल शाम करीब 4 बजे हम सैनी धर्मशाला से गूजर धर्मशाला लौट आए थे। हमे कहा गया था कि शाम पांच बजे यात्रा के शुभारंभ का कार्यक्रम होगा। हमने तय किया था,कि 5 नहीं 6 से साढे छ: बजे के बीच सैनी धर्मशाला पंहुचेगे। हम पौने सात बजे अपना लगेज पैक करके गूजर धर्मशाला के कमरे से नीचे उतरे और एक इ रिक्शा पकड कर सैनी धर्मशाला पंहुचे।
18 जून 2023 रविवार (प्रात:10.30)
गूजर धर्मशाला कुरुक्षेत्र
इस वक्त मैं स्नान करके तैयार हो चुका हूं।वैदेही अब स्नान करने जा रही है। कल चुनिन्दा सिन्धु दर्शन यात्री यहां पंहुचे थे,लेकिन आज बडी संख्या में यात्री आ चुके है,जो हमारे आस पास के कमरो में ठहरे है। आज हम कुरुक्षेत्र के अन्य दर्शनीय स्थल देखेंगे।
17 जून 2023 शनिवार (प्रात: 8.25)
खजुराहो कुरुक्षेत्र एक्सप्रेस कोच न. एस-2
हजरत निजामुद्दीन से हम इस ट्रेन में सवार हुए है और ये ट्रेन कुरुक्षेत्र के लिए चल पडी है। हम दोपहर तक कुरुक्षेत्र पंहुचेंगे,जहां से वास्तविक सिन्धु दर्शन यात्रा प्रारंभ होगी। हमारी ये यात्रा कल ही यानी 16 जून को शुरु हो गई थी। बीती रात मैं और वैदेही एकता नगर ह.निजामुद्दीन सुपरफास्ट ट्रेन में सवार हुए थे। ट्रेन आधे घण्टे की देरी से 9.30 पर रतलाम से चली और आज सुबह 6.00 बजे ह.निजामुद्दीन पंहुची थी।
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इस वक्त जानकी महल के मंच पर गुरुदेव नर्मदानन्द जी की राश्ट्र गौरव पदयात्रा का समापन समारोह अमृत मंथन का कार्यक्रम चल रहा है। आज सुबह से जबर्दस्त ठण्ड है और मंच के सामने लगी कुर्सियों पर बैठने से ठिठुरन हो रही है। इधर बगल में अलाव जल रहा है और मैैं अलाव की गर्मी से खुद को गर्म कर रहा हूं।
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तारीख बदलने में अब कुछ ही मिनटों की देर है। मैैं जानकी महल के अपने कमरे में आज तक की न्यूज सुनते हुए आज का घटनाक्रम लिख रहा हूं। घोटीकर जी भी मेरे साथ न्यूज सुन रहे है। हमने अपनी रात की राष्ट्रीय व्यवस्था किसी तरह जुटा ही ली है और इसी वजह से मैैं ये डायरी लिख पा रहा हूं।
एक बार फिर अयोध्या में। इस समय अयोध्या में आए हुए 15 घण्टे गुजर चुके है। अयोध्या की ये यात्रा बिलकुल अचानक हुई। वैसे तो कई महीनों पहले इसी समय इसी कार्यक्रम में अयोध्या आने का कार्यक्रम तय था,लेकिन जैसे जैसे अयोध्या यात्रा की तारीख नजदीक आई,यहां आने का मन कम होता गया था और आखिर में यहां आने की योजना पूरी तरह रद्द हो गई थी। लेकिन फिर बिलकुल अंतिम समय पर यहां आना तय हुआ। भगवान श्री राम का बुलावा था,इसलिए आना ही पडा। तो इस यात्रा पर मैैं और राजेश घोटीकर साथ आए हैैं।
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02 सितम्बर 2022 शुक्रवार (रात 11.00)
जयपुर के पास किसी होटल में
इस वक्त राते के ग्यारह बज चुके है। हम लोग आज सुबह निकले तो कुछ देरी हो चुकी थी। हम लोग सुबह दस बजे होटल से निकल पाए थे।
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..31 अगस्त 2022 बुधवार (गणेश चतुर्थी) रात 9.30
फारेस्ट रेस्ट हाउस,खज्जियार
इस वक्त मैैं भारत के मिनी स्विटजरलैण्ड कहे जाने वाले खज्जियार में सबसे शानदार लोकेशन पर बने फारेस्ट रेस्ट हाउस में रुका हुआ हूं। रात्रि भोजन हो चुका है और अब सोने की तैयारी है।
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30 अगस्त मंगलवार (शाम 8.35)
संजय होटल भरमौर
इस वक्त रात के साढे आठ बज चुके है? हम लोग भरमौर के संजय होटल में भोजन कर चुके है और सोने की तैयारी में है। आशुतोष और प्रकाश बगल के कमरे में सौ चुके है। हमारे कमरे में दशरथ जी गहरी नींद में जा चुके है। डा.राव को अभी नींद नहीं आ रही है। मैैं डायरी के साथ हूं।
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29 अगस्त 2022 सोमवार (शाम 5.55)
डल झील मणि महेश
हम इस वक्त मणि महेश कैलास की डल झील के पास में एक टेण्ट में रुके है। मेरे तीन साथी डा.राव,आशुतोष और प्रकाश खच्चरों पर सवार होकर यहां आए हैैंं। मैैं और दशरथ जी पैदल यहां पंहुचे है।
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28 अगस्त 2022 रविवार रात 9.54
नाईट कैम्प धन्छो
इस वक्त हम धन्छो में रात गुजारने के लिए रुके है। मेरे सारे साथी सौ चुके है। अब मैैं डायरी के साथ हूं। हमें कल सुबह जल्दी यहां से आगे बढ जाना है। हम पांच में से तीन साथी कल घोडों पर सवार होकर यहां पंहुचे थे। मैैं और दशरथ जी हमने पैदल ही चला तय किया है।
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26 अगस्त 2022 शुक्रवार (रात 11.45)
होटल अवतार पैलेस- जालन्धर पठानकोट रोड
इस वक्त हम जालन्धर से निकल कर पठानकोट के रास्ते में इस अवतार पैलेस होटल में ठहरे हैैं।
आज सुबह आलू पराठे और सब्जी पुडी का नाश्ता करके हम जयपुर से करीब सौ किमी पहले स्थित नीलम होटल से निकले थे। आज दिन भर हमें गाडी में ही चलना था। जयपुर शहर को बाहर छोडते हुए रोहतक होते हुए हरियाणा से गुजरते हुए लुधियाना जालन्धर के रास्ते पर थे। सुबह दबा के नाश्ता किया था। जयपुर से अम्बाला के बीच अब शानदार अम्बाला एक्सप्रेस वे बन चुका है।
हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले की भरमौर तहसील में स्थित है पंचकैलास में एक कैलास मणि महेश। मणिमहेश कैलास चमत्कारिक पर्वत है,जहां न सिर्फ पर्वत पर शिवलिंग और नन्दी इत्यादि स्पष्ट दृष्टिगोचर होते है बल्कि यदि भाग्य हो तो पर्वत की पूजा करती मणि भी दिखाई दे सकती है। मणि महेश पर्वत ही इतना चमत्कारिक है कि यदि भाग्य में ना हो तो पूरा पर्वत ही अदृश्य हो जाता है। मणिमहेश की यात्रा साल में सिर्फ एक बार जन्माष्टमी से राधाष्टमी के बीच होती है। मणिमहेश के दर्शन के लिए डल झील तक जाना अत्यन्त कठिन और दुर्गम है। यह यात्रा हमने 25 अगस्त 2022 से 03 सितम्बर 2022 के बीच की थी।
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31 मई 2022 मंगलवार (प्रात: 8.30)
पूणे
इस यात्रा का आज अंतिम दिन है। पिछले तीन दिन मैने और वैदेही ने पूणे में गुजारे है।
29 की सुबह हम मलवली में थे जहां से 10.20 पर पूणे की लोकल थी। कमलेश को उसके भाई निमिल के पास चिंचवड जाना था। हम लोकल में सवार हुए। पूणे आखरी स्टेशन था। हम पूणे दोपहर 12 बजे पंहुचे। यहां सुरक्षा(मनु) के घर पंहुच कर भोजन किया। कुछ वक्त रुक कर शाम को पूणेके हाण्डेवाडी रोड इलाके में डा.रवीन्द्र कोठारी (रवि काका) के घर पंहुचे। वहां दो तीन घण्टे गुजारे। कोठारी घराने का पूरा इतिहास मैने मोबाइल से पीडीएफ फार्मेट में मोबाइल में सेव किया। इसे अब मेरे ब्लाग पर लगाना है।
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28 मई 2022 शनिवार(सुबह 7.15)
यूथ होस्टल्स मलवली
आज कैम्प का आखरी दिन है। कल सुबह अल्पाहार के बाद यहां से रवानगी होगी। आज का दिन हम लोनावाला,खण्डाला की लोकल साईट सीइंग करेंगे।
अब कुछ बातें इस क्षेत्र की। मलवली जहां हम रुके हुए है,यहां से चारों तरफ सह्यïाद्री के पहाड नजर आते है। मलवली और लोनावाला इन पहाडों के बीच मैदानी इलाका है। यहां पूरे वक्त ठण्डी हवाएं चलती रहती है।
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26 मई 2022 गुरुवार (सुबह 7.00)
यूथ होस्टल मलवली
फैमिली कैम्प का आज पहला दिन है। आज से तीन दिनों तक हम इस इलाके का भ्रमण करेंगे। सुबह 6.00 बजे उठकर फ्रैश होकर इस वक्त हम चाय पी चुके है। आगले आधे घण्टे में स्नानादि से निवृत्त होकर नाश्ता करेंगे।
जिस परिसर में हम रुके है,यह सम्पर्क बालग्र्राम कहलाता है। सम्पर्क यानी सोशल एक्शन फार मेनपावर
(24 मई 2022 से 1 जून 2022)
शिवाजी पार्क के साथ सिद्धेश्वर के दर्शन
24 मई 2022 मंगलवार (रात 9.05)
एस-2 कोच इन्दौर दौन्ड एक्सप्रेस 22944
इस वक्त हमारी ट्रेन पूणे के रास्ते पर दौडी जा रही है।
हमारी इस पारिवारिक यात्रा में,मै,मेरे साथ वैदेही,कमलेश पाण्डेय,श्रीमती रचना,अवनी और अदिता शामिल है। यह यात्रा करीब एक महीने पहले तय हुई थी। कमलेश की इच्छा थी कि हम जबलपुर की तरफ जाएं,लेकिन वहाम जबर्दस्त गर्मी थी। इसलिए मैने यूथ होस्टल्स के प्रौग्र्राम देखे।
कहते है कि किसी भी व्यक्ति को कम से कम अपनी सात पीढियों की जानकारी होना चाहिए। तभी उसे अपना और अपने परिवार का वास्तविक परिचय मिल पाता है। अगर देश के गैर हिन्दू खास तौर पर मुस्लिमों में यह परम्परा चालू हो जाए,तो अस्सी प्रतिशत से अधिक मुसलमान ये जान जाएंगे कि वे वास्तव में सनातनी थे और उनके पूर्वजों को मार मार के मुसलमान बनाया गया था। वे इस्लाम में स्वेच्छा से नहीं आए बल्कि उन्हे प्रताडित करके मौत का डर दिखा के मुसलमान बनाया गया था। आज के मुसलमानों को यह बात समझ में आ जाए,तो भारत की मुस्लिम समस्या समाप्त हो सकती है।
03 सितम्बर 2021 शुक्रवार(सुबह 8.15)
होटल मस्कट इन,उन्नाव (उप्र)
कल लगातार चलते ही रहे थे। घर पंहुचने तक अब लगातार चलना ही है। लेकिन कल समय ज्यादा हो गया था,इसलिए अयोध्या के बारे में कम लिख पाया। अब अयोध्या की सूरत पूरी तरह बदल गई है। जैसी अयोध्या में हम थे,उसका अयोध्या का तो कहीं अता पता ही नहीं है। लखनऊ से अयोध्या का शानदार फोरलेन एनएचएआई का है। फैजाबाद को बायपास कर दिया गया है। हम रोजाना दो से तीन बार जानकीघाट से रामजन्मभूमि तक जाते थे,सारे रास्ते मालूम थे,लेकिन अब मुख्य सड़क थोडी सी पहचान में आ पाई।
02 सितम्बर 2021 गुरुवार (सुबह 6.45)
होटल संजय पैलेस सीतापुर
कल सुबह डीनापानी के टीआरएच में सब्जी पुडी का नाश्ता करते हुए यह तय हुआ ति मुक्तेश्वर जाने की बजाय अयोध्या श्री रामजन्मभूमि के दर्शन करते हुए लौटा जाए। हांलाकि अयोध्या जाने में 500 किमी की यात्रा बढ रही थी। डीनापानी से अयोध्या लगभग 550 किमी दूर थी,और वहां से मन्दसौर या रतलाम 1000 किमी। इस तरह कुल दूरी 1500किमी हो रही थी,जबकि डीनापानी से सीधे रतलाम जाते तो यह दूरी 1000 किमी ही थी। लेकिन सारे लोग अयोध्या जाने को अड गए।
31 अगस्त 2021 मंगलवार (सुबह 9.50)
TRH धाकुडी
अभी अभी हम चीलठा माई मन्दिर का दर्शन करके लौटे हैैं और नाश्ते का इंतजार कर रहे हैैं।
कल बनाई योजना के मुताबिक मैैं तो सुबह चार बजे ही उठ गया था। कमरे में ठण्ड कम ही थी। उठकर अपने नित्यकर्म से निवृत्त हुआ। करीब पौने पांच बजे दशरथ जी को आवाज देकर उठाया। आशुतोष भी उठ गया। आज अनिल ने चीलठा माई जाने से साफ इंकार कर दिया।
30 अगस्त 2021 सोमवार (सुबह 7.40)
TRH लोहारखेत
हम सभी तैयार हो चुके है,और नाश्ते का इंतजार कर रहे हैैं। सुबह करीब साढे पांच पर उठा था। मौसम एकदम साफ था। कुछ ही देर में धूप भी आ गई थी। मुझे लगा था कि अब हम पैदल जा सकते है। लेकिन बाकी के लोगों का मन जीप से जाने का था। जीप से जाने में धाकुडी पंहुचने के लिए केवल तीन किमी चलना पडता। तो कुल मिलाकर जीप से ही जाने का तय हुआ।
29 अगस्त 2021 रविवार (शाम 7.45)
TRH लोहारखेत
इस समय हम काफनी और पिण्डारी ग्लैसियर ट्रेकिंग के शुरुआती पडाव लोहारखेत में पंहुचे हैैं। यहां टीआरएच में कमरे मिल गए हैैं। भोजन की तैयारी हो रही है। हमे पता चला है कि कि खाती से द्वाली के बीच का रास्ता अभी बन्द है। पिण्डारी और काफनी ग्लेसियर का रास्ता द्वाली से होकर ही जाता है। यदि द्वाली नहीं जा पाए तो ग्लैसियर तक जाने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता।
28 अगस्त 2021 शनिवार रात 9.44
होटल ग्र्रीन वैली,भुजिया हाट
(काठगोदाम नैनीताल रोड)
इस समय हम लोग भोजन भी कर चुके है और जल्दी ही सौ जाने की तैयारी है,क्योंकि कल सुबह जल्दी,हो सके तो सुबह छ: बजे निकल जाना है और अल्मोडा पंहुच जाना है।
सुबह एक समौसा और खाना था,लेकिन आशुतोष ने समौसे को टोटली रिजेक्ट कर दिया,इसलिए फिर हरि(अली)गढ से निकल पडे। रास्ता मुराद नगर से होकर काठगोदाम था। मुराद नगर करीब 150 किमी है। दशरथ जी गाडी चला रहे थे। कहने को तो ये नेशनल हाईवे है,लेकिन टू लेन है। सड़क बढिया बनी हुई थी। चलते रहे। अब नाश्ते की बजाय सीधे भोजन करने की इच्छा थी। भूख लगने लगी थी,धमाल मचाने लगी थी।
यात्रा वृत्तान्त 38
कोरोना के लगातार लाकडाउन से घरों में बन्द रहकर हम सभी बेहद परेशान हो चुके थे। सारे साथी चाहते थे कि जल्दी से जल्दी घरों से निकल कर पहाडों पर पंहुच जाएं। आमतौर पर ट्रेकींग के लिए सितम्बर का महीना ठीक रहता है,जब सारे रास्ते खुल जाते है और बर्फ भी पिघल जाती है। लेकिन कोरोना की मारामारी से परेशान हम लोग जल्दबाजी में सितम्बर से पहले अगस्त में ही पहाडों के लिए चल पडे थे। इस बार हमारा लक्ष्य था उत्तराखण्ड के कुमाऊं क्षेत्र में घूमना और इसके लिए हमने चुना था काफनी और पिण्डारी ग्लैसिरयर की ट्रेकिंग को। यह यात्रा 26 अगस्त 2021 से शुरु हो कर 4 सितम्बर को समाप्त हुई। इस यात्रा में हमने कई धार्मिक स्थानों के दर्शनों का भी लाभ लिया। यात्रा के दौरान हम मेहन्दीपुर बालाजी,कृष्ण जन्मस्थान मथुरा,गोकुल,वृन्दावन,श्री राम जन्मभूमि अयोध्या और पीताम्बरा माई दतिया के दर्शन कर आए।
कर्नाटक के उडुपी में एक स्कूल से शुरु हुए हिजाब विवाद की आग अब देश के कई कोनों तक फैल चुकी है। यहां तक कि मध्यप्रदेश में भी कहीं कहीं इसकी आहट आने लगी है। मामला हाईकोर्ट में है। लेकिन यह मान लेना कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह विवाद थम जाएगा,बिलकुल सही नहीं होगा। वास्तविकता यह है कि देश में अब इस तरह के बेसिरपैर वाले या कहें बेवजह के विवाद अब बढते जाने वाले है। दस मार्च को यदि उत्तर प्रदेश में दोबारा योगी सरकार बन गई तो ऐसे अवांछित विवादों की बाढ आना तय है। विवाद की असल वजह हिजाब या धर्म पर प्रहार नहीं है,बल्कि मोदी विरोधियों के हाथ आया एक नया हथियार है।
-तुषार कोठारी
दिल्ली में हुए निर्भया काण्ड के बाद पूरे देश में हुए प्रदर्शनों और मीडीया के लगातार हंगामे के बाद जहां सरकार ने बलात्कार सम्बन्धी कानूनों में कडे प्रावधान किए वहीं बच्चों के साथ होने वाले लैैंगिक अपराधों पर नियंत्रण के लिए देश में पाक्सो (प्रोटेक्शन आफ चिल्र्डन्स फ्राम सैक्सुअल आफेन्स एक्ट) लागू किया गया। दोनो ही घटनाएं वर्ष 2012 में हुई। तब से लेकर दस वर्ष गुजर चुके है। इन दस वर्षों में इन कानूनों के कुछ कठोर और अतार्किक प्रावधानों ने समाज में नई समस्याएं उत्पन्न कर दी है। दस वर्षों के अनुभव का सबक यही है कि इन दोनों कानूनों में तर्कसंगतता लाना आवश्यक हो गया है। पाक्सो एक्ट के अस्तित्व में आने से देश भर में पाक्सो एक्ट के मामलों की बाढ आ गई है और बडी संख्या में नवयुवक जेलों में बन्द है। सबसे दुखद पहलू यह है कि इनमें से बडी संख्या ऐसे युवकों की है जो उस लडकी के बलात्कार की सजा भुगत रहे है,जो उसी के घर में,उस की पत्नी की हैसियत से बच्चों को पाल रही है।
-तुषार कोठारी
जब नए नए सोशल मीडीया प्लेटफार्म्स की शुरुआत हो रही थी,तब किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन ये प्लेटफार्म्स अपने आपको किसी राष्ट्र से बडे समझने लगेंंगे और किसी देश को चुनौती देने की स्थिति में आ जाएंगे। लेकिन बदकिस्मती से अब यही हो रहा है। ये सोशल मीडीया कंपनियां इतनी बडी हो गई है कि वे बेहिचक भारत जैसे विशाल देश के कानूनो को चुनौती तक देने को तैयार हो गई है।
- तुषार कोठारी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव द्वारा मस्जिदों में सुबह की अजान के लिए लाउड स्पीकर के उपयोग से होने वाली परेशानी का मामला उठाए जाने के बाद से मस्जिदों के लाउड स्पीकर फिर से चर्चाओं में है। इससे पहले भी कई लोग इस मुद्दे को उठाते रहे है। लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि यह समस्या देश के प्रत्येक शहर में है और उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद मस्जिदों के लाउड स्पीकर हटाए क्यों नहीं जा रहे? सरकारों को किस बात का डर है? क्या वजह है कि सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना पिछले सौलह वर्षो से लगातार जारी है।
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05 अक्टूबर 2020 सोमवार (दोपहर 2.00)
इ खबरटुडे आफिस रतलाम
मैैं बीती रात करीब एक बजे घर पंहुचा था। हमारी यात्रा का समापन समारोह रविवार को मन्दसौर में हुआ था। रतलाम से प्रकाशराव पंवार और संतोष त्रिपाठी मन्दसौर आ गए थे,जिन्होने मुझे और अनिल को छोडा था।
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04 अक्टूबर 2020 रविवार (रात 00.52)
ओयो होटल दिल्ली जयपुर हाईवे शहाजहांपुर
इस होटल में हम रात साढे दस बजे पंहुचे थे। कमरे लिए। भोजन किया। अब सोने की तैयारी है। पिछले तीन दिनों से डायरी लिखने का मौका ही नहीं मिला था। लेकिन आज सोने से पहले यात्रा विवरण वहीं से शुरु,जहां छोडा था। उस दिन 2 अक्टूबर की सुबह छ: बजे मै डायरी लिख रहा था कि तभी सब लोग तैयार हो गए। वहीं डायरी बंद करके तुरंत निकल पडे थे।
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30 सितम्बर 2020 गुरुवार (सुबह 3.30)
होटल देवलोक घांघरिया
अभी सुबह पांच बजे हमें हेमकुण्ड साहिब की यात्रा शुरु करना है,इसलिए आज सुबह तीन बजे उठ गए हैैं। ताकि यात्रा सही समय पर शुरु कर दे और देर ना हो जाए।
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30 सितम्बर 2020 बुधवार ( दोपहर 3.00 बजे)
होटल देवलोक घांघरिया
इस वक्त हम ग्यारह किमी की बेहद कठिन और खडी चढाई वाला पहाडी रास्ता पार करके घांघरिया आ गए हैैं।
आज सुबह हमने छ: बजे निकलने का तय किया था,लेकिन कमरे से निकलते निकलते साढे छ: बज गए थे। कमरे से निकल कर सबसे पहले बरसात से बचाव के लिए पोचू किराये पर लिए। यहां सौ रु. किराये में पोचू मिल जाते है,लेकिन इसके लिए पहले तीन सौ रु. एडवान्स जमा कराना पडते हैैं। हमने तीन पोचू लिए। अनिल अपनी बरसाती लेकर आया था।
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29 सितम्बर 2020 मंगलवार (रात10.15)
होटल दुर्गा पैलेस गोविन्द घाट
इस वक्त हम गोविन्दघाट गुरुद्वारे के नजदीक इस होटल में रुके हैैं और सुबह छ: बजे हेमकुण्ड के लिए निकलने की योजना है।
दोपहर को हम सडक़ के जाम में फंसे थे। दोपहर पौने एक बजे जाम खुला और हम आगे बढे। हम करीब दो बीस पर जोशीमठ पंहुच गए।
28 सितम्बर 2020 सोमवार (रात11.00)
होटल पुष्पदीप ग्र्राण्ड रुद्रप्रयाग
हम रुद्र प्रयाग पंहुच चुके है। जगजीत भाई ने पूरे दिन हमारी चिंता की। जगजीत भाई ने ही बताया कि हमें रुद्रप्रयाग में ही रुकना चाहिए। होटल की व्यवस्था भी उन्होने ही की। हम यहां शाम सात बजे पुहुचे थे। अब भोजन करके सोने की तैयारी में है। सुबह बडी जल्दी छ: बजे यहां से निकल जाने की इच्छा है।
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आखिरकार कोरोना टेस्ट कराने के 96 घण्टे पहले हम उत्तराखण्ड में प्रवेश कर गए। इस वक्त हम हरिद्वार के स्टेशनरोड पर होटल ग्र्राण्ड शिवमूर्ति में सोने की तैयारी कर रहें है।
सुबह जयपुर से करीब 20-25 किमी आगे पराठों का नाश्ता करके निकले थे। गाडी स्टार्ट हुई। मनीष गाडी चला रहा था। उसने कहा कि गाडी का एकाध सेंसर गडबड कर रहा है। जब रतलाम से चले थे,तभी से गाडी का स्पीडोमीटर बन्द पडा था। डेशबोर्ड पर मीटर में इसका संकेत भी मिल रहा था।
(25 सितम्बर 2020 से 4 अक्टूबर 2020)
पण्डित होटल जयपुर दिल्ली हाई वे
आज सुबह 9.45 पर अनिल अपनी गाडी से मेरे घर पंहुचा था और मैं जल्दी ही उसकी गाडी में सवार हो गया था। इस तरह हम इस यात्रा के लिए निकले थे।
ये यात्रा कई मायनों में अनोखी साबित हो रही है। कोरोना लाक डाउन के असर से डरे हुए हम सारे मित्र पिछली 27 जुलाई को निकले थे पचमढी के लिए। घूमघाम कर वापस आ गए। तब चर्चा हुई कि हम हर सितम्बर में हिमालय जाते है,तो इस बार भी जाना चाहिए।
-तुषार कोठारी
केन्द्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों में संशोधन के लिखित प्रस्ताव दिए जाने और आन्दोलनकारी पंजाब के किसानों द्वारा इन प्रस्तावों को सिरे से खारिज कर दिए जाने से अब यह निर्विवाद रुप से स्पष्ट हो गया है कि राजधानी की सीमाओं पर कब्जा जमाए बैठे प्रदर्शनकारियों को किसानों के हित की कोई चिंता नहीं है,बल्कि उनका एकसूत्रीय एजेण्डा किसी ना किसी तरह हालात को बिगाड कर रखना और केन्द्र सरकार को बदनाम करना ही है।
3 अगस्त 2020 सोमवार,(रक्षाबन्धन)
इ खबरटुडे आफिस (शाम 6.00 बजे)
यात्रा तो 31 जुलाई को ही रतलाम पंहुचकर समाप्त हो गई थी। लेकिन डायरी मलय के बैग में चली गई थी,इसलिए कहानी पूरी नहीं हो पाई। अब डायरी हाथ में आई है,तो कहानी पूरी कर रहा हूं।
तो,हम 31 जुलाई को पचमढी से रतलाम के लिए निकलने की तैयारी में थे। हमने नौ बजे निकलने का तय किया था,लेकिन हम नौ की बजाय दस बजे होटल से निकले और गाडी में सवार हुए। नाश्ता करना था। दशरथ जी ने कहा कि यहीं करते हैं,मैने कहा कि आगे जाकर करते हैं। पचमढी से पिपरिया तक का रास्ता तो टाइगर रिजर्व के भीतर ही है,इसलिए रास्ते में कोई ढाबा नहीं था।
30 जुलाई 2020 गुरुवार (सुबह 8.15)
होटल खालसा लेक व्यू
पचमढी के प्रसिध्द बी फाल,अप्सरा विहार और पाण्डव गुफा पर हम अब तक नहीं गए हैं। बी फाल और अप्सरा विहार जाने के लिए जिप्सी करना होगी और वन विभाग का परमिट भी लेना पडेगा। होटल वाले ने बीती रात एक जिप्सी वाले को भेज दिया था। साढे इक्कीस सौ रु. मे वह हमें दिनभर घुमाएगा। इसमे से ग्यारह सौ रु. वनविभाग के परमित के लगेंगे और एक हजार पचास रु.जिप्सी का किराया। सीजन में जिप्सी वाले दो से चार हजार रु.तक वसूल लेते है। लेकिन अभी कोरोना के चलते यहाम पर्यटक नदारद है,इसलिए सबकुछ सत्ता है। जिप्सी वाला सुबह साढे नौ पर आएगा। तब तक हमें तैयार होना है। सारे लोग तैयार होने की तैयारी में है।
29 जुलाई 2020 बुधवार (शाम 7.20)
होटल खालसा लेक व्यू
पचमढी के प्रमुख स्थानों को पैरों से नाप कर और करीब 18 किमी की ट्रोकिंग करके हम इसी वक्त होटल में लौटे हैं। हम बुरी तरह थक चुके हैं।
हमारी आज की यात्रा चौरागढ के ट्रैक से शुरु हुई थी। करीब साढे ग्यारह बजे हमने पंजाबी ढाबे में आलू और पनीर पराठे का भोजन जैसा नाश्ता किया। नाश्ते के बाद हम चौरागढ के लिए निकल पडे। चौरागढ का रास्ता महादेर गुफा से ही आगे है। महादेव गुफा यहां से करीब नौ किमी दूर है। बीच में एक पहाड पार करना पडता है। इस पहाड का रास्ता एक सौ अस्सी डिग्री के मोड वाला सर्पिला रास्ता है।
(27 जुलाई 2020 से 31 जुलाई 2020)
27 जुलाई 2020 सोमवार (रात 9.20)
पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस,होशंगाबाद
पिछली यात्रा 29 दिसम्बर 2019 को शुरु हुई थी और 4 जनवरी 2020 को समाप्त हुई थी। वह जैसलमेर की यात्रा थी। 4 जनवरी 2020 के बाद आज लगभग 7 महीनों के बाद हम यात्रा पर निकल पाए हैं।
इस समय मैं होशंगाबाद के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में हूं,और मेरे साथ वकील साथी दशरथ पाटीदार,प्रकाश राव पंवार,सैलाना से अनिल मेहता और भांजा मलय सोनटक्के भी हैं।
हमारी यह यात्रा आज दोपहर साढे ग्यारह बजे रतलाम से शुरु हुई थी और हमारी योजना पचमढी जाकर वहां कुछ दिन गुजारने की है।
-तुषार कोठारी
आमतौर पर कोई भी समझदार या बुध्दिजीवी कभी भी युध्द की हिमायत नहीं करता। लेकिन यह ऐतिहासिक और वैश्विक सच्चाई है कि दुनिया का इतिहास युध्दों का ही इतिहास है। विश्व की अधिकांश समस्याओं का निराकरण भी युध्दों के माध्यम से ही हुआ है। शांति के पक्ष मे आप चाहे जितनी दलीलें दे लें लेकिन कठोर वास्तविकता तो यही है कि समस्याओं का निराकरण बातचीत की बजाय युध्दों से ही हुआ है। कहने सुनने में युध्द का विरोध और शांति की हिमायत अच्छा लगता है,लेकिन वास्तविकता को नकारा नहीं जा सकता इसलिए आज दुनिया का हर देश मजबूत से मजबूत सेना और साजो सामान रखने का पक्षधर है।
(प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यंहा क्लिक करें ) 21 जुलाई 2024 रविवार (रात 11.45) प्रिन्स गेस्ट हाउस सवाई माधोपुर (राज.) इस वक्त हम उसी होटल में ...